नगर निगम की लालफीतशाही पर व्यंग्यात्मक विरोध
नागपुर नगर निगम की लापरवाही और लालफीतशाही एक बार फिर नागरिकों के आक्रोश का कारण बनी है। बीते चार महीनों से शहर के एक प्रमुख क्षेत्र में सड़क धंसने के बाद जो गड्ढा खुदाई कार्य के पश्चात अधूरा छोड़ा गया, वह अब स्थानीय लोगों के लिए गंभीर संकट बन गया है। नगर निगम के उदासीन रवैये से त्रस्त नागरिकों ने अब प्रतीकात्मक विरोध का अनोखा तरीका अपनाया है — नगर आयुक्त महोदय को उसी गड्ढे के पास “फराल (भोज)” के लिए आमंत्रित किया गया है।
चार महीनों से खतरनाक गड्ढा बना संकट का कारण
इस स्थान पर भूमि धंसने की घटना के बाद मरम्मत कार्य आरंभ तो किया गया, किंतु उसे बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया। परिणामस्वरूप बड़ा गड्ढा खुले रूप में वहीं बना हुआ है। इस गड्ढे से निरंतर दुर्गंध फैल रही है, जिससे आसपास के नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। कई लोग सिरदर्द, उल्टी, और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं की शिकायत कर चुके हैं।
इसके अलावा, खुदाई कार्य में उपयोग किए गए लोहे के पाइपों के टुकड़े, मिट्टी और निर्माण सामग्री भी वहीं बिखरी पड़ी है, जिससे किसी भी समय दुर्घटना घट सकती है। बच्चों और जानवरों के गिरने का खतरा बना रहता है।
निगम की अनदेखी से भड़के नागरिक
स्थानीय नागरिकों ने अनेक बार नगर निगम के संबंधित विभाग को लिखित और मौखिक शिकायतें दीं, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतों के बाद भी स्थल पर न तो सफाई की गई और न ही गड्ढे को बंद करने का कोई प्रयास दिखा। इस प्रशासनिक ढिलाई ने नागरिकों को मजबूर कर दिया कि वे अब व्यंग्यात्मक विरोध का सहारा लें।
24 अक्टूबर 2025 की सुबह 11 बजे नागरिक प्रतिनिधिमंडल नगर आयुक्त महोदय को औपचारिक रूप से आमंत्रण पत्र सौंपेगा, जिसमें उल्लेख होगा कि “चूंकि नगर निगम ने इस गड्ढे को स्थायी रूप से छोड़ने का निश्चय कर लिया है, अतः इसे शहर की नई पहचान के रूप में स्वीकार करते हुए इसी स्थल पर फराल (भोज) आयोजित किया जाए।”
फराल आमंत्रण का उद्देश्य – व्यंग्य में छिपा आक्रोश
यह विरोध प्रदर्शन मात्र हास्य नहीं, बल्कि एक गहरी पीड़ा की अभिव्यक्ति है। नागरिकों का कहना है कि यदि नगर निगम अपने ही बनाए गड्ढे के पास बैठकर भोजन कर सके, तो शायद उन्हें नागरिकों की समस्याओं का वास्तविक अनुभव होगा। इस प्रतीकात्मक फराल के माध्यम से लोगों ने निगम के उच्च अधिकारियों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि विकास कार्यों की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्थानीय जनसंघटन और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन
स्थानीय सामाजिक संगठन और जनसंघटन भी इस प्रतीकात्मक विरोध में शामिल हो गए हैं। उन्होंने नगर निगम से मांग की है कि इस गड्ढे की तत्काल मरम्मत की जाए, स्थल की स्वच्छता सुनिश्चित की जाए और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए।
संगठन के एक सदस्य ने कहा, “नगर निगम के अधिकारी केवल शिकायतें दर्ज कर फोटो खींचने तक सीमित हैं। वास्तविक कार्यवाही के नाम पर शहर के नागरिकों को केवल आश्वासन ही मिलता है।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस मामले पर नगर निगम के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि उन्हें नागरिकों की शिकायत प्राप्त हुई है और जल्द ही स्थल का निरीक्षण कर कार्य आरंभ किया जाएगा। हालांकि, स्थानीय लोग इस प्रकार के आश्वासनों को पूर्व की तरह “औपचारिक बयानबाज़ी” मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक वास्तविक कार्य नहीं होता, विरोध जारी रहेगा।
नागपुर नगर निगम की लापरवाही से उत्पन्न यह स्थिति केवल एक गड्ढे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक बन चुकी है। नागरिकों का व्यंग्यात्मक विरोध यह दर्शाता है कि जनता अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही चाहती है। आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि क्या नगर निगम सचमुच इस “फराल आमंत्रण” को गंभीरता से लेगा या फिर यह गड्ढा नागपुर की नई प्रशासनिक पहचान बन जाएगा।