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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में ‘सबके फोन ट्रैक’ बयान पर सियासी तूफ़ान; राजस्व मंत्री ने दी सफाई

Phone Tracking Controversy Maharashtra
Phone Tracking Controversy Maharashtra – राजस्व मंत्री के बयान पर सियासी विवाद और सफाई (File Photo)
अक्टूबर 25, 2025

महाराष्ट्र में ‘सबके फोन ट्रैक’ बयान से मचा सियासी विवाद

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में स्थानीय और नगर निकाय चुनावों के पूर्व, राज्य के राजस्व मंत्री और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के बयान ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने 23 अक्टूबर को एक कार्यक्रम में कहा कि भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं की गतिविधियों और व्हाट्सऐप संदेशों पर नजर रख रही है। इस बयान के बाद विपक्ष खासकर शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने मामले की गंभीरता बताई और बावनकुले की गिरफ्तारी की मांग की।

विवाद के बाद दी गई सफाई

विवाद बढ़ने पर बावनकुले ने स्पष्ट किया कि उनके बयान को गलत समझा गया। उन्होंने बताया कि भाजपा के लगभग एक लाख व्हाट्सऐप ग्रुप्स पार्टी के वॉर रूम से जुड़े हैं। इन ग्रुप्स में कार्यकर्ताओं की गतिविधियों, टिप्पणियों और प्रतिक्रियाओं पर निगरानी रखी जाती है ताकि चुनावी रणनीति और कामकाज को बेहतर बनाया जा सके।

बावनकुले ने कहा,
“हमारे कार्यकर्ताओं के काम और टिप्पणियों की समीक्षा से यह पता चलता है कि सरकार की योजनाएं कितनी प्रभावी हैं और जनता तक कैसे पहुंच रही हैं।”

भाजपा नेता ने आगे यह भी कहा कि पार्टी इन ग्रुप्स के संदेशों के आधार पर माहौल और निर्णय लेती है। उन्होंने साफ किया कि किसी नकारात्मक टिप्पणी को हटाना और सकारात्मक माहौल बनाना संगठनात्मक प्रक्रिया का हिस्सा है।

महायुति पर बड़ा दावा

स्थानीय चुनावों के संदर्भ में बावनकुले ने दावा किया कि महायुति (बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी) गठबंधन 51% वोट हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी जितनी भी एकजुट हो जाए, उसे किसी भी जिला परिषद या नगर परिषद में सफलता नहीं मिलेगी।

बावनकुले ने बताया कि प्रत्येक जिले में तीन नेताओं की कमेटी गठित की गई है, ताकि टिकट बंटवारे में कोई विवाद न हो। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि गठबंधन के भीतर मतभेद से बचें और विपक्ष को वास्तविक प्रतिद्वंदी मानें।

कांग्रेस में संवाद की कमी, बीजेपी में अवसर

बावनकुले ने यह भी कहा कि कई कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल होने के इच्छुक हैं, क्योंकि कांग्रेस में संवाद की कमी और वरिष्ठ पदाधिकारियों की ओर से उपेक्षा महसूस की जाती है। उन्होंने कहा,
“बीजेपी में कोई भी कार्यकर्ता सीधे वरिष्ठ नेताओं से मिल सकता है, यह हमारी ताकत है।”

विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान चुनावी रणनीति और संगठनात्मक गतिविधियों की पारदर्शिता को लेकर बड़ा संकेत है, लेकिन साथ ही विपक्ष के लिए यह संवेदनशील मुद्दा बन गया है।

राजनीतिक हलचल और मीडिया प्रतिक्रिया

बावनकुले के बयान के बाद मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई। विपक्ष ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन बताया। वहीं, भाजपा ने इसे चुनावी रणनीति और संगठनात्मक निगरानी का हिस्सा बताया।

विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी माहौल में ऐसे बयान राजनीतिक प्रतिक्रिया को बढ़ा सकते हैं। जबकि कार्यकर्ता इसे संगठन की मजबूती और चुनावी तैयारी का संकेत मानते हैं।

राज्य के आगामी चुनावों के मद्देनजर, इस बयान ने सियासी बहस और मीडिया की निगाहें दोनों को आकर्षित किया है। चाहे यह बयान चुनावी रणनीति की पारदर्शिता को दर्शाता हो या विपक्ष के लिए विवादास्पद हो, इसका असर महाराष्ट्र की राजनीति पर लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।

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