अवैध निर्माण का इतिहास
मेरठ के शास्त्रीनगर क्षेत्र में स्थित सेंट्रल मार्केट का विवादित व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स लंबे समय से प्रशासन और व्यापारियों के बीच मुद्दा बना हुआ था। यह भूखंड 1986 में केवल आवासीय उपयोग के लिए आवंटित किया गया था, लेकिन वर्षों के दौरान यहां अवैध रूप से व्यावसायिक निर्माण विकसित हो गया।
1990 में आवास विकास परिषद ने इसे ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन कानूनी प्रक्रिया लंबी और जटिल होने के कारण कार्रवाई स्थगित होती रही। व्यापारियों की याचिकाओं और स्थगन के अनुरोधों के कारण यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को आदेश दिया कि सेंट्रल मार्केट के इस अवैध व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को तीन माह के भीतर खाली कराकर दो सप्ताह में ध्वस्त किया जाए। आदेश के बावजूद कई महीनों तक कार्रवाई नहीं हुई।
अक्टूबर 2025 में प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में 22 दुकानों को खाली कराया। दुकानदारों से रात्रीकालीन समय में उनके सामान और वस्तुएँ हटाने के निर्देश दिए गए। याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद दायर किया था, जिससे कोर्ट ने तत्काल नोटिस जारी कर सभी संबंधित अधिकारियों और व्यापारियों को जवाब देने को कहा।
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— Meerut Media (@meerutmedia) October 25, 2025
ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया
25 अक्टूबर, 2025 को ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। मुख्य मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। पोर्क लेन मशीन से कॉम्प्लेक्स के अवैध हिस्सों को तोड़ा गया। प्रशासन ने कहा कि यह कार्रवाई कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत की जा रही है।
व्यापारी पहले ही विरोध कर चुके थे और कोर्ट में अपने हितों की रक्षा के लिए याचिकाएं दाखिल की थीं। प्रशासन ने उन्हें कई बार समझाया कि यह आवासीय भूखंड पर व्यावसायिक निर्माण का उल्लंघन है और इसे कानूनी रूप से सहन नहीं किया जा सकता।
प्रशासन और अधिकारियों की भूमिका
इस कार्रवाई में डीएम, एसएसपी, गृह सचिव, आवास आयुक्त और आवास विकास परिषद के अधिकारी शामिल रहे। अधिकारियों ने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन करना उनका कर्तव्य है और अवैध निर्माण से क्षेत्र की योजना और सुरक्षा प्रभावित होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने छह अक्टूबर को सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारियों और व्यापारियों को दो सप्ताह में जवाब देने को कहा। इसके बाद प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की तिथि तय की और कार्रवाई प्रारंभ की।
व्यापारियों की प्रतिक्रिया
व्यापारी असंतुष्ट रहे। उन्होंने कहा कि कई लोग वर्षों से इस स्थान पर व्यवसाय कर रहे हैं और उनके व्यवसाय की आर्थिक हानि होगी। उन्होंने कोर्ट में स्थगन याचिका दी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में उनकी दलीलें मान्य नहीं हुईं।
स्थानीय लोग और बाजार के अन्य व्यापारी इस कार्रवाई को सही मानते हैं। उनका कहना है कि कानून के उल्लंघन को किसी भी हाल में सहन नहीं किया जा सकता।
मेरठ के शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में अवैध व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का ध्वस्तीकरण इस बात का संकेत है कि सुप्रीम कोर्ट और प्रशासन नियमों के पालन के प्रति गंभीर हैं। 1986 में आवासीय उपयोग के लिए आवंटित भूखंडों पर अवैध निर्माण को रोकना और ध्वस्त करना आवश्यक था।
यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि कानूनी प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन अंततः न्याय की जीत होती है। बाजार की नियमितता और नियोजन को बनाए रखने के लिए ऐसे कदम जरूरी हैं।