बागी उम्मीदवार मो. कलाम उद्दीन ने किया चुनाव में उतरने का ऐलान
भागलपुर जिले के कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी सरगर्मी नई ऊँचाई पर है। राजद द्वारा रजनीश यादव को टिकट दिए जाने के बाद कई राजद और कांग्रेस नेता बागी उम्मीदवार के रूप में सामने आ गए हैं।
इस मौके पर मोहम्द कलाम उद्दीन, जिन्हें क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माना जाता है, ने न केवल बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया बल्कि यह भी कहा कि वह राजद और कांग्रेस को हराने का दावा रखते हैं।
टिकट वितरण पर नाराजगी का कारण
मो. कलाम उद्दीन ने कहा कि वह कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके परिणामस्वरूप उन्होंने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा,
“मैंने क्षेत्र में काफी मेहनत की है, जनता के बीच रहा हूं और उनकी समस्याओं को समझा है। अब मैं चुनाव लड़कर जनता से सीधा समर्थन लूंगा और राजद-कांग्रेस को मात दूंगा।”
नामांकन की तारीख और रणनीति
मो. कलाम उद्दीन 20 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। उसी दिन राजद के सुभाष यादव भी अपना नामांकन करेंगे। यह मुकाबला कहलगांव सीट पर बेहद रोचक और चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है, क्योंकि बागी उम्मीदवार ने सीधे पार्टी नेतृत्व की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनावी परिदृश्य और संभावित प्रभाव
राजद और कांग्रेस द्वारा बाहरी उम्मीदवार को टिकट देने से स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ गया है। कई नेताओं ने समर्थन वापस ले लिया और कुछ ने बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने का फैसला किया।
वेब स्टोरी:
विश्लेषकों का मानना है कि मो. कलाम उद्दीन की एंट्री से क्षेत्र में मतदाताओं का समीकरण बदल सकता है, जिससे राजद और कांग्रेस की जीत की संभावना चुनौतीपूर्ण हो गई है।
जनता और समर्थकों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने कहा कि बागी उम्मीदवार की रणनीति जनता के बीच अधिक लोकप्रियता और समर्थन ला सकती है। कई युवा और क्षेत्रीय कार्यकर्ता मो. कलाम उद्दीन के साथ हैं और उनका कहना है कि यह चुनाव स्थानीय नेताओं के प्रयास और जनता के मुद्दों पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल बाहरी उम्मीदवारों की प्राथमिकता पर।
कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में यह चुनाव राजद-कांग्रेस बनाम बागी उम्मीदवार के बीच निर्णायक रूप ले सकता है। मो. कलाम उद्दीन का नामांकन और उनके समर्थकों की भागीदारी चुनावी माहौल को और गर्माएगी। अब यह देखना होगा कि जनता किस पर भरोसा जताती है और कौन सी रणनीति क्षेत्र में जीत दिलाने में सफल होती है।