बंदरगाह पर तस्करी नाकाम: डीआरआई का सशक्त अभियान
नई दिल्ली। भारत में हाल ही में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने तूतीकोरिन बंदरगाह पर करोड़ों रुपये मूल्य के चीनी पटाखों की तस्करी नाकाम कर एक बार फिर अपनी सजगता और दक्षता का परिचय दिया। ‘ऑपरेशन फायर ट्रेल’ के तहत किए गए इस अभियान में 5.01 करोड़ रुपये के कुल 83,520 चीनी पटाखे बरामद किए गए। इस मामले में चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
इस पूरे ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय बंदरगाह और सुरक्षा तंत्र तस्करी के प्रयासों के प्रति सतर्क हैं। डीआरआई ने बताया कि इन पटाखों को इंजीनियरिंग सामान बताकर लाया गया था, लेकिन उनके गहन निरीक्षण और सत्यापन से सारा प्रयास विफल हो गया।
आयात के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य
पटाखों का आयात भारतीय कानूनों के अंतर्गत प्रतिबंधित है। इसके लिए डीजीएफटी तथा पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) से उचित लाइसेंस लेना आवश्यक होता है। डीआरआई अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में चारों आरोपियों ने गैरकानूनी तरीके से पटाखों का आयात करने का प्रयास किया।
14 से 18 अक्टूबर के दौरान डीआरआई ने इस अभियान के तहत आयातक और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार किया। चेन्नई और तूतीकोरिन से तीन अन्य सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया।
सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन और सार्वजनिक सुरक्षा
गैरकानूनी आयात और गलत घोषणा केवल विदेशी व्यापार के नियमों का उल्लंघन ही नहीं करती, बल्कि इससे सार्वजनिक सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। पटाखों के अत्यधिक ज्वलनशील और विस्फोटक गुणों के कारण यह न केवल बंदरगाह के ढांचे और माल की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा करता है।
डीआरआई के सूत्रों ने बताया कि इस तरह के अभियान स्मगलिंग रोकने, राष्ट्रीय अवसंरचना की सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा के लिए निरंतर चलाए जा रहे हैं।
भारत में पटाखा उद्योग का स्वरूप
भारत का पटाखा उद्योग लगभग 6,000 करोड़ रुपये का है। हालांकि ग्रीन क्रैकर्स को अपनाने से उद्योग में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, परंपरागत पटाखों का दबदबा अभी भी बरकरार है। पारंपरिक पटाखों की सालाना बिक्री लगभग 70,000 से 80,000 टन के बीच है। लेकिन इनका बाजार हिस्सा हर वर्ष 10 से 15 प्रतिशत घट रहा है।
इस प्रकार के तस्करी प्रयास न केवल उद्योग की आंतरिक व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की संभावना भी बढ़ा सकते हैं।
डीआरआई की सजगता और राष्ट्र की सुरक्षा
डीआरआई का यह अभियान देश में अवैध तस्करी रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। बंदरगाह पर सघन निरीक्षण, विस्तृत जांच और आधुनिक तकनीकों के उपयोग से यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी अवैध वस्तु देश में प्रवेश न कर सके।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के अभियान भारतीय बंदरगाहों और व्यापारिक प्रणाली की सुरक्षा में एक मजबूत संदेश देते हैं। तस्करी के प्रयासों को समय पर नाकाम करने से न केवल आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।