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Supreme Court: “जूता फेंकने वाले वकील को महत्व देना उचित नहीं, घटना को अपने आप समाप्त होने दें” – सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Supreme Court lawyer shoe incident – सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अवमानना ​​नोटिस जारी करने से वकील को अनुचित महत्व मिलेगा, मुद्दे को स्वाभाविक रूप से खत्म होने दें
Supreme Court lawyer shoe incident – सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अवमानना ​​नोटिस जारी करने से वकील को अनुचित महत्व मिलेगा, मुद्दे को स्वाभाविक रूप से खत्म होने दें (File Photo)
अक्टूबर 27, 2025

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (न्याय संवाददाता):
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस वकील के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया, जिसने मुख्य न्यायाधीश (CJI) की ओर जूता फेंका था। अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना को अनावश्यक महत्व देना न्यायपालिका की गरिमा के अनुरूप नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि, “ऐसे व्यक्ति को महत्व देना या उस पर ध्यान केंद्रित करना, अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। बेहतर होगा कि इस घटना को अपने प्राकृतिक अंत की ओर जाने दिया जाए।”


अदालत ने कहा – ‘घटना को भूल जाना ही सर्वोत्तम उपाय’

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की उस मांग पर यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने घटना पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी।

पीठ ने कहा कि अदालत अपने ऊपर हुए इस तरह के हमले से विचलित नहीं होगी।
“अगर हम इस पर कोई अवमानना नोटिस जारी करते हैं, तो यह व्यक्ति वही महत्व पा जाएगा जो वह चाहता है। अदालत को ऐसी हरकतों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ना चाहिए,” — पीठ ने कहा।


घटना का पृष्ठभूमि – अदालत कक्ष में मचा हंगामा

यह घटना कुछ दिन पहले हुई थी, जब एक वकील ने सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की ओर जूता फेंक दिया था। हालांकि, वह जूता उन्हें नहीं लगा और सुरक्षा कर्मियों ने तत्परता से स्थिति को संभाल लिया।
घटना के बाद अदालत परिसर में सख्त सुरक्षा की गई थी और आरोपी वकील को हिरासत में लिया गया था।

यह घटना न केवल सुप्रीम कोर्ट परिसर बल्कि पूरे न्यायिक समुदाय में चर्चा का विषय बन गई थी। कई वरिष्ठ वकीलों और संगठनों ने इसे “न्यायपालिका की गरिमा पर हमला” बताया था।


SCBA ने मांगी थी सख्त कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने अदालत से आग्रह किया था कि इस वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस न करे।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि, “न्यायालय की शक्ति का प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब उसकी आवश्यकता हो। इस मामले में चुप रहना ही सबसे सशक्त प्रतिक्रिया होगी।”


‘न्यायपालिका को उकसावे से ऊपर रहना चाहिए’ – न्यायालय

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि न्यायपालिका को हर हाल में संयम बनाए रखना चाहिए।
पीठ ने कहा, “हम न्याय के संस्थान हैं। हमारा दायित्व केवल निर्णय देना नहीं, बल्कि समाज को शालीनता और संयम का संदेश देना भी है। अगर हम हर उकसावे पर प्रतिक्रिया देंगे, तो यह हमारे मूल सिद्धांतों के विपरीत होगा।”

अदालत ने आगे कहा कि ऐसी घटनाओं से न्यायपालिका की ताकत पर कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि इससे यह स्पष्ट होता है कि संस्थान किसी भी स्थिति में अपनी गरिमा बनाए रखता है।


न्यायिक समुदाय की प्रतिक्रिया

कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस रुख का स्वागत किया है।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने बहुत परिपक्व और संतुलित दृष्टिकोण दिखाया है। हिंसक व्यवहार का जवाब न्यायिक मर्यादा और नैतिक उच्चता से देना ही न्यायपालिका की असली पहचान है।”

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि अदालत ने यह संदेश दिया है कि “सिस्टम की गरिमा किसी व्यक्ति के व्यवहार से कम नहीं होती।”


अदालत की गरिमा और अनुशासन का संतुलन

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस बात का उदाहरण है कि अदालतें अपनी शक्ति का प्रयोग संयमपूर्वक करती हैं।
इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायपालिका की ताकत उसकी प्रतिक्रिया में नहीं, बल्कि उसकी चुप्पी में निहित है, जब वह अपने मूल्यों से समझौता किए बिना स्थिति को संभालती है।


सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय न्यायिक परंपरा में “संयम की सर्वोच्चता” का उदाहरण बन गया है।
अदालत ने यह साबित किया है कि न्याय की कुर्सी पर बैठे लोग भावनाओं के बजाय विवेक से निर्णय लेते हैं।
जूता फेंकने जैसी हरकत को न्यायालय ने जिस परिपक्वता से निपटाया, उसने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय न्यायपालिका “धैर्य, अनुशासन और मर्यादा” के आधार पर खड़ी है।


ये न्यूज पीटीआई (PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित हो गई है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com