विदर्भ में बिजली दर वृद्धि पर जनता का फूटा गुस्सा
विदर्भ क्षेत्र में बिजली दरों में बढ़ोतरी और स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के निर्णय ने आम नागरिकों को झकझोर दिया है। विदर्भ राज्य आंदोलन समिति (वीरा.आ.स.) ने इस निर्णय के विरोध में नागपुर में एक प्रचंड आंदोलन छेड़ दिया। इस आंदोलन ने राज्यभर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है, क्योंकि यह सीधे जनता की जेब और रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा मुद्दा है।
नागपुर में “बिजली मार्च” और बिलों की होली
आज नागपुर के शिवाजी नगर गेट से तुळशीबाग महावितरण कार्यालय तक एक विशाल “बिजली मार्च” निकाला गया। समिति के शहर अध्यक्ष नरेश निमजे के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए।
महावितरण द्वारा 1 अक्टूबर 2025 से प्रति यूनिट 35 पैसे से 95 पैसे तक की दर वृद्धि के निर्णय ने आम जनता पर दिवाली से पहले आर्थिक बोझ डाल दिया है।
आंदोलन के दौरान कार्यकर्ताओं ने महावितरण के विरोध में बिजली बिलों की होली जलाई, जिससे स्थल पर माहौल अत्यंत तनावपूर्ण हो गया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए युवा अध्यक्ष मुकेश मासुरकर और नरेश निमजे सहित कई आंदोलनकारियों को कोतवाली थाना ले जाकर हिरासत में लिया।
स्मार्ट मीटरों पर बढ़ा विरोध, “जनता को लूटने की साजिश” का आरोप
समिति ने स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को “जनता की लूट का नया माध्यम” करार दिया।
नागरिकों का कहना है कि इन मीटरों के माध्यम से न केवल अग्रिम भुगतान की मजबूरी होगी बल्कि मीटर रीडिंग और बिलिंग में पारदर्शिता भी संदिग्ध रहेगी।
नरेश निमजे ने कहा,
“विदर्भ की बिजली गोवा तक भेजी जाती है, पर यहां के उपभोक्ताओं को ही महंगी बिजली दी जा रही है। यह अन्याय अब सहन नहीं किया जाएगा।”
उनका कहना था कि यदि दर वृद्धि वापस नहीं ली गई और स्मार्ट मीटरों को जबरन लगाने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो आंदोलन राज्यव्यापी स्तर पर तेज़ किया जाएगा।

विदर्भ की बिजली, जनता की परेशानी
यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि विदर्भ क्षेत्र में उत्पादित बिजली का बड़ा हिस्सा अन्य राज्यों में भेजा जाता है।
फिर भी यहाँ के उपभोक्ताओं को महंगी दरों पर बिजली प्राप्त होती है।
आम नागरिकों का कहना है कि उद्योगों और शहरों को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीण उपभोक्ताओं की उपेक्षा की जा रही है।
विदर्भ के नागरिकों ने मांग की है कि स्थानीय उत्पादन का लाभ यहीं के लोगों को मिले और विदर्भ में सस्ती बिजली नीति लागू की जाए।
आंदोलन में जनता की व्यापक भागीदारी
आंदोलन में अरुण केदार, ज्योती खांडेकर, प्रशांत नखाते, गिरीश तितरमारे सहित कई प्रमुख कार्यकर्ता, महिलाएं और स्थानीय नागरिक शामिल हुए।
महिलाओं ने भी सक्रिय रूप से आंदोलन में भाग लेते हुए “महंगी बिजली बंद करो” और “स्मार्ट मीटर हटाओ” जैसे नारे लगाए।
सड़क किनारे दुकानदारों और स्थानीय निवासियों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिससे यह एक जनआंदोलन का रूप लेता गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की राह
महावितरण के अधिकारियों ने फिलहाल इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार, सरकार दर वृद्धि के निर्णय पर पुनर्विचार करने की संभावना तलाश रही है।
वीरा.आ.स. ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर दरें वापस नहीं ली गईं तो विदर्भ के हर जिले में बिजली बंद आंदोलन किया जाएगा।
विदर्भ राज्य आंदोलन समिति का यह विरोध अब केवल बिजली दर वृद्धि तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह जनता की आर्थिक असमानता और क्षेत्रीय अन्याय के खिलाफ एक प्रतीकात्मक आंदोलन बन गया है।
दिवाली के पहले इस तरह के आंदोलनों से सरकार पर दबाव बढ़ा है कि वह जनता के हित में निर्णय ले और आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करे।