राहुल गांधी ने रैली में किए तीव्र आरोप
बिहार के नालंदा-क्षेत्र में आयोजित एक चुनावी रैली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने केंद्र में सत्ता में मौजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं इसके नेतृत्व वाले एनडीए सरकार पर तीव्र आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह सरकार तत्कालीन संविधान-निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा रचित संविधान को नष्ट करने पर उतरी हुई है।
राहुल गांधी ने रैली में जोर देते हुए कहा कि लोगों के वोटों की बेईमानी से छेड़छाड़ हो रही है, लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हो रही हैं और सरकार “दूरदर्शन-प्रसारण” नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण का कार्य करे।
सरकार पर “रिमोट कंट्रोल” द्वारा चालित होने का आरोप
राहुल गांधी ने कहा कि बिहार में भाजपा-नेतृत एनडीए सरकार वास्तव में वहाँ की मुखिया सरकार नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार лишь एक मुखौटा हैं और असली शासक भाजपा है। उन्होंने अभिव्यक्ति दी कि—
“उनका कहना है कि राज्य की सरकार दूरदराज से नियंत्रित हो रही है, मुख्यमंत्री की भूमिका केवल मुखौटा है।”
राहुल के अनुसार, “गठबंधन सरकारों” के नाम पर सत्ता में बैठी यह व्यवस्था असल में लोगों की आवाज़ को सुनने वाली नहीं रही है, बल्कि सत्ता-प्रभावित निर्णय ले रही है।
संविधान-संरक्षण और वोट चोरी का मामला
राहुल गांधी ने रैली में विशेष रूप से यह कहा कि वोटों की चोरी सीधे संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि
“वोट चोरी करना यानी संविधान की धज्जियाँ उड़ाना है।”
उनका दावा है कि पिछली कुछ राज्यों में कथित मतदाता सूची में छेड़छाड़ हुई है, जिसे उन्होंने लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि यदि यही क्रम अगले चुनावों में जारी रहा तो आम जनता का भरोसा मत-प्रक्रिया से उठ सकता है।
सरकार के विकास-वाद व बड़ी कंपनियों-प्राथमिकता पर प्रश्न
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने बड़े उद्योग-ग्रहाणियों के हित में काम किया है और छोटे-मध्यम उद्योग, किसानों तथा मजदूरों की हित-वह दिशा कमजोर पड़ी है। उन्होंने कहा कि
-
किसानों और पूर्ववर्ती मोदी सरकार की घोषणाओं पर भरोसा नहीं कर पाए क्योंकि वास्तविक क्रियान्वयन सुनियोजित नहीं रहा।
-
“आपके पहने कपड़ों की लेबल अधिकांशतः चीन का है, हमें बिहार में तैयार ‘मेक इन बिहार’ देखना है” जैसा उनका वक्तव्य रहा।
-
उन्होंने कहा कि सस्ते इंटरनेट का दावा तो किया गया, लेकिन यह छिपा गया कि दूरसंचार क्षेत्र में एक ही व्यवसाय-घर को वर्चस्व मिल गया।
नालंदा की गाथा, युवाओं की उमीदें और विपक्षी गठबंधन की रणनीति
रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बिहार की प्राचीन गौरवशाली गाथा, जैसेकि नालंदा विश्वविद्यालय को याद किया। कहा कि नालंदा का उत्थान इस राज्य की क्षमताओं का प्रतीक है। उन्होंने घोषणा की कि यदि विपक्षी गठबंधन — Indian National Developmental Inclusive Alliance (आईएनडीयए-ब्लॉक) — सत्ता में आया तो समाज-के हर तबके की सुनवाई होगी, जाति-धर्म भेद से ऊपर उठकर काम होगा।
इस सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि बिहार की युवा शक्ति और मतदाता जागरूकता इस बार निर्णायक होगी।
राहुल गांधी की यह रैली स्पष्ट संकेत थी कि चुनावी माहौल अब सिर्फ विकास-वाद या अभ्युदय-वाद तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि संविधान-संरक्षण, मतदाता-अधिकार, लोकतंत्र की मजबूती जैसे विषय भी सामने आ गए हैं। भाजपा एवं एनडीए सरकार पर यह आरोप कि उन्होंने संविधान मूल्यों को कमजोर किया है, आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को और भी गरमाता हुआ बना सकता है।
बहस अब सिर्फ “कौन बढ़ेगा-कौन पीछे रहेगा” तक नहीं बल्कि “कौन लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करेगा” तक जा पहुँची है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।