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बिहार में परिवर्तन की पुकार: तुषार गांधी बोले — “महागठबंधन ही लाएगा सच्चा बदलाव”

Tushar Gandhi Bihar Politics
Tushar Gandhi Bihar Politics – बिहार में परिवर्तन की राह पर महागठबंधन का समर्थन
अक्टूबर 28, 2025

बिहार में बदलाव की नई आहट

सीतामढ़ी, बिहार — राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने बिहार की राजनीति में एक नई चेतना का संचार करते हुए कहा है कि राज्य में अब परिवर्तन की आवश्यकता है। “बदलो बिहार, बनाओ नई सरकार” अभियान के अंतर्गत वे मंगलवार को सीतामढ़ी पहुँचे। वहाँ जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिहार में जिस राजनीतिक दिशा की जरूरत है, वह केवल महागठबंधन के माध्यम से ही संभव है।

तुषार गांधी ने कहा कि वे पिछले तीन महीनों से बिहार का लगातार दौरा कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने न केवल राजनीतिक माहौल को देखा बल्कि आम जनता की तकलीफों को भी समझा है। उन्होंने कहा, “बिहार की जनता आज बदलाव चाहती है। बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों पर ध्यान न देने के कारण आम नागरिक परेशान हैं। अब समय है कि जनता एक नई दिशा चुने।”


बिहार की राजनीति पर तुषार गांधी की टिप्पणी

अपने वक्तव्य में तुषार गांधी ने कहा कि बिहार की राजनीति लंबे समय से वादों और नारों में उलझी हुई है। उन्होंने कहा, “राजनीति का मकसद केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि जनता की सेवा करना सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए।”
उन्होंने महागठबंधन के नेताओं से अपील की कि वे केवल चुनावी रैलियों तक सीमित न रहें, बल्कि गाँव-गाँव जाकर लोगों की समस्याओं को समझें और समाधान का रास्ता निकालें।


जनता से सीधा संवाद

सीतामढ़ी के एक सभा स्थल पर हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए तुषार गांधी ने कहा कि बिहार की जनता बहुत समझदार है और अब उन्हें केवल आश्वासन नहीं चाहिए, बल्कि ठोस कदम चाहिए। उन्होंने कहा, “महागठबंधन के प्रति मेरा समर्थन इसलिए है क्योंकि यह गठबंधन सामाजिक न्याय, समानता और विकास की दिशा में काम करने की क्षमता रखता है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो वे स्वयं ‘चौकीदार’ की भूमिका निभाएँगे, ताकि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह बनी रहे।


गांधीवादी विचारधारा और बिहार

तुषार गांधी ने अपने संबोधन में गांधीवादी सिद्धांतों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बिहार महात्मा गांधी की कर्मभूमि रहा है। यहीं से उन्होंने सत्याग्रह की शुरुआत की थी। अब फिर से बिहार से ही परिवर्तन की नई क्रांति की शुरुआत होनी चाहिए।”
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे समाज में सकारात्मक भूमिका निभाएँ और राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाएँ।


परिवर्तन की राजनीति बनाम सत्ता की राजनीति

तुषार गांधी ने कहा कि राजनीति में सत्ता से अधिक ज़रूरी सेवा है। “यदि सत्ता सेवा का माध्यम नहीं बनती, तो वह केवल अहंकार का प्रतीक रह जाती है,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार जैसे राज्य को आज ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर जनता के हित में निर्णय ले सके।


नई सोच, नई दिशा

तुषार गांधी के इस दौरे ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। उनके बयानों ने यह संकेत दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर गांधीवादी विचारधारा को पुनः सक्रिय करने का प्रयास किया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तुषार गांधी का यह दौरा केवल राजनीतिक प्रचार नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन की शुरुआत है — जो जनता को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या अब बिहार को सचमुच बदलाव की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।बिहार आज परिवर्तन की प्रतीक्षा में है और तुषार गांधी की यह पहल जनता में जागरूकता का एक नया अध्याय खोल सकती है। यदि उनके कहे अनुसार “महागठबंधन” परिवर्तन की राह पर चलता है, तो यह बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

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