दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायपालिका को मिला नया बल, तीन नए न्यायाधीशों ने ली शपथ
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: दिल्ली हाईकोर्ट में आज तीन नए न्यायाधीशों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने न्यायमूर्ति दिनेश मेहता, अवनीश झिंगन और चंद्रशेखरन सुधा को शपथ दिलाई।
इस मौके पर दिल्ली न्यायपालिका के कई वरिष्ठ जज, अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित रहे।
राजस्थान और केरल से हुआ स्थानांतरण
शपथ लेने वाले तीनों न्यायाधीश देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से स्थानांतरित होकर दिल्ली पहुंचे हैं।
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न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन का स्थानांतरण राजस्थान हाईकोर्ट से किया गया है।
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वहीं, न्यायमूर्ति चंद्रशेखरन सुधा अब तक केरल हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थीं।
इनके दिल्ली आने से हाईकोर्ट में न्यायिक कार्यों को गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने दिया संदेश – ‘न्याय जनता तक समय पर पहुँचे’
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट देश की न्याय व्यवस्था का एक अहम स्तंभ है और नए न्यायाधीशों के आने से न्याय वितरण की प्रक्रिया और भी प्रभावी होगी।
उन्होंने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि हर नागरिक को बिना देरी और बिना भेदभाव के न्याय मिले। नए न्यायाधीशों से हमें इस मिशन को और सशक्त बनाने की उम्मीद है।”
न्यायपालिका में विविधता और अनुभव का संगम
तीनों नए न्यायाधीश अपने-अपने न्यायालयों में लंबे अनुभव और विविध विषयों पर विशेषज्ञता रखते हैं।
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न्यायमूर्ति दिनेश मेहता को संवैधानिक और दीवानी मामलों में दक्षता के लिए जाना जाता है।
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न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन ने पर्यावरणीय न्याय और लोकहित याचिकाओं में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
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वहीं, न्यायमूर्ति चंद्रशेखरन सुधा महिला अधिकारों और मानवाधिकार से जुड़ी याचिकाओं पर अपने सशक्त निर्णयों के लिए प्रसिद्ध रही हैं।
उनकी नियुक्ति से यह संदेश भी गया है कि न्यायपालिका अब लैंगिक संतुलन और विविधता की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।
छह अन्य न्यायाधीश भी पहले कर चुके हैं शपथ ग्रहण
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में छह अन्य न्यायाधीशों — न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव, नितिन वासुदेव सम्ब्रे, विवेक चौधरी, ओम प्रकाश शुक्ला, अनिल क्षेतरपाल और अरुण कुमार मोंगा — ने भी शपथ ली थी।
इन सभी का स्थानांतरण देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों से हुआ था। इससे दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
लंबित मामलों के निस्तारण में मिलेगी तेजी
दिल्ली हाईकोर्ट में लंबे समय से लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही थी।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि नए जजों की नियुक्ति से अब न्यायिक कामकाज में तेजी आएगी और मामलों के निस्तारण की दर सुधरेगी।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा,
“नए न्यायाधीशों के आने से अदालत की पीठों में संतुलन बनेगा और मामलों की सुनवाई में देरी घटेगी।”
न्यायपालिका में तकनीक और पारदर्शिता की दिशा में कदम
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में दिल्ली हाईकोर्ट में तकनीकी सुविधाओं को और सशक्त किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट और डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली को बेहतर बनाकर न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाया जाएगा।
देश की न्याय व्यवस्था में दिल्ली हाईकोर्ट की भूमिका
दिल्ली हाईकोर्ट भारत की न्यायिक प्रणाली में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
यह न सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मामलों को देखता है बल्कि कई बार संवैधानिक महत्व के मुद्दों पर भी दिशा तय करता है।
नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से अदालत की बेंचों की क्षमता बढ़ेगी और न्यायिक निर्णयों की गुणवत्ता में और सुधार होगा।
समापन: न्यायिक संतुलन और नयी ऊर्जा का संकेत
तीन नए न्यायाधीशों का शामिल होना सिर्फ नियुक्ति भर नहीं, बल्कि एक नए संतुलन और नई ऊर्जा का संकेत है।
यह दिल्ली हाईकोर्ट को और अधिक प्रभावी, विविध और नागरिक-हितैषी बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
न्यायपालिका के भीतर इस नई ऊर्जा से न सिर्फ अदालतों का भार कम होगा बल्कि आम नागरिकों का न्याय पर भरोसा भी और मजबूत होगा।