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नागपुर में साहसी वन्यजीव रक्षक शुभम जी.आर ने विषधर कोबरा से परिवार की रक्षा कर बचाई जान

Wildlife Rescuer Shubham GR
Wildlife Rescuer Shubham GR – नागपुर में साहसी युवक ने विषधर कोबरा से परिवार को सुरक्षित बचाया
अक्टूबर 30, 2025

नागपुर में आधी रात का भयावह दृश्य

नागपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में बीती रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया। रात के लगभग 11 बजे के दौरान एक परिवार के घर में अचानक एक विषैला कोबरा सांप जूतों की अलमारी में घुस आया। घर के सभी सदस्य सामान्य कार्यों में व्यस्त थे, जब अचानक जूतों के रैक के पास से “सनसनाहट” की भयानक आवाज सुनाई दी।

पलवी कांबले नामक महिला, जो घर की रसोई में बर्तन रख रही थीं, ने जब आवाज की दिशा में देखा, तो सामने भारत के पाँच सबसे विषैले सर्पों में से एक इंडियन स्पेक्टेकल्ड कोबरा बैठा हुआ दिखाई दिया।

क्षणभर में घर में अफरा-तफरी मच गई। भय और दहशत से पूरा परिवार इधर-उधर भागने लगा। किसी अनहोनी की संभावना को देखते हुए परिवार ने तुरंत वन्यजीव एवं प्रकृति सहायक संस्था के प्रमुख शुभम जी.आर को सूचना दी।


शुभम जी.आर – एक सच्चे वन्यजीव रक्षक

सूचना मिलते ही शुभम जी.आर अपनी टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पर पहुँचे। शांत और संयमित रहते हुए उन्होंने पहले परिवार को सुरक्षित स्थान पर भेजा और फिर सांप के छिपे स्थान का पता लगाया।
सावधानीपूर्वक औज़ारों और अनुभव के सहारे शुभम जी.आर ने उस जहरीले कोबरा को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित पकड़ा।

उनका यह बचाव अभियान लगभग 25 मिनट तक चला, जिसमें उन्होंने न केवल अपने कौशल का प्रदर्शन किया बल्कि वन्यजीवों के प्रति संवेदना और मानव जीवन की रक्षा का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत किया।


कोबरा को सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा गया

बचाव के बाद शुभम जी.आर ने कोबरा को शहर से दूर एक संरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया, जहाँ वह प्राकृतिक रूप से जीवित रह सके। उन्होंने स्थानीय नागरिकों से अपील की कि इस तरह की स्थिति में किसी भी विषैले प्राणी को स्वयं पकड़ने की कोशिश न करें और तुरंत प्रशिक्षित वन्यजीव रेस्क्यू टीम से संपर्क करें।

उनका कहना था —

“प्रकृति के हर जीव का अपना महत्व है। डर कर उन्हें मारना नहीं, बल्कि समझदारी से बचाना ही सच्चा समाधान है।”


कोबरा के विष का घातक प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय कोबरा का विष न्यूरोटॉक्सिक (Neurotoxic) श्रेणी का होता है, जो तंत्रिका तंत्र पर सीधा प्रभाव डालता है। इसके डंक से व्यक्ति की मृत्यु लगभग 40 से 45 मिनट के भीतर हो सकती है यदि समय पर उपचार न मिले।

शुभम जी.आर ने इस खतरे के बावजूद अद्भुत साहस और विवेक का परिचय दिया। उनकी इस कार्यवाही ने न केवल एक परिवार की जान बचाई बल्कि समाज को यह सिखाया कि मानवता और वन्यजीव संरक्षण दोनों एक साथ चल सकते हैं।


स्थानीय समाज ने व्यक्त की सराहना

घटना के बाद पूरे मोहल्ले में शुभम जी.आर की बहादुरी की चर्चा रही। स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उन्हें “नागपुर का असली हीरो” बताया। कई लोगों ने उनके संगठन वाइल्ड एनिमल्स एंड नेचर हेल्पिंग सोसायटी के प्रयासों की भी सराहना की, जो लंबे समय से नागपुर और आसपास के क्षेत्रों में वन्यजीव संरक्षण कार्य कर रही है।


समाज के लिए संदेश

यह घटना हमें यह सिखाती है कि भय से नहीं, समझदारी से प्रतिक्रिया देना ही असली साहस है।
वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व बनाए रखना पर्यावरण संतुलन के लिए अनिवार्य है। शुभम जी.आर जैसे युवाओं का प्रयास इस दिशा में प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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