भारत में पेट्रोल मूल्य स्थिर, लेकिन कर और आयात लागत बनी बड़ी चुनौती
भारत में 25 अक्तूबर 2025 को पेट्रोल के दामों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। प्रमुख महानगरों में कीमतें लगभग उसी स्तर पर बनी हुई हैं—दिल्ली में ₹94.77, मुंबई में ₹103.50, चेन्नई में ₹100.80 और कोलकाता में ₹105.41 प्रति लीटर। हालांकि यह स्थिरता राहत का संकेत देती है, किंतु इन कीमतों के पीछे छिपी कर संरचना और आयात निर्भरता आम उपभोक्ताओं पर लगातार बोझ डाल रही है।
पेट्रोल मूल्य निर्धारण का वर्तमान परिदृश्य
भारत में पेट्रोल की कीमतें प्रतिदिन संशोधित होती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल दरों और रुपया-डॉलर विनिमय दर पर निर्भर करती हैं। देश की तीन प्रमुख तेल विपणन कंपनियां—इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम—हर सुबह 6 बजे के बाद नए दाम जारी करती हैं।
जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, वहीं घरेलू स्तर पर पेट्रोल की कीमतों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया गया। इसका कारण यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें उच्च कर दरों को बनाए रखे हुए हैं, जिससे खुदरा मूल्य ऊंचा बना हुआ है।
भारतीय महानगरों और राज्यों की राजधानियों में पेट्रोल की कीमतें:
| City | Price (₹/Ltr) | Price Change |
|---|---|---|
| New Delhi | ₹94.77 | 0.00 |
| Kolkata | ₹105.41 | 0.00 |
| Mumbai | ₹103.50 | 0.00 |
| Chennai | ₹100.80 | 0.00 |
| Gurgaon | ₹95.30 | -0.14 |
| Noida | ₹94.87 | 0.00 |
| Bangalore | ₹102.63 | 0.00 |
| Bhubaneswar | ₹101.11 | -0.05 |
| Chandigarh | ₹94.30 | 0.00 |
| Hyderabad | ₹107.46 | 0.00 |
| Jaipur | ₹105.40 | +0.49 |
| Lucknow | ₹94.69 | 0.00 |
| Patna | ₹105.41 | 0.00 |
| Thiruvananthapuram | ₹107.48 | 0.00 |
करों का बोझ और उपभोक्ता पर प्रभाव
पेट्रोल की वास्तविक लागत लगभग ₹45 से ₹50 प्रति लीटर होती है, परंतु उस पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगने वाले उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (VAT) के कारण कीमतें लगभग दोगुनी हो जाती हैं। कुछ राज्यों में वैट 30% से भी अधिक है।
2014 से अब तक पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में लगभग 50 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। सरकार ने 2018 के बजट में कुछ राहत दी थी, लेकिन ‘रोड सेस’ के रूप में ₹8 प्रति लीटर का नया कर जोड़ दिया गया, जिससे वास्तविक राहत नहीं मिल सकी।
अंतरराष्ट्रीय कारक और आयात निर्भरता
भारत अपनी पेट्रोलियम आवश्यकताओं का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर घरेलू पेट्रोल मूल्य स्वतः बढ़ जाते हैं। हाल के वर्षों में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध तथा पश्चिम एशिया में अस्थिरता ने कच्चे तेल की आपूर्ति को प्रभावित किया है।
हालांकि भारत ने रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदना जारी रखा, फिर भी रुपया-डॉलर विनिमय दर के उतार-चढ़ाव ने इस सस्ती खरीद के लाभ को संतुलित कर दिया।
राज्यवार पेट्रोल मूल्य का अंतर
देशभर में पेट्रोल की कीमतें कर संरचना और परिवहन लागत के कारण अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए—दिल्ली में ₹94.77 प्रति लीटर पेट्रोल वहीं मुंबई में ₹103.50 और जयपुर में ₹105.40 प्रति लीटर बिक रहा है। यह अंतर मुख्य रूप से राज्यों में वैट की भिन्नता और तेल डिपो से दूरी पर आधारित है।
उपभोक्ता व्यवहार और बढ़ती मांग
भारत में पेट्रोल वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश के लगभग 80% वाहन पेट्रोल आधारित हैं। युवाओं में कार और दोपहिया वाहनों की मांग में तेज़ उछाल देखा गया है, जिससे ईंधन की खपत लगातार बढ़ रही है।
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रसार हो रहा है, लेकिन ईएमआई योजनाओं और सस्ते ऋण विकल्पों ने पारंपरिक पेट्रोल वाहनों की मांग को कम नहीं किया है।
पेट्रोल कीमतों में सुधार की संभावनाएं
सरकार ने संकेत दिया है कि भविष्य में पेट्रोल और डीज़ल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो पूरे देश में ईंधन की कीमतों में समानता आ सकती है और उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है।
फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों, घरेलू कर नीति और मांग के दबाव को देखते हुए निकट भविष्य में पेट्रोल सस्ता होने की संभावना कम है।
भारत में पेट्रोल मूल्य निर्धारण केवल कच्चे तेल की कीमतों पर नहीं, बल्कि जटिल कर संरचना, आयात निर्भरता और सरकारी नीतियों पर भी आधारित है। जब तक करों में कमी या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का बड़ा विस्तार नहीं होता, तब तक उपभोक्ताओं को ऊंचे पेट्रोल दामों के साथ जीना होगा।