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बिहार चुनाव 2025: नीतीश, तेजस्वी या प्रशांत किशोर — किसके नाम होगी सियासी बाज़ी? तीनों नेताओं के सामने अग्निपरीक्षा

Bihar Chunav 2025: Nitish Kumar, Tejashwi Yadav, Prashant Kishor political battle - बिहार की सियासत में तीन चेहरों की अग्निपरीक्षा
Bihar Chunav 2025: Nitish Kumar, Tejashwi Yadav, Prashant Kishor political battle - बिहार की सियासत में तीन चेहरों की अग्निपरीक्षा
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बिहार चुनाव 2025: तीन दिग्गज, एक जंग – सियासत के रण में कौन होगा विजेता?

बिहार में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो चुकी है। सियासी पिच पर इस बार तीन बड़े चेहरे मैदान में हैं — मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK)
इन तीनों की अग्निपरीक्षा सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य की भी है। यह चुनाव तय करेगा कि बिहार की राजनीति किस दिशा में बढ़ेगी — पुरानी परंपराओं की ओर या नई राजनीति की ओर।


नीतीश कुमार: ‘सुशासन बाबू’ की साख पर संकट

करीब दो दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव सबसे अहम साबित हो सकता है। कभी उन्हें ‘सुशासन बाबू’ कहा जाता था, लेकिन आज उनकी पहचान बदलते राजनीतिक समीकरणों और गठबंधनों की राजनीति से अधिक जुड़ गई है।

एनडीए में वापसी के बाद से ही उनके स्वास्थ्य और सक्रियता पर सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज़ और बार-बार बदलते राजनीतिक रुख ने जनता के बीच भ्रम पैदा किया है।
बीजेपी ने उन्हें फिर से गठबंधन का चेहरा बनाया है, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा तेज है कि क्या नीतीश अब भी मुख्यमंत्री पद की रेस में टिक पाएंगे?
क्या वे एक बार फिर सत्ता का कमान संभालेंगे या यह चुनाव उनके लंबे राजनीतिक सफर का अंतिम पड़ाव साबित होगा — यही देखने वाली बात होगी।


तेजस्वी यादव: युवाओं की उम्मीद या अनुभव की कमी?

35 वर्षीय तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव राजनीतिक परिपक्वता की परीक्षा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, पर कांग्रेस की कमजोर स्थिति के कारण वे सरकार से दूर रह गए।
लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में उन्होंने खुद ही पार्टी की बागडोर संभाली और युवाओं से जुड़ने की कोशिश की।

तेजस्वी अब पूरी तरह मैदान में हैं — उन्होंने ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के ज़रिए जनता से सीधा संवाद साधा है और बेरोज़गारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को फिर से केंद्र में लाने की कोशिश की है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी यह जनाधार यात्रा भाजपा-जदयू गठबंधन के मजबूत चुनावी तंत्र को चुनौती दे पाएगी?


प्रशांत किशोर: रणनीतिकार से नेता बनने का सफर

चुनावी रणनीतियों के मास्टरमाइंड प्रशांत किशोर (PK) के लिए यह पहला बड़ा चुनावी इम्तेहान है।
उन्होंने 2022 में बिहार के हर जिले में ‘जन सुराज यात्रा’ की और लोगों से संवाद किया। उनका दावा है कि यह यात्रा सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का अभियान है।
उन्होंने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों को ‘पुरानी राजनीति का प्रतीक’ बताते हुए खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया है।

हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषक उन्हें गंभीर चुनौती नहीं मानते और कहते हैं कि जन सुराज पार्टी को अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
लेकिन बिहार की जनता में उनकी छवि एक ‘क्लीन और विजनरी’ नेता की बन रही है — और अगर वे 2025 में कुछ सीटें भी निकालने में सफल रहे, तो वे राज्य की राजनीति में एक निर्णायक फैक्टर बन सकते हैं।


तीनों की राह मुश्किल, पर मंज़िल तय करेगी बिहार की दिशा

बिहार चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता परिवर्तन की लड़ाई नहीं, बल्कि विचारधारा की टकराहट भी है।
नीतीश कुमार के लिए यह सम्मान बचाने की जंग है, तेजस्वी यादव के लिए नेतृत्व स्थापित करने का मौका और प्रशांत किशोर के लिए राजनीतिक अस्तित्व की पहली परीक्षा।

चुनावी नतीजे तय करेंगे कि बिहार में पुराना नेतृत्व कायम रहेगा या एक नया चेहरा उभरकर राज्य की राजनीति की नई पटकथा लिखेगा।
राजनीति के इस शतरंज में कौन बनेगा ‘राजा’, यह तो वक़्त ही बताएगा — लेकिन इतना तय है कि 2025 का चुनाव बिहार की सियासत का सबसे दिलचस्प और निर्णायक मुकाबला होगा।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com