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Delhi AQI: दिवाली के दो दिन बाद दिल्ली में AQI पहुँचा पाँच साल का न्यूनतम स्तर, प्रदूषण 350 पार

Delhi AQI Post-Diwali: दिवाली के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 तक पहुंचा, PM2.5 स्तर WHO सीमा से 100 गुना अधिक
Delhi AQI Post-Diwali: दिवाली के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 तक पहुंचा, PM2.5 स्तर WHO सीमा से 100 गुना अधिक (File Photo)
अक्टूबर 22, 2025

दिवाली के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गंभीर गिरावट

दिल्ली की हवा दिवाली के उत्सव के बाद बेहद प्रदूषित हो गई है। 22 अक्टूबर 2025 को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 पर पहुँच गया, जो पिछले पाँच वर्षों में इस समय के लिए सबसे खराब स्थिति मानी जा रही है।

PM2.5 स्तर WHO सीमा से कई गुना अधिक

वायु में PM2.5 स्तर औसतन 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है और लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।

आतिशबाज़ी और प्रदूषण में वृद्धि

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार के दिवाली उत्सव में आतिशबाज़ी के कारण प्रदूषण में 30-40% तक का योगदान रहा। हालांकि सरकार ने ‘ग्रीन क्रैकर्स’ के उपयोग को बढ़ावा दिया था और कई प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन इनका प्रभाव सीमित रहा।

पराली जलाने में कमी, फिर भी प्रदूषण चरम पर

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 77% की गिरावट देखी गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है। इसके बावजूद, राजधानी में वायु गुणवत्ता इतनी खराब हुई कि इसका मुख्य कारण स्थानीय उत्सव और आतिशबाज़ी को माना जा रहा है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

दिल्ली में प्रदूषण संकट के दौरान BJP और AAP नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा। दोनों दल एक-दूसरे को दीर्घकालिक प्रदूषण निवारण में विफल होने का दोष दे रहे हैं।

GRAP Stage II उपाय लागू

दिल्ली सरकार ने ग्रामीण प्रदूषण राहत उपाय योजना (GRAP) Stage II के तहत आवश्यक उपाय लागू किए हैं। हालांकि अभी तक स्थिति को और गंभीर बनाने वाले कदम नहीं उठाए गए हैं, लेकिन चेतावनी जारी है कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।


स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर का प्रदूषण बच्चों, बुज़ुर्गों और अस्थमा या फेफड़ों की बीमारियों वाले व्यक्तियों के लिए अत्यधिक हानिकारक है। उन्हें घर के अंदर रहने, मास्क पहनने और प्रदूषित क्षेत्रों में जाने से बचने की सलाह दी गई है।

इसके अलावा, लंबे समय तक ऐसे स्तर का प्रदूषण हृदय और फेफड़ों के रोग, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता

विशेषज्ञों का कहना है कि केवल ग्रीन क्रैकर्स और पराली जलाने पर नियंत्रण पर्याप्त नहीं है। दिल्ली की हवा को शुद्ध रखने के लिए सार्वजनिक परिवहन बढ़ाना, उद्योगों का नियमन, और वृक्षारोपण जैसे स्थायी उपाय आवश्यक हैं।

दिवाली के बाद दिल्ली में AQI का 350 तक पहुँच जाना यह संकेत है कि त्योहार और प्रदूषण नियंत्रण के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। जनता को व्यक्तिगत स्तर पर सतर्क रहना होगा, जबकि सरकार और स्थानीय प्रशासन को दीर्घकालिक प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं पर गंभीरता से काम करना होगा।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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