छठ पर्व पर हादसे की छाया: बलिया में तीन श्रद्धालुओं की डूबकर मौत, परिवारों में कोहराम
बलिया (उत्तर प्रदेश), 28 अक्टूबर: छठ महापर्व की पवित्रता और श्रद्धा के बीच उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से दुखद खबर आई है। जिले के तीन अलग-अलग इलाकों — नगरा, बांसडीह और मनियर थाना क्षेत्रों — में तीन श्रद्धालुओं की डूबने से मौत हो गई।
हादसे छठ पूजा के दूसरे दिन सोमवार को हुए, जब श्रद्धालु स्नान और अर्घ्य की तैयारी में जुटे थे।
इन घटनाओं ने जिले भर में मातम का माहौल पैदा कर दिया है। जहां एक ओर घाटों पर छठी मइया के गीत गूंज रहे थे, वहीं दूसरी ओर तीन परिवारों में रोने की आवाजें उठीं।
नगरा में हादसा: पानी भरने गया युवक फिसला, मौत ने ले ली झप्पी
पहला हादसा नगरा थाना क्षेत्र में हुआ। 28 वर्षीय महेेश पटेल छठ पूजा के लिए तालाब से जल भरने गया था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, वह पानी भरते समय अचानक फिसल गया और गहराई में चला गया।
ग्रामीणों ने आनन-फानन में उसे बाहर निकाला और स्थानीय अस्पताल ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया।
डॉक्टरों ने वहां उसे मृत घोषित कर दिया।
महेेश के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में माहौल गमगीन है, जहां हर साल महेश छठ पूजा की व्यवस्था में सबसे आगे रहता था।
बांसडीह में श्रद्धालु की डूबकर मौत, मंदिर के पास हुआ हादसा
दूसरी घटना बांसडीह थाना क्षेत्र के अगौर गांव में हुई।
यहां 50 वर्षीय ढेला मिश्रा छठ पूजा के अवसर पर तालाब में स्नान कर रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वे मंदिर के पास स्थित तालाब में अर्घ्य देने से पहले डुबकी लगा रहे थे, तभी अचानक पानी में डूब गए।
लोगों ने काफी देर तक तलाश की, तब जाकर शव बरामद हुआ।
स्थानीय पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
गांव के लोगों ने बताया कि ढेला मिश्रा हर वर्ष छठ पर्व पर व्रत रखते थे और इस बार भी उत्साह से तैयारी कर रहे थे।
मनियर में तीसरा हादसा: वेदी तैयार करते समय हुआ हादसा
तीसरी दुखद घटना मनियर थाना क्षेत्र के मलौवा गांव में सामने आई।
यहां अनुज पासवान, जो कि छठ घाट की वेदी (‘बेदी’) तैयार कर रहे थे, अचानक फिसलकर तालाब में गिर गए।
लोगों ने उन्हें बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें भी मृत घोषित कर दिया।
गांव में यह खबर फैलते ही कोहराम मच गया।
अनुज के परिवार में वह इकलौता कमाने वाला सदस्य था।
पड़ोसियों ने बताया कि अनुज हर साल छठ पूजा में घाट सजाने और दीप जलाने में मदद करता था।
तीनों हादसों से जिला प्रशासन में हलचल, पुलिस जांच में जुटी
तीनों घटनाओं के बाद जिला प्रशासन और पुलिस विभाग सतर्क हो गए हैं।
पुलिस अधीक्षक ने संबंधित थानाध्यक्षों को छठ घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
प्रशासन ने सभी घाटों पर एनडीआरएफ और गोताखोर दलों की तैनाती सुनिश्चित करने की बात कही है।
एक अधिकारी ने बताया कि इस बार घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक थी और कई असुरक्षित तालाबों में भी लोग स्नान कर रहे थे।
ऐसे में एहतियात न बरतने से हादसे हुए।
श्रद्धा और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी
छठ पूजा को देश के सबसे अनुशासित और स्वच्छ त्योहारों में गिना जाता है, लेकिन हर साल ऐसी घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या श्रद्धा के साथ सुरक्षा का संतुलन बनाए रखना हमारे लिए चुनौती बन गया है?
सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि प्रशासन के साथ-साथ लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।
गहरे तालाबों, बिना रेलिंग वाले घाटों और असुरक्षित इलाकों में पूजा करना खतरनाक साबित हो सकता है।
प्रशासन ने की अपील — सुरक्षा नियमों का पालन करें श्रद्धालु
बलिया प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे छठ पर्व के दौरान पानी के किनारे बच्चों को अकेला न छोड़ें, असुरक्षित तालाबों में स्नान न करें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
जिला अधिकारी ने कहा —
“छठ पूजा हमारी आस्था का पर्व है, लेकिन सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। हर परिवार सुरक्षित रहकर पूजा करे, यही हमारी अपील है।”
समापन: श्रद्धा में डूबी मातमी शाम
छठ की शाम बलिया में दीपों की रोशनी के साथ-साथ तीन घरों में बुझी लौ का भी गवाह बनी।
जहां एक ओर घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी थी, वहीं दूसरी ओर तीन परिवारों में मातम पसरा था।
इन हादसों ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि त्योहारों की खुशियां तभी सार्थक हैं जब सुरक्षा और सतर्कता दोनों साथ हों।
ये न्यूज पीटीआई (PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित हो गई है।