छठ गीत: महापर्व की आत्मा
छठ पूजा केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और संगीत का अद्भुत संगम है। चार दिनों तक चलने वाला यह महाव्रत छठ गीतों के बिना अधूरा प्रतीत होता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हर घर और घाट पर इन गीतों की गूंज इस महापर्व की रौनक को और बढ़ा देती है।
25 अक्टूबर 2025 से नहाय-खाय के साथ छठ पूजा शुरू हो चुकी है। इस अवसर पर छठ गीतों की विशेष धुनों से वातावरण भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो जाता है।
हो दीनानाथ
शारदा सिन्हा, जिन्हें बिहार की कोकिला कहा जाता है, ने कई छठ गीत गाए हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय है “हो दीनानाथ”, जिसे उन्होंने 1986 में गाया था। आज भी यह गीत हर घर और घाट पर सुनाई देता है और श्रद्धालुओं के मन में भक्ति का संचार करता है।
उग हो सूरज देव
अनुराधा पौडवाल द्वारा 2002 में गाया गया “उग हो सूरज देव” छठ पूजा की शामों में अपरिहार्य गीत है। इसके बिना संध्या अर्घ्य अधूरा लगता है। यूट्यूब पर इसे साढ़े पांच करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है।
गजमोती चौका पुराइले
कल्पना पतोवर का यह गीत “गजमोती चौका पुराइले” भी छठ महापर्व की महत्वपूर्ण धुनों में गिना जाता है। 2002 में इस गीत को प्रस्तुत किया गया था और आज भी लाखों श्रद्धालु इसे सुनते हैं।
केलवा के पात पर
“केलवा के पात पर” शारदा सिन्हा का एक ऐसा गीत है, जो यूट्यूब पर अब तक सबसे अधिक व्यूज प्राप्त कर चुका है। इस गीत की मधुर धुन सुनते ही श्रद्धालुओं के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
पहिले पहिल छठी मैया
छठ पूजा में “पहिले पहिल छठी मैया” का गीत भी प्रमुख स्थान रखता है। शारदा सिन्हा ने इसे 2016 में गाया था और यह गीत आज भी घर-घर और घाट-घाट बजता है।
छठ पूजा के चार दिन गीतों की मधुरता और श्रद्धालुओं की भक्ति के बिना अधूरे हैं। इन गीतों की वजह से छठ महापर्व केवल एक व्रत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर बनकर हमारे समाज में जीवंत रहता है।