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Bihar Politics: सूर्यगढ़ा में कुर्मी-धानुक और भूमिहार वोट बैंक से एनडीए को बढ़ी चुनौती

Bihar Politics Update
Bihar Politics Update: सूर्यगढ़ा में कुर्मी-धानुक और भूमिहार वोट बैंक से एनडीए को बढ़ी चुनौती (File Photo)
अक्टूबर 22, 2025

सूर्यगढ़ा में जातीय समीकरणों का नया गणित

लखीसराय ज़िले के सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी माहौल जातीय समीकरणों पर टिका हुआ है। कुर्मी, धानुक और भूमिहार समुदायों के मतदाता इस बार चुनावी परिणाम की दिशा तय कर सकते हैं। जन सुराज के प्रत्याशी और निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से एनडीए गठबंधन की राह कठिन होती दिख रही है।

जन सुराज ने एनडीए के आधार वोट बैंक में लगाई सेंध

जन सुराज ने सूर्यगढ़ा से कुर्मी समाज के प्रत्याशी को उतारकर चुनावी मुकाबले को नया रंग दे दिया है। अब तक यह समाज एनडीए का पारंपरिक आधार माना जाता रहा है। इस बार जन सुराज के प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद सिंह, जो कुर्मी समाज से आते हैं, ने मैदान में उतरकर इस वोट बैंक को विभाजित कर दिया है।

एनडीए ने भी धानुक समाज से आने वाले रामानंद मंडल, जदयू के जिला अध्यक्ष को प्रत्याशी बनाया है। जातिगत समीकरण के लिहाज से देखें तो सूर्यगढ़ा क्षेत्र में कुर्मी-कोईरी, धानुक और भूमिहार समुदायों की बड़ी जनसंख्या है।

जातीय संतुलन और उम्मीदवारों का प्रभाव

2020 के चुनाव परिणामों के आधार पर इस बार भी जातीय संतुलन का असर निर्णायक होगा। इस बार जन सुराज के प्रत्याशी अमित सागर कुर्मी समाज से हैं और वे जसुपा के उम्मीदवार के रूप में मेदनीचौकी के अमरपुर गांव से ताल ठोक रहे हैं। यह इलाका कुर्मी-धानुक समाज की अधिकता वाला क्षेत्र है। इस कारण एनडीए के परंपरागत वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है।

भूमिहार समाज की भूमिका और निर्दलीय प्रभाव

निर्दलीय प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह भूमिहार समाज के सशक्त नेता माने जाते हैं। वे सूर्यगढ़ा नगर परिषद क्षेत्र के सलेमपुर गांव से आते हैं और 2020 में उन्हें 44 हजार से अधिक वोट मिले थे। इस बार भी भूमिहार समाज का झुकाव उन्हीं की ओर रहने की संभावना है।
यह परिस्थिति एनडीए प्रत्याशी रामानंद मंडल के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है क्योंकि भूमिहार मतों का बंटवारा सीधे तौर पर विपक्ष के पक्ष में जाएगा।

राजद प्रत्याशी का स्थिर वोट बैंक

वहीं राजद प्रत्याशी प्रेम सागर चौधरी, जो यादव समाज से आते हैं, का वोट बैंक अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है। यादव समाज इस क्षेत्र में परंपरागत रूप से राजद का समर्थक रहा है और इस बार भी कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा है। इसका लाभ राजद को सीधे तौर पर मिल सकता है।

राजनीतिक समीकरणों का बदलता स्वरूप

यदि जातिगत समीकरणों की समग्र तस्वीर देखें तो इस बार सूर्यगढ़ा में मुकाबला बहुकोणीय हो गया है।

  • कुर्मी समाज जन सुराज और एनडीए में बंटा दिख रहा है।

  • धानुक समाज एनडीए के साथ तो है, परंतु आंतरिक असंतोष की चर्चा भी है।

  • भूमिहार मतदाता निर्दलीय उम्मीदवार की ओर झुक रहे हैं।

  • यादव वोट बैंक राजद के पक्ष में स्थिर है।

इन परिस्थितियों में एनडीए का पारंपरिक समीकरण कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। यदि कुर्मी, धानुक और भूमिहार समुदायों के वोट विभाजित होते हैं तो इसका सीधा लाभ राजद को मिल सकता है।

एनडीए के लिए बढ़ी चुनौती

सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण हर चुनाव में बदलते रहे हैं, लेकिन इस बार जातीय समीकरणों का असर पहले से कहीं अधिक गहरा दिख रहा है।
राजद जहां स्थिर आधार के साथ मैदान में है, वहीं एनडीए को अपने ही वोट बैंक के बिखराव की चुनौती से जूझना पड़ रहा है।
जन सुराज और निर्दलीय प्रत्याशियों की सक्रियता ने चुनाव को अत्यंत रोचक बना दिया है।

सूर्यगढ़ा विधानसभा की यह लड़ाई केवल उम्मीदवारों की नहीं, बल्कि जातीय समीकरणों की परख भी बन चुकी है।
यदि कुर्मी, धानुक और भूमिहार समाज के वोट विभाजित हुए तो एनडीए के लिए यह सीट बचाना कठिन हो सकता है
राजद के स्थिर वोट बैंक और जन सुराज की बढ़ती पैठ के बीच, सूर्यगढ़ा का यह चुनाव बिहार राजनीति का सबसे दिलचस्प मुकाबला बन चुका है।

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