तेज प्रताप यादव बोले – अब नहीं हूँ लालू यादव की छत्रछाया में
डिजिटल डेस्क, पटना।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू परिवार के भीतर की हलचल सुर्खियों में है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल (JJD) के प्रमुख तेज प्रताप यादव ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने सियासी गलियारों में तूफ़ान ला दिया है। उन्होंने कहा कि अब वे अपने पिता लालू यादव की छत्रछाया में नहीं हैं और अपनी मेहनत और जनता के समर्थन से राजनीति करेंगे।
तेज प्रताप ने अपने ताज़ा बयान में यह भी कहा कि वे “जनता के सच्चे प्रतिनिधि” बनकर काम करना चाहते हैं, न कि वंशवाद के सहारे। उनके इस बयान ने न केवल आरजेडी में असहजता पैदा की है बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों के बीच भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर सीधा प्रहार
तेज प्रताप यादव ने अपने बयान में राहुल गांधी और अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा,
“आज जो लोग खुद को जननायक कहते हैं, वे केवल पद और परिवार के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सच्चे जननायक वे हैं जिन्होंने समाज के लिए त्याग किया, न कि केवल मंचों पर भाषण देने वाले।”
तेज प्रताप ने साफ शब्दों में कहा कि लालू यादव जैसे नेताओं ने जनता के लिए संघर्ष किया, पर अब की राजनीति में निष्ठा और सेवा की भावना लुप्त होती जा रही है। उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व और तेजस्वी यादव की राजनीतिक शैली दोनों पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाए।
“लालू जी मार्गदर्शन देते हैं, पर मुझे नहीं”
तेज प्रताप यादव ने भावुक होते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव आज भी राजनीति के आदर्श हैं, लेकिन अब उनका मार्गदर्शन उन्हें नहीं मिलता।
“लालू जी अब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को दिशा दिखाते हैं, मुझे नहीं। मेरा मार्गदर्शन अब बिहार की जनता और गरीब युवा करते हैं। मैं उन्हीं की आवाज़ बनकर राजनीति करूंगा।”
उनके इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि तेज प्रताप अब परिवार की परंपरागत राजनीति से दूरी बनाना चाहते हैं और स्वतंत्र राजनीतिक पहचान की ओर बढ़ रहे हैं।
नया संगठन और नई राह: जनता के बीच अपनी पहचान
तेज प्रताप यादव ने हाल ही में अपना नया राजनीतिक संगठन जनशक्ति जनता दल (JJD) स्थापित किया है। उनका दावा है कि यह संगठन बिहार के युवाओं, किसानों और हाशिये पर खड़े वर्गों की आवाज़ बनेगा। उन्होंने कहा कि आरजेडी अब उस विचारधारा से भटक चुकी है, जिसे कभी उनके पिता ने जन्म दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप यादव अपनी “जनता से सीधी कनेक्ट” राजनीति के ज़रिए खुद को नए दौर के नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। वे “लालू के बेटे” के बजाय “जनता के बेटे” की छवि बनाना चाह रहे हैं।
परिवार में राजनीतिक तनाव की आहट
तेज प्रताप के इस बयान ने यह संकेत दिया है कि यादव परिवार के भीतर मतभेद गहराते जा रहे हैं। तेजस्वी यादव जहाँ आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी का मुख्य चेहरा बने हुए हैं, वहीं तेज प्रताप धीरे-धीरे खुद को एक स्वतंत्र राजनीतिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
आरजेडी के भीतर सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व इस पूरे घटनाक्रम पर सतर्क है, लेकिन कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं कर रहा। अंदरखाने यह चर्चा ज़ोरों पर है कि तेज प्रताप का यह “स्वतंत्रता अभियान” यादव परिवार में नई दरार का कारण बन सकता है।
बिहार की राजनीति में नया समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप यादव का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण पैदा कर सकता है। जहाँ तेजस्वी यादव महागठबंधन के साथ चल रहे हैं, वहीं तेज प्रताप के नए संगठन से विपक्षी खेमे में भी हलचल मच सकती है।
यदि वे युवाओं और ग्रामीण वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत कर लेते हैं, तो वे 2025 के विधानसभा चुनाव में एक नई चुनौती बन सकते हैं।
तेज प्रताप का यह आत्मविश्वास भरा बयान इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में “लालू के बेटे बनाम जनता के बेटे” का नया राजनीतिक विमर्श देखने को मिल सकता है।
तेज प्रताप यादव के इस बयान ने न केवल बिहार की सियासत को हिला दिया है बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि लालू परिवार की राजनीतिक एकता अब पहले जैसी नहीं रही।
अब देखना यह होगा कि जनता तेज प्रताप के “स्वतंत्र नेता” बनने के संदेश को कितना स्वीकार करती है और क्या वे सचमुच अपने पिता की छत्रछाया से बाहर निकलकर एक नई राजनीतिक पहचान बना पाते हैं।