राष्ट्रपति मुर्मू की ऐतिहासिक सबरीमाला यात्रा
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में जाकर इतिहास रच दिया। वह पिछले 50 वर्षों में इस पवित्र स्थल की यात्रा करने वाली पहली कार्यरत भारतीय राष्ट्रपति बनीं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की।

इरुमुड़ी के साथ परंपरागत रीति से पूजा
राष्ट्रपति मुर्मू ने सबरीमाला मंदिर में पारंपरिक ‘इरुमुड़ी’ (धार्मिक प्रसाद और पूजन सामग्री से भरा वस्त्र बंडल) को अपने सिर पर रखकर मंदिर में प्रवेश किया। उन्होंने भक्तों की तरह नंगे पांव पवित्र 18 सीढ़ियों की चढ़ाई की, जो अय्यप्पा स्वामी के दर्शन से पहले भक्तों के लिए एक प्रमुख अनुष्ठान मानी जाती है।
राष्ट्रपति ने पूरी यात्रा के दौरान काले वस्त्र धारण किए, जो सबरीमाला यात्रा की परंपरा के अनुरूप है। उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना कर देश और समाज की समृद्धि की प्रार्थना की।
हेलिकॉप्टर हादसे के बाद सड़क मार्ग से पहुंचीं मंदिर
इस ऐतिहासिक यात्रा से ठीक पहले राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर को खराब मौसम के कारण कोच्चि से उड़ान भरते समय पथ बदलना पड़ा। विमान को अंततः पथानमथिट्टा जिले के प्रमादम स्टेडियम में आपातकालीन रूप से उतारा गया, जहां उसका पिछला पहिया गीले कंक्रीट में धंस गया।
मौके पर मौजूद पुलिस और अग्निशमन कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए हेलिकॉप्टर को सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना में किसी प्रकार की चोट या नुकसान नहीं हुआ। सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद राष्ट्रपति ने सड़क मार्ग से सबरीमाला की यात्रा जारी रखी।
भक्तिभाव से पूरी की चढ़ाई
राष्ट्रपति मुर्मू ने अत्यंत श्रद्धाभाव से मंदिर के पवित्र परिसर में प्रवेश किया। स्थानीय प्रशासन और मंदिर अधिकारियों ने उनके लिए आवश्यक प्रबंध किए थे, ताकि धार्मिक परंपराओं का सम्मान बना रहे। उन्होंने वहां उपस्थित पुजारियों के मार्गदर्शन में पूजा की और देश के कल्याण की कामना की।
चार दिवसीय केरल यात्रा का सांस्कृतिक महत्व
यह यात्रा राष्ट्रपति मुर्मू के चार दिवसीय केरल दौरे का हिस्सा थी, जिसमें उन्होंने कई सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया। उनका यह दौरा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा।
राष्ट्रपति के इस दौरे को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह देखा गया। कई श्रद्धालु और स्वयंसेवक मंदिर परिसर में मौजूद रहे ताकि राष्ट्रपति की ऐतिहासिक यात्रा का साक्षी बन सकें।
50 वर्षों में पहली बार किसी कार्यरत राष्ट्रपति की यात्रा
यह सबरीमाला मंदिर के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि 50 वर्षों में पहली बार किसी कार्यरत भारतीय राष्ट्रपति ने यहां दर्शन किए। इस कदम को महिला सशक्तिकरण और भारतीय परंपरा के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक और धार्मिक विश्लेषकों के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा देश की आध्यात्मिक धारा में एकता और समानता का प्रतीक है।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था रही सतर्क
राष्ट्रपति की सुरक्षा को देखते हुए केरल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद यात्रा शांतिपूर्ण और सफल रही।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सबरीमाला यात्रा भारतीय परंपरा, नारी शक्ति और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक बन गई है। हेलिकॉप्टर की तकनीकी बाधा के बावजूद उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखकर यह संदेश दिया कि आस्था और संकल्प किसी भी कठिनाई से ऊपर हैं। यह यात्रा भारतीय जनमानस में लंबे समय तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।