प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनी परंपरा को निभाते हुए इस साल भी देश के सैनिकों के साथ दीवाली मनाई। 2014 से लेकर अब तक हर वर्ष वे किसी न किसी सीमांत या सामरिक क्षेत्र में जाकर जवानों के साथ दीपों का यह पर्व मनाते हैं। इस वर्ष उन्होंने गोवा और कर्नाटक के कारवार तट पर INS विक्रांत पर भारतीय नौसेना के बहादुर जवानों के बीच दीवाली मनाई।
प्रधानमंत्री की यह परंपरा न केवल सैनिकों के मनोबल को ऊँचा करती है, बल्कि देशवासियों के लिए यह एकता और समर्पण की मिसाल भी बन गई है।
2014 से शुरू हुई परंपरा – सियाचिन से दी शुरुआत
सियाचिन की बर्फीली धरती से पहला दीपोत्सव
2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल की पहली दीवाली दुनिया के सबसे ऊँचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में मनाई। माइनस 40 डिग्री तापमान में जवानों के बीच पहुंचकर उन्होंने मिठाइयाँ बांटीं और कहा – “आप सबकी वजह से देश सुरक्षित है। आपकी सेवा और त्याग ही हमारी सच्ची दीवाली है।”
यहीं से शुरू हुई यह परंपरा, जो अब हर साल एक नए मोर्चे पर देशभक्ति का प्रतीक बन चुकी है।
हर साल एक नया सीमांत – एक ही संदेश: ‘राष्ट्र पहले’
2015 – पंजाब का युद्ध स्मारक और वीरता का सम्मान
2015 में पीएम मोदी ने पंजाब में भारतीय सेना के जवानों के साथ दीवाली मनाई। उन्होंने 1965 युद्ध के वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान को चेताया कि भारत की सेना हर चुनौती का डटकर सामना कर सकती है।
2016 – हिमाचल में डोगरा स्काउट्स के संग दीपोत्सव
2016 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सैनिकों के साथ दीवाली मनाई। प्रधानमंत्री ने जवानों से कहा कि “आप सब मेरे परिवार हैं।”
उन्होंने सैनिकों से दोस्त की तरह मुलाकात की, उनसे बातें कीं और स्मृति के रूप में सामूहिक तस्वीरें भी खिंचवाईं।
2017 – बांदीपोरा में आतंकवाद पर कड़ा संदेश
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में प्रधानमंत्री ने 2017 में बीएसएफ और सेना के जवानों संग दीप जलाए। उन्होंने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया – “अगर आतंकवाद पाला जाएगा तो उसका अंजाम बुरा ही होगा।”
देश के हर कोने में सैनिकों के संग दीप उत्सव
2018 – उत्तरकाशी की घाटियों में देशभक्ति का उजास
2018 में पीएम मोदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सेना और आईटीबीपी जवानों के बीच दीवाली मनाई। उन्होंने मिठाई खिलाकर जवानों का मनोबल बढ़ाया और कहा कि “यह पर्व आपके त्याग को समर्पित है।”
2019 – राजौरी की सीमाओं पर वीरता को नमन
2019 में प्रधानमंत्री ने राजौरी (जम्मू-कश्मीर) में एलओसी पर तैनात सैनिकों संग दीपोत्सव मनाया। उन्होंने ‘हॉल ऑफ फेम’ का दौरा किया और इसे “पराक्रम भूमि, प्रेरणा भूमि, पावन भूमि” बताया।
2020 के बाद – संदेश, सुरक्षा और समर्पण
2020 – जैसलमेर के लोंगेवाला से पाकिस्तान को जवाब
14 नवंबर 2020 को पीएम मोदी ने लोंगेवाला पोस्ट (राजस्थान) में सैनिकों संग दीवाली मनाई। उन्होंने 1971 के युद्ध में भारत की जीत को याद करते हुए कहा कि “लोंगेवाला की लड़ाई हमारे वीरों के अदम्य साहस की गाथा है।”
2021 – नौशेरा में शौर्य की नई मिसाल
2021 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में दीवाली मनाई और ब्रिगेडियर उस्मान, नायक जदुनाथ सिंह सहित कई वीरों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, “यह भूमि भारत की बहादुरी की प्रतीक है।”
2022 – कारगिल में तिरंगे की गूंज
2022 में प्रधानमंत्री कारगिल पहुंचे और सैनिकों से कहा, “हर युद्ध में कारगिल ने भारत की जीत का ध्वज लहराया है।”
2023 – लेप्चा में मिशनों की सराहना
2023 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लेप्चा में जवानों को संबोधित किया और सूडान व तुर्की में किए गए रेस्क्यू मिशनों में सेना की भूमिका को सराहा।
2024 – सर क्रीक में एकता का संदेश
2024 में उन्होंने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सर क्रीक के पास जवानों संग दीवाली मनाई। उन्होंने कहा कि “सर क्रीक भारत की एकता और सुरक्षा का प्रतीक है।”
2025 – समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के संग दीपोत्सव
इस वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा और कर्नाटक के कारवार तटों पर INS विक्रांत पर भारतीय नौसेना के साथ दीवाली मनाई।
उन्होंने कहा – “हमारे सैनिक समुद्र से लेकर सीमाओं तक भारत की रक्षा में दिन-रात जुटे हैं, यही सच्चा राष्ट्र धर्म है।”
प्रधानमंत्री की परंपरा का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की यह परंपरा केवल त्योहार मनाने की नहीं, बल्कि यह सैनिकों के साथ ‘एकात्मता और राष्ट्रीय एकजुटता’ का प्रतीक है।
सियाचिन की बर्फीली चोटियों से लेकर कारवार के तट तक, उनका हर दीवाली उत्सव यह बताता है कि भारत की शक्ति उसके सैनिकों के समर्पण में निहित है।