राहुल गांधी का पारंपरिक मिठाई के साथ दीपावली संदेश
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दीपावली के शुभ अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए पारंपरिक मिठाइयों के माध्यम से एक खास संदेश साझा किया। उन्होंने पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक घंटेवाला मिठाई की दुकान पर जाकर इमरती और बेसन का लड्डू बनाकर यह संदेश दिया कि दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि मिलन और संबंधों का पर्व भी है।
पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक मिठाई की दुकान का महत्व
राहुल गांधी ने वीडियो में कहा कि घंटेवाला मिठाई की दुकान सदियों से अपनी पारंपरिक मिठास और उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि यह दुकान कई पीढ़ियों से मिठाई बनाती आ रही है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ देशभर में अपनी पहचान बना चुकी है।
इमरती और बेसन लड्डू बनाने का प्रयास
कांग्रेस नेता ने खुद इमरती और बेसन लड्डू बनाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक मिठाइयों का निर्माण केवल सामग्री से नहीं, बल्कि मेहनत, प्रतिभा और प्यार से होता है। वीडियो में देखा जा सकता है कि गांधी ने मिठाई बनाने की प्रक्रिया का पालन बड़े ध्यान से किया और मिठाई के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
दीपावली की असली मिठास और संदेश
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दीपावली की वास्तविक मिठास केवल थाली में नहीं, बल्कि रिश्तों और समाज में बसी होती है। उन्होंने देशवासियों से पूछा कि वे इस वर्ष अपनी दिवाली कैसे मना रहे हैं और इसे विशेष बनाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। उनका यह प्रयास लोगों को जोड़ने और पारंपरिक मूल्यों को जीवित रखने का एक प्रयास माना जा रहा है।
दुकान के मालिक के साथ संवाद
वीडियो में दुकान के मालिक ने गांधी को बताया कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से मिठाई बनाता आ रहा है और अब वे खास अवसरों पर मिठाई सप्लाई करने का इंतजार कर रहे हैं। गांधी ने इस पर मुस्कुराते हुए कहा कि पारंपरिक मिठाईयों की यह मिठास सचमुच दिल को छूती है।
देशवासियों के लिए शुभकामनाएं
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए एक अन्य पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा कि भारत के हर घर में सुख-समृद्धि और प्रेम की रोशनी फैले। उन्होंने देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दी और संदेश दिया कि यह पर्व एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है।
राहुल गांधी का यह प्रयास न केवल एक पारंपरिक मिठाई बनाने का प्रयास था, बल्कि यह देशवासियों को जोड़ने और दिवाली के वास्तविक अर्थ को साझा करने का एक प्रयास भी था। इस तरह की पहल से त्योहार का भाव और गहरा होता है और लोग अपने परंपरागत मूल्यों के साथ इसे मनाने के लिए प्रेरित होते हैं।