दिल्ली दंगों की साजिश पर नया दावा
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2020 के दंगों के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपी “पीड़ित बनने का नाटक” कर रहे हैं। पुलिस का आरोप है कि ये लोग लंबी हिरासत का हवाला देकर जमानत पाने की कोशिश में हैं।
साजिश की जड़ में संगठित योजना
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि दंगे किसी भावनात्मक प्रतिक्रिया का नतीजा नहीं थे। यह एक “पूर्वनियोजित और गहरी साजिश” थी। पुलिस के अनुसार, सबूत बताते हैं कि दंगे योजनाबद्ध ढंग से कराए गए थे ताकि देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचे।
‘मुख्य साजिशकर्ता’ का आरोप
पुलिस ने उमर खालिद को मुख्य साजिशकर्ता बताया। कहा गया कि उन्होंने शरजील इमाम को इस षड्यंत्र के पहले चरण की योजना बनाने के लिए तैयार किया। दोनों ने मिलकर छात्रों और संगठनों के बीच साम्प्रदायिक विभाजन पैदा किया।
जेएनयू और जामिया में उकसावे की भूमिका
पुलिस के मुताबिक, खालिद और इमाम ने जेएनयू में ‘मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू’ नाम का ग्रुप बनाया। जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों को भी भड़काया गया। उन्होंने शाहीन बाग और जामिया में चक्का जाम का मॉडल अपनाया, जिसे हिंसक रूप में बदलने की योजना थी।
हिंसा की तैयारी का आरोप
दिल्ली पुलिस ने कहा कि जनवरी 2020 में उमर खालिद ने सीलमपुर में एक गुप्त बैठक की थी। इस बैठक में गल्फिशा फातिमा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल शामिल थीं। पुलिस का दावा है कि उन्हें स्थानीय महिलाओं को चाकू, बोतलें, एसिड और पत्थर इकट्ठा करने के निर्देश दिए गए थे ताकि दंगा कराया जा सके।
महिला आयोजकों की भूमिका
पुलिस ने कहा कि गल्फिशा फातिमा ने कई धरना स्थलों पर समन्वयक की भूमिका निभाई। शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक रूप में बदलने की योजना भी उनके माध्यम से आगे बढ़ी।
फंडिंग और उकसावे के आरोप
पुलिस के अनुसार, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य मीरान हैदर ने फंड जुटाने और भीड़ को भड़काने का काम किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को पुलिस और गैर-मुस्लिमों पर हमले के लिए प्रेरित किया।
कोर्ट में सुनवाई की तैयारी
उमर खालिद, शरजील इमाम, गल्फिशा फातिमा और मीरान हैदर को यूएपीए और आईपीसी की धाराओं में आरोपित किया गया है। उनकी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और एन वी अंजरिया की बेंच के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में इन कार्यकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2 सितंबर के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने कहा था कि “प्रदर्शन की आड़ में षड्यंत्रात्मक हिंसा” को किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता।
53 मौतें और 700 से अधिक घायल
2020 के दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।
पुलिस का तर्क: मुकदमे में देरी जानबूझकर
दिल्ली पुलिस ने कहा कि अभियुक्तों ने मुकदमे की शुरुआत में देरी करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं। 900 गवाहों का हवाला देकर जमानत मांगना केवल “भ्रामक बहाना” है।
अभियुक्तों का पक्ष
आरोपियों का कहना है कि वे केवल लोकतांत्रिक विरोध का हिस्सा थे और उन्हें फंसाया गया है। पुलिस का आरोप राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया जा रहा है।
अदालत की अगली सुनवाई निर्णायक
अब सबकी निगाहें शुक्रवार की सुनवाई पर हैं, जहाँ सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जमानत पर कोई राहत मिलेगी या नहीं।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।