अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस से हुई दो किशोरों की दर्दनाक मौत, हेडफोन बना काल का कारण
डिजिटल डेस्क, जलगांव (महाराष्ट्र)।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में रविवार सुबह एक हृदयविदारक हादसा घटित हुआ। पालधी गांव के समीप रेलवे पटरी पर बैठे दो किशोर अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गए, जिससे दोनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। इस दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है।
घटना की पृष्ठभूमि
धरनगांव पुलिस के अनुसार, हादसा रविवार सुबह लगभग 11 बजे हुआ जब अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस तेज रफ़्तार से जलगांव की ओर बढ़ रही थी। उसी दौरान पालधी गांव के निकट दो किशोर – प्रशांत खैरनाल (16 वर्ष) और हर्षवर्धन नन्नावरे (17 वर्ष) – रेलवे लाइन के किनारे बैठे हुए थे। दोनों ने हेडफोन लगा रखे थे, जिसके कारण वे न तो ट्रेन की सीटी सुन पाए और न ही लोको पायलट की चेतावनी।
ट्रेन के लोको पायलट ने बताया कि उसने दोनों को समय रहते चेतावनी देने हेतु कई बार हॉर्न बजाया, परंतु हेडफोन की वजह से दोनों को कुछ सुनाई नहीं दिया और ट्रेन की चपेट में आने से दोनों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई।
लोको पायलट का बयान और प्रारंभिक जांच
लोको पायलट के बयान के अनुसार, यह दुर्घटना किसी आत्महत्या या आपराधिक लापरवाही का मामला प्रतीत नहीं होती। दोनों किशोरों के कानों में हेडफोन लगे हुए थे और वे आपस में बातचीत कर रहे थे। ट्रेन के अत्यधिक नज़दीक आने तक उन्हें स्थिति की गंभीरता का एहसास नहीं हुआ।
धरनगांव थाने के पुलिस निरीक्षक ने बताया कि पुलिस ने अप्राकृतिक मृत्यु का मामला (Accidental Death Report) दर्ज किया है और आगे की जांच प्रारंभ कर दी गई है। दोनों मृतक किशोर जलगांव शहर के महात्मा फुले नगर के निवासी बताए जा रहे हैं और एक ही विद्यालय में अध्ययनरत थे।
परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़
घटना की सूचना मिलते ही परिवारों में कोहराम मच गया। परिजनों ने बताया कि दोनों किशोर पढ़ाई में अच्छे थे और रविवार की छुट्टी में घूमने के लिए बाहर निकले थे। किसी ने नहीं सोचा था कि यह दिन उनके जीवन का अंतिम दिन बन जाएगा।
स्थानीय लोगों ने बताया कि रेलवे ट्रैक के आसपास बच्चों और किशोरों का बैठना आम बात है। गांव के लोग अक्सर पटरियों के किनारे टहलने या बातें करने जाते हैं। अब इस हादसे के बाद ग्रामीणों में भय का माहौल है।
हेडफोन और मोबाइल का बढ़ता खतरा
यह पहली बार नहीं है जब हेडफोन या मोबाइल की लापरवाही ने किसी की जान ली हो। रेल प्रशासन कई बार चेतावनी जारी कर चुका है कि चलते या रेलवे ट्रैक के पास हेडफोन का उपयोग न करें।
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के एक अधिकारी ने कहा, “लोग यह समझने में असफल हैं कि रेलगाड़ियाँ कितनी तेज़ और मौन गति से आती हैं। हेडफोन के कारण बाहरी ध्वनियाँ दब जाती हैं और हादसे टाले नहीं जा सकते।”
रेल प्रशासन की अपील
जलगांव रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी ने जनता से अपील करते हुए कहा, “रेलवे ट्रैक कोई सार्वजनिक मार्ग नहीं है। यात्रियों और स्थानीय लोगों से अनुरोध है कि ट्रैक के आसपास अनावश्यक रूप से न जाएँ और हेडफोन लगाकर रेलवे लाइन के पास बैठना या चलना खतरनाक है।”
इसके साथ ही रेलवे ने स्थानीय स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है, ताकि किशोरों में रेल सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
समाप्ति विचार
यह दुखद घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग, चाहे वह मोबाइल हो या हेडफोन, कैसे जीवन के लिए घातक बन सकता है।
जलगांव हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सबक है कि “सावधानी ही सुरक्षा है”।