भाजपा का स्वदेशी नारा: सच्चाई या केवल दिखावा?
रांची, 11 अक्टूबर 2025: भारतीय जनता पार्टी द्वारा हाल ही में जारी किए गए “हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी” पम्पलेट को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव सह मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। श्री सिन्हा ने इसे केवल दिखावे और ढोंग से जोड़ते हुए भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाए।
कांग्रेस महासचिव का तंज
राकेश सिन्हा ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता यदि सचमुच स्वदेशी का प्रचार करना चाहते हैं तो वे यह संदेश प्रधानमंत्री तक पहुंचाएं। उन्होंने तंज करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री को यह कहें कि आप स्विट्जरलैंड की घड़ी, जर्मनी का पैन, इटली का चश्मा और अमेरिका का फोन इस्तेमाल करना बंद करें, और फिर देशवासियों को स्वदेशी का पाठ पढ़ाएं।”
उनका कहना था कि भाजपा का स्वदेशी नारा सिर्फ दिखावा है, क्योंकि इसके नेता स्वयं विदेशी उत्पादों का नियमित उपयोग करते हैं।
स्वदेशी आंदोलन का वास्तविक अर्थ
महासचिव ने याद दिलाया कि स्वदेशी आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अनिवार्य हिस्सा था। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और भारतीय राष्ट्रवाद को सशक्त करना था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में जिन महान क्रांतिकारियों की भूमिका अमूल्य रही, उनके आदर्शों के विपरीत भाजपा आज केवल स्वदेशी का ढोंग रच रही है।
भाजपा के नेतृत्व पर प्रश्न
राकेश सिन्हा ने भाजपा नेताओं से सवाल उठाया कि पिछले 11 वर्षों में उन्होंने कितने छोटे और मंझले उद्योगों को बढ़ावा दिया, जिससे वास्तव में स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे उद्योग जो स्वदेशी उत्पादों का निर्माण कर रहे थे, उन्हें गलत जीएसटी के तहत मुश्किल में डाल दिया गया, और कई उद्योग आठ साल के भीतर बंद होने की कगार पर पहुंच गए।
आत्मनिर्भरता की राह
श्री सिन्हा ने यह भी जोर दिया कि आत्मनिर्भरता का मतलब केवल नारे लगाने से नहीं है। इसके लिए नीतिगत सुधार, छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन, और घरेलू उत्पादों के वास्तविक उत्पादन पर ध्यान देना आवश्यक है। उनका कहना था कि यदि देश को सचमुच स्वदेशी बनाना है, तो जनता को दिखावा न करके ठोस कदम उठाने होंगे।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि भाजपा के स्वदेशी नारे में एक राजनीतिक तिकड़म झलकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वदेशी आंदोलन के जनक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों का पालन न करते हुए, भाजपा आज केवल सत्ता के लिए झूठे प्रचार में लगी हुई है।
निष्कर्ष
इस पूरे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वदेशी नारा केवल राजनीतिक रोटियों का मसाला नहीं, बल्कि व्यवहार में आत्मनिर्भरता का प्रतीक होना चाहिए। कांग्रेस के सवाल भाजपा के लिए चुनौती हैं कि वे अपने प्रदर्शनों और शब्दों के बीच का फर्क जनता के सामने स्पष्ट करें।