आरजेडी ने जारी की 143 प्रत्याशियों की पहली सूची, तेजस्वी यादव राघोपुर से फिर मैदान में
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने रविवार को अपने 143 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी के प्रमुख चेहरे तेजस्वी यादव इस बार भी अपने पारंपरिक क्षेत्र राघोपुर (वैशाली जिला) से चुनाव लड़ेंगे।
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बढ़ा तनाव
आरजेडी की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब महागठबंधन (Grand Alliance) के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद तेज हो गया है।
कांग्रेस पार्टी ने इसी बीच अपनी सूची में 6 और उम्मीदवारों के नाम जोड़े, जिससे उसका कुल आंकड़ा 60 सीटों तक पहुंच गया।
हालांकि, दोनों दलों की सूचियों में कई ओवरलैपिंग सीटें सामने आई हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि गठबंधन के भीतर असहमति गहराती जा रही है।
आम आदमी पार्टी ने भी मैदान में उतारे प्रत्याशी
इस बार बिहार की सियासत में एक नया मोड़ तब आया जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अपनी 12 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों (Star Campaigners) की सूची भी जारी की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी का यह कदम विपक्षी खेमे में एंटी-एनडीए वोटों के विभाजन का कारण बन सकता है।
तेजस्वी यादव की रणनीति – पुराने गढ़ पर दोबारा फोकस
तेजस्वी यादव ने इस बार अपने चुनाव अभियान की शुरुआत राघोपुर से करने का निर्णय लिया है, जो हमेशा से यादव परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता रहा है।
तेजस्वी ने अपने पहले जनसभा में कहा —
“यह चुनाव बिहार के भविष्य का चुनाव है। जनता महंगाई, बेरोज़गारी और अन्याय के खिलाफ वोट देगी।”
आरजेडी की सूची में इस बार युवाओं, महिलाओं और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने टिकट वितरण में क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया है।
कांग्रेस और आरजेडी के बीच तालमेल की चुनौती
महागठबंधन की मुख्य दो पार्टियों — आरजेडी और कांग्रेस — के बीच अब भी सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है।
कांग्रेस का दावा है कि उसे कम सीटें दी जा रही हैं, जबकि आरजेडी का कहना है कि “जिन सीटों पर उसकी जमीनी स्थिति मजबूत है, वहां से समझौता संभव नहीं।”
सूत्रों के अनुसार, पटना में दोनों दलों के नेताओं के बीच देर रात तक बैठकें चल रही हैं, लेकिन अब तक अंतिम समझौता नहीं हुआ है।
महागठबंधन की मजबूती पर उठे सवाल
इस बार महागठबंधन में शामिल छोटे दल — वामपंथी पार्टियाँ और हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) भी सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर यह असंतोष यूं ही जारी रहा, तो विपक्षी गठबंधन की एकता को गहरी चोट लग सकती है।
एनडीए खेमे की रणनीति पर नज़र
दूसरी ओर, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने पहले ही अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
भाजपा और जदयू ने अपने अभियान को “विकास और स्थिर सरकार” के नारे के साथ आगे बढ़ाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी खेमे की आंतरिक कलह एनडीए के लिए रणनीतिक लाभ साबित हो सकती है।
बिहार की 243 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
इस बार बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत मिल रहे हैं —
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एनडीए गठबंधन (भाजपा-जदयू)
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महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वामदल)
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आम आदमी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दल
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अगर वोटों का विभाजन हुआ तो यह मुकाबला अप्रत्याशित परिणाम दे सकता है।
आरजेडी की पहली सूची ने बिहार चुनाव के सियासी समीकरणों को और अधिक गतिशील बना दिया है।
तेजस्वी यादव का राघोपुर से चुनाव लड़ना पार्टी के पुराने गढ़ को मजबूत करने की रणनीति है, वहीं गठबंधन की अंदरूनी असहमति चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती है।
अब निगाहें इस बात पर हैं कि महागठबंधन किस तरह सीट बंटवारे के विवाद को सुलझाकर एकजुटता का संदेश दे पाता है।