रूपौली में चुनावी रंगत: जनसुराज ने बनाई नई चुनौती
पूर्णिया। स्वतंत्रता संग्राम की गाथाओं और वीरों की धरती रूपौली विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर चुनावी ‘रणक्षेत्र’ सज चुका है। पिछले उपचुनाव का माहौल यथावत है, पर इस बार नया ट्विस्ट है—जनसुराज पार्टी की प्रवेश। यह क्षेत्र राजनीतिक हलचल और सामाजिक संघर्षों के बीच नई उम्मीदों और प्रतिस्पर्धा के लिए जाना जाता रहा है।
पिछले उपचुनाव का स्वरूप और परिणाम
वर्ष 2024 में हुए उपचुनाव में जदयू के कलाधर मंडल, राजद की पूर्व विधायक बीमा भारती और निर्दलीय शंकर सिंह मुख्य चेहरे थे। परिणाम चौकाने वाले रहे—निर्दलीय शंकर सिंह ने कुल 68,782 मत पाकर जीत दर्ज की थी, जबकि जदयू के कलाधर मंडल को 59,578 और बीमा भारती को 30,108 मत मिले थे।
इस बार भी वही चेहरे मैदान में हैं, लेकिन चुनावी गणित और समीकरण कुछ बदल चुके हैं। जदयू ने फिर से कलाधर मंडल पर भरोसा जताया है, वहीं राजद ने बीमा भारती को प्रत्याशी बनाया है। शंकर सिंह निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं और नई चुनौती के रूप में जनसुराज पार्टी ने अमोद मंडल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
जनसुराज पार्टी की एंट्री और संभावित प्रभाव
जनसुराज पार्टी की उपस्थिति इस चुनाव को और दिलचस्प बना रही है। अमोद मंडल के मैदान में आने से मत विभाजन की संभावना बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह क्षेत्र पहले से ही जटिल जातीय और सामाजिक समीकरणों वाला माना जाता है। अब जनसुराज की नई एंट्री से मतदाताओं के विकल्प और भी बढ़ गए हैं।
बीमा भारती का राजनीतिक सफर
पूर्व विधायक सह पूर्व मंत्री बीमा भारती का राजनीतिक जीवन वर्ष 2000 से चला आ रहा है। उन्होंने 2000 में निर्दलीय के रूप में पहली जीत दर्ज की थी। बाद में राजद में शामिल हुईं। फरवरी 2005 के चुनाव में वर्तमान विधायक शंकर सिंह ने उन्हें पराजित किया। अक्टूबर 2005 में बीमा भारती ने बाज़ी पलट दी और शंकर सिंह चुनाव हार गए।
वर्ष 2010 में उन्होंने राजद छोड़कर जदयू से चुनाव लड़ा और 2010, 2015 व 2020 के चुनावों में विजयी रहीं। लोकसभा चुनाव के समय जदयू से नाता तोड़कर राजद में शामिल हुईं और वर्तमान रूप में रुपौली विधानसभा से राजद की उम्मीदवार हैं।
उम्मीदवारों का वर्तमान समीकरण
इस बार रूपौली में चुनावी समीकरण पिछले चुनावों से अलग हैं। जदयू, राजद, निर्दलीय और जनसुराज—चार मुख्य धड़ों की टक्कर इस क्षेत्र की सियासत को और पेचीदा बना रही है। मतदाता इस बार किसे चुनते हैं, यह राजनीतिक विश्लेषकों और जनता दोनों के लिए बड़ी दिलचस्प चुनौती है।
मतदाताओं की उम्मीदें और क्षेत्रीय मुद्दे
रूपौली के मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जल-संचालन जैसी स्थानीय समस्याओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। कोसी नदी के किनारे बसे यह क्षेत्र, न केवल प्राकृतिक संपदा के लिए जाना जाता है बल्कि बाढ़ और अन्य सामाजिक मुद्दों से भी प्रभावित रहा है। ऐसे में उम्मीदवारों के लिए क्षेत्रीय विकास और सामाजिक कल्याण के मुद्दे प्रमुख हैं।
इस उपचुनाव में जनता की नजर सिर्फ राजनीतिक दलों के पुराने वादों पर नहीं, बल्कि नए चेहरे और नई रणनीतियों पर भी टिकी हुई है। अब देखना यह होगा कि जनसुराज पार्टी की नई एंट्री कितना असर डालती है और पारंपरिक दलों की पकड़ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।