बिहपुर विधानसभा में भाजपा का प्रत्याशी इंजीनियर शैलेंद्र का नामांकन
भागलपुर जिले के बिहपुर विधानसभा क्षेत्र (विस-152) में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर कुमार शैलेंद्र ने गुरुवार को नवगछिया अनुमंडल कार्यालय में अपना नामांकन पर्चा भरा। इस अवसर पर उनके समर्थकों की बड़ी भीड़ मौजूद रही।
नामांकन के दौरान जदयू अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल भी शामिल हुए। बुलो मंडल ने शैलेंद्र को माला पहनाकर जीत की अग्रिम शुभकामनाएं दी। वहीं शैलेंद्र ने भी उनका अभिवादन करते हुए आभार व्यक्त किया। इस दौरान एनडीए के अन्य घटक दलों के कई नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
बुलो मंडल का टिकट और सियासी चर्चा
इस चुनाव में गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र (विस-153) से जदयू ने गोपाल मंडल का टिकट काटकर बुलो मंडल को प्रत्याशी बनाया है। यही कारण है कि शैलेंद्र और बुलो मंडल की मुलाकात ने सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है।
सियासी जानकारों का कहना है कि यह गलबहियां केवल शिष्टाचार का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि आगामी चुनावों में सहयोग और गठबंधन की रणनीति का संकेत भी हैं।
नामांकन जुलूस और चुनावी तैयारी
इंजीनियर शैलेंद्र के नामांकन जुलूस में उनके समर्थकों का उत्साह साफ दिखाई दिया। रंग-बिरंगी झंडियों और नारों के बीच शैलेंद्र ने अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट संदेश दिया कि वह बिहपुर क्षेत्र में विकास और जनकल्याण के मुद्दों पर काम करेंगे।
बुलो मंडल के साथ उनकी बातचीत और अभिवादन ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया और एनडीए के प्रत्याशियों की मजबूत छवि पेश की।
सियासी रणनीति और गठबंधन का महत्व
विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा और जदयू के नेताओं के बीच आपसी सम्मान और सहयोग का यह दृश्य आगामी चुनावों में गठबंधन की मजबूती को दर्शाता है।
बिहपुर और गोपालपुर जैसे क्षेत्र में स्थानीय नेताओं की भूमिका निर्णायक होती है। इसलिए दोनों नेताओं की यह मुलाकात राजनीतिक रणनीति और समर्थन जुटाने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चुनावी मुकाबले और मतदाताओं की प्रतिक्रिया
बिहपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की निगाहें अब शैलेंद्र और उनके विरोधियों पर लगी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास, सड़क, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे उनकी पहली प्राथमिकता हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नामांकन के इस प्रारंभिक चरण में नेताओं के बीच संवाद और सार्वजनिक बैठकें मतदाताओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।