किसानों के सम्मान और अधिकारों के लिए बच्चू कडू की ऐतिहासिक हुंकार
नागपुरः महाराष्ट्र के किसानों, मेंढपाळों, मछुआरों और दिव्यांग नागरिकों के अधिकारों को लेकर अब आवाज़ बुलंद हो चुकी है। राज्य मंत्री एवं प्रहार जनशक्ति पक्ष के नेता बच्चू कडू ने नागपुर में एक विशाल आंदोलन — “महा एल्गार” — का बिगुल बजा दिया है। यह आंदोलन 28 अक्टूबर से आरंभ होकर किसान सम्मान, कर्जमाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सीधी चुनौती दे रहा है।
“जय जवान, जय किसान” के नारे से गूंजेगा नागपुर
यह यात्रा बेलोरा गांव से शुरू होकर आडगांव, यावली शहीद, और मार्डी के रास्ते वर्धा में रात्रि विश्राम करेगी तथा 28 अक्टूबर को नागपुर के बुटीबोरी पहुंचेगी। बच्चू कडू स्वयं ट्रैक्टर चलाकर इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रत्येक ट्रैक्टर पर “जय जवान, जय किसान” और “तिरंगा झेंडा” लहराता दिखाई देगा।
हजारों किसानों, बैलगाड़ियों, ट्रैक्टरों और मेंढपाळ समाज के लोगों के इस मार्च में भाग लेने की संभावना है। ग्रामीण महाराष्ट्र एक बार फिर एकता के रंग में रंगा हुआ दिखाई दे रहा है।
ग्रामीण समाज का पूर्ण सहयोग: गांव-गांव से पहुँच रही सामग्री
इस आंदोलन में ग्रामीण जनता ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। सोलापुर से 20,000 भाकरी, मिरची, शेंगदाने का खरड़ा, नाशिक से प्याज व सब्ज़ियाँ, लातूर से तूर दाल, और अन्य जिलों से अनाज व हुरड़ा भेजा जा रहा है। यह केवल आंदोलन नहीं, बल्कि एक जनशक्ति का उत्सव बन गया है जहाँ किसान एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने तैयार हैं।
सरकार की अधूरी घोषणाएँ और किसानों की व्यथा
बच्चू कडू ने अपने भाषण में सरकार की नीतियों पर सीधा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि “कोरा सातबारा” की घोषणा अभी तक अधूरी है। किसानों को न कर्जमाफी मिली है, न हमीभाव (MSP)। कपास और सोयाबीन जैसी फसलों के भाव लगातार गिरते जा रहे हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार की कृषि नीतियों पर तंज कसते हुए कहा — “क्या यही आत्मनिर्भर भारत है, जहाँ किसान को उसकी मेहनत का दाम भी नहीं मिलता?”
बच्चू कडू का संघर्षमय इतिहास
बच्चू कडू पहले भी कई बड़े आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं — चाहे वह उपोषण आंदोलन हो, टेंबा आंदोलन या पायदल यात्रा। उनकी यह नयी पहल एक “आरपार की लड़ाई” के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “अब यह अंतिम संघर्ष है, हम पीछे नहीं हटेंगे।”
182 किलोमीटर की यात्रा — किसान एकता का प्रतीक
यह ऐतिहासिक यात्रा 182 किलोमीटर लंबी है, जो बेलोरा से शुरू होकर बुटीबोरी में समाप्त होगी। महाराष्ट्र के सभी प्रमुख किसान नेता इस आंदोलन के समर्थन में उतर आए हैं। इस मार्च का उद्देश्य केवल विरोध नहीं, बल्कि किसानों के मुद्दों को शासन के दरबार तक पहुँचाना है।
“महा एल्गार”: किसानों के आत्मसम्मान की पुकार
“महा एल्गार” आंदोलन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की आत्मा की पुकार है। यह उन किसानों की आवाज़ है जो बरसों से अपने हक़ के लिए संघर्षरत हैं। इस रैली का संदेश स्पष्ट है —
“किसान झुकेगा नहीं, अब उसका हक़ छिनेगा नहीं।”
बच्चू कडू का यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह केवल किसान हित का नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के हक़ की आवाज़ है। आने वाले दिनों में इस “महा एल्गार” के परिणाम दूरगामी होंगे — चाहे सरकार को झुकना पड़े या जनता को नए नेतृत्व की उम्मीद दिखे।