Petrol Price in Delhi 23rd October, 2023:
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर 2025 — राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें लगातार 11 महीनों से बिना किसी बदलाव के ₹94.77 प्रति लीटर पर स्थिर बनी हुई हैं। यह स्थिति 30 अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक कायम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह स्थिरता जनता के लिए राहत का संकेत है या आने वाले दिनों में किसी बड़े बदलाव की भूमिका तैयार हो रही है?
दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें स्थिर — आम जनता को राहत या चिंता?
विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में अपेक्षाकृत संतुलन बना हुआ है, जिससे भारत जैसे बड़े आयातक देश को फिलहाल राहत मिली है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा कर ढांचे में कोई बड़ा संशोधन न किए जाने से भी कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
दिल्ली में पेट्रोल की दरें भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों — इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम — द्वारा तय की जाती हैं। ये कंपनियाँ रोजाना सुबह 6 बजे कीमतों की समीक्षा करती हैं।
दिल्ली में पेट्रोल उपभोग का परिदृश्य
दिल्ली, देश की राजधानी होने के साथ-साथ वाहनों की दृष्टि से भी अग्रणी शहर है। यहां रोजाना लगभग 1,800 नए वाहन सड़कों पर उतरते हैं। दोपहिया वाहनों की संख्या सर्वाधिक है, जिससे पेट्रोल की खपत में निरंतर वृद्धि देखी जाती है। वर्ष 2024 के अंत तक दिल्ली में कुल 1.2 करोड़ से अधिक पंजीकृत वाहन दर्ज किए गए थे।
स्थानीय व्यापार पर प्रभाव
स्थिर दरें भले ही जनता के लिए राहतजनक प्रतीत होती हों, लेकिन व्यापारिक वर्ग इसे दोहरे दृष्टिकोण से देख रहा है। कई छोटे व्यापारी और परिवहन सेवा प्रदाता मानते हैं कि कीमतों में किसी भी अचानक वृद्धि से उनकी लागत बढ़ सकती है, इसलिए वर्तमान स्थिरता उन्हें अपनी वित्तीय योजनाएं स्थिर रखने का अवसर दे रही है।
वहीं, दूसरी ओर, लॉजिस्टिक और डिलीवरी सेवाओं से जुड़े व्यवसाय इस बात से चिंतित हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि कच्चे तेल की दरें बढ़ीं तो इसका सीधा असर उनके संचालन खर्च पर पड़ेगा।
कर और वैट का योगदान
दिल्ली में पेट्रोल पर वर्तमान में 30% मूल्य वर्धित कर (VAT) लागू है, जो देश के प्रमुख महानगरों की तुलना में न्यूनतम है। यही कारण है कि दिल्ली में पेट्रोल अन्य महानगरों — मुंबई, चेन्नई और कोलकाता — की तुलना में सस्ता है।
राज्य सरकारें वैट दरों के माध्यम से पेट्रोल की अंतिम कीमत तय करती हैं, जबकि केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क (Excise Duty) भी इसमें सम्मिलित होता है। जब भी केंद्र सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए उत्पाद शुल्क में वृद्धि करती है, तब राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की कीमतें प्रभावित होती हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार का असर
भारत लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर तेल आपूर्ति में कमी या डॉलर की मज़बूती का सीधा असर देश के पेट्रोल-डीजल दामों पर पड़ता है। हाल के महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया स्थिर रहा है, जिससे तेल कीमतों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ा।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पश्चिम एशिया में किसी तरह का भू-राजनीतिक तनाव उत्पन्न होता है, तो आने वाले समय में पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि देखी जा सकती है।
दिल्ली के नागरिकों की प्रतिक्रिया
राजधानी के नागरिक वर्तमान में स्थिर दरों से संतुष्ट दिखाई देते हैं। दैनिक यात्रियों और निजी वाहन चालकों के लिए यह राहत का समय है, क्योंकि ईंधन लागत में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई है।
हालांकि, कई लोगों का मानना है कि सरकार को पेट्रोल पर करों में और कमी करनी चाहिए ताकि आम आदमी को और राहत मिल सके, खासकर तब जब वैश्विक तेल दरें घट रही हैं।
Petrol Price Today: सरकार की भूमिका और संभावित कदम
सरकार की नीति फिलहाल स्थिर दरों को बनाए रखने की दिशा में है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल कोई नया कर संशोधन प्रस्तावित नहीं है। इसके साथ ही, सरकार वैकल्पिक ऊर्जा साधनों — जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों — के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दे रही है ताकि भविष्य में पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम की जा सके।
दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें फिलहाल स्थिर बनी रहना जनता के लिए राहत का संकेत है। परंतु यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहेगी या नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा।
जहां एक ओर स्थिरता ने आम उपभोक्ता को राहत दी है, वहीं आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को दीर्घकालिक समाधान के रूप में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और कर सुधारों पर ध्यान देना चाहिए ताकि देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।