महाप्रजापति गौतमी बुद्ध विहार, गड्डीगोदाम, नागपुर में मंगलवार 14 अक्तूबर को थाईलैंड से आई बुद्ध मूर्ति की भव्य प्रतिस्थापना का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भिक्खु संघ की उपस्थिति में मूर्ति का प्रतिष्ठापन हुआ, जिसने पूरे नगर में उत्सव का माहौल बना दिया।
कार्यक्रम का प्रारंभ और रैली
गड्डीगोदाम क्षेत्र में विशेष सजावट की गई थी। सदर के लिंक रोड से अष्टधातु से निर्मित तथागत बुद्ध की मूर्ति के साथ एक भव्य रैली निकाली गई। इस रैली में सैकड़ों उपासक और उपासिकाएं सफेद वस्त्र पहनकर शामिल हुए। रैली के दौरान हजारों अनुयायियों ने बुद्ध मूर्ति के दर्शन किए और भव्य उत्सव का हिस्सा बने। रैली का समापन महाप्रजापति गौतमी बुद्ध विहार, गौतम नगर परिसर में हुआ।
भिक्खु संघ और प्रतिष्ठापन समारोह
विहार परिसर में पहुंचने पर भिक्खु संघ की उपस्थिति में भदंत सुगतबोधी और भदंत हर्षबोधी के मार्गदर्शन में बुद्ध मूर्ति की प्रतिस्थापना की गई। प्रतिष्ठापन के पश्चात बुद्ध वंदना का आयोजन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित भिक्खुओं और अनुयायियों ने श्रद्धापूर्वक मंत्रों का उच्चारण किया और शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और भागीदारी
प्रतिस्थापना के पश्चात विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियाँ, भजन और ध्यान सत्र शामिल थे। बच्चों और युवाओं ने नृत्य और संगीत के माध्यम से इस अवसर को और भी भव्य बनाया। नागरिकों और अनुयायियों ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रमों में भाग लिया और इस महापर्व को यादगार बनाया।
दर्शनार्थियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं
दर्शनार्थियों और अनुयायियों के लिए विशेष व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा गया। देर रात तक विहार परिसर में दर्शन करने पहुंचे नागरिकों के लिए स्नेह भोजन का आयोजन किया गया। इस आयोजन में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
थाईलैंड से आई बुद्ध मूर्ति का प्रतिष्ठापन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी इसे एक महान आयोजन माना गया। इस अवसर ने नागपुर शहर में बुद्ध की शिक्षाओं और मानवता के संदेश को और अधिक लोगों तक पहुँचाने का अवसर प्रदान किया।
भविष्य की योजनाएँ
विहार प्रबंधन ने भविष्य में इस प्रकार के आयोजनों को नियमित रूप से आयोजित करने की योजना बनाई है। इसके माध्यम से लोगों में ध्यान और अध्यात्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।