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नालन्दा में मतदाता विरोध से मची राजनीतिक हलचल, वायरल वीडियो ने बढ़ाई सरगर्मी

Nalanda Viral Video
Nalanda Viral Video – नालन्दा में मतदाता विरोध से मची राजनीतिक हलचल
अक्टूबर 24, 2025

नालन्दा में वायरल वीडियो से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह ज़िले नालन्दा में इन दिनों राजनीति का पारा तेजी से चढ़ गया है। विधानसभा चुनाव के पहले चरण की तैयारियों के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो वीडियो ने पूरे जिले की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है। इन वीडियो में मतदाताओं द्वारा जनप्रतिनिधियों के विरोध की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे सत्ता पक्ष के नेताओं में बेचैनी साफ देखी जा रही है।


राजगीर में विधायक को झेलना पड़ा जनता का आक्रोश

पहला वीडियो नालन्दा के राजगीर विधानसभा क्षेत्र का है, जहाँ जदयू विधायक और मौजूदा प्रत्याशी कौशल किशोर जनसंपर्क अभियान के तहत पोखरपुर गाँव पहुँचे थे। जैसे ही उन्होंने लोगों से पुनः वोट देने की अपील की, ग्रामीणों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया।
लोगों ने “बुड़बक विधायक वापस जाओ” और “विकास कहाँ है?” जैसे नारे लगाते हुए अपना असंतोष ज़ाहिर किया। कुछ ग्रामीणों ने तो व्यंग्य में “मुर्गा खा लो विधायक जी” जैसी बातें भी कही।

स्थिति कुछ देर के लिए तनावपूर्ण रही, हालांकि बाद में कुछ लोगों ने “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ज़िंदाबाद” के नारे भी लगाए। यह विरोध इस बात का संकेत था कि जनता विकास कार्यों को लेकर संतुष्ट नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक कौशल किशोर ने अपने कार्यकाल में क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं—सड़क, शिक्षा और रोजगार—पर कोई ठोस कार्य नहीं किया। परिणामस्वरूप, जनता में गहरी नाराजगी पनप गई है।


नालन्दा विधानसभा क्षेत्र में भी विरोध के स्वर तेज़

दूसरा वायरल वीडियो नालन्दा विधानसभा क्षेत्र का है। यहाँ जदयू विधान पार्षद रीना यादव के पति और पूर्व एमएलसी राजू यादव जदयू प्रत्याशी श्रवण कुमार के लिए वोट मांगने पहुंचे थे।
जैसे ही उन्होंने प्रहलाद नगर गाँव में सभा शुरू की, उपस्थित ग्रामीणों ने महागठबंधन के प्रत्याशी के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए।

गांव में “छोटे मुखिया ज़िंदाबाद” और “श्रवण कुमार मुर्दाबाद” के नारे गूंज उठे। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया इस क्षेत्र से महागठबंधन के उम्मीदवार हैं और स्थानीय स्तर पर काफी लोकप्रिय माने जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वे विकास और ईमानदार नेतृत्व चाहते हैं, न कि केवल वादों का पुलिंदा।


जनता के रुख ने बदल दिए चुनावी समीकरण

इन दोनों घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नालन्दा जिले में इस बार का चुनाव सत्ता पक्ष के लिए आसान नहीं रहेगा।
जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री का गृह ज़िला होने के नाते जदयू को यहाँ परंपरागत बढ़त मिली हुई थी, वहीं अब मतदाताओं का खुला विरोध इस समीकरण को बदल सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध केवल नाराजगी नहीं, बल्कि जन-भावनाओं का सीधा संकेत है कि लोग अब “काम पर वोट” देना चाहते हैं।
वायरल वीडियो के बाद विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बनाकर सत्तारूढ़ गठबंधन पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस और राजद नेताओं ने कहा है कि “नालन्दा की जनता अब बदलाव चाहती है।”


सोशल मीडिया बना जन-अभिव्यक्ति का मंच

वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर बहस तेज़ हो गई है। फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और व्हाट्सऐप ग्रुप्स में नालन्दा की घटनाओं पर हजारों लोग अपनी राय दे रहे हैं।
कई लोग इन वीडियो को “जनता की जागरूकता” का प्रतीक बता रहे हैं, तो कुछ इसे “विपक्ष की साजिश” करार दे रहे हैं।

हालांकि एक बात साफ है — अब जनता नेताओं से केवल वादे नहीं, बल्कि काम का हिसाब मांग रही है।
चुनावी माहौल में मतदाताओं का यह रुख सत्तारूढ़ दल के लिए चुनौती बन गया है और विपक्ष के लिए अवसर।


नालन्दा में सियासी ज़मीन खिसकने लगी?

आगामी 6 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले नालन्दा की राजनीति में बढ़ती हलचल ने पूरे बिहार का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
नीतीश कुमार के गृह ज़िले में इस तरह का विरोध न केवल जदयू के लिए चेतावनी है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि जनता अब बदलाव की उम्मीद रखती है।
चुनावी गणित चाहे जो भी हो, नालन्दा के इन दो वायरल वीडियो ने यह साबित कर दिया है कि “जनता ही सबसे बड़ी जाँच समिति” है।

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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.

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