प्रधानमंत्री पर छठ पर्व को लेकर विवाद, कांग्रेस का तीखा प्रहार
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (समाचार संपादकीय) —
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार की चुनावी सभाओं में विपक्ष पर ‘छठी मैया’ का अपमान करने का आरोप लगाने के बाद, कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं को देवी स्वरूप में प्रस्तुत करने की भूल कर रहे हैं। इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है।
छठ पर्व की आस्था पर सियासी तकरार
छठ पर्व बिहार और पूर्वांचल की संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसे पूरे श्रद्धा और समानता की भावना से मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस-राजद गठबंधन छठ पर्व और उसकी भावना का अपमान कर रहा है। इसके जवाब में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर “छठी मैया” से तुलना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आस्था का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत छवि का मुद्दा है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि “प्रधानमंत्री ने पहले स्वयं को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ बताया और अब वे ‘छठी मैया’ से तुलना कर रहे हैं। यह न केवल आस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि अहंकार का चरम उदाहरण भी।”
बिहार चुनावी मंच बना धार्मिक विमर्श का केंद्र
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले यह विवाद छिड़ गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने मुज़फ़्फरपुर और छपरा की रैलियों में कहा कि “कांग्रेस और राजद ने छठ पर्व का अपमान किया है, इन्हें न राम मंदिर से प्रेम है, न आस्था से। इनका उद्देश्य केवल तुष्टीकरण की राजनीति है।”
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार छठ पर्व को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है, ताकि यह पर्व वैश्विक स्तर पर सम्मान प्राप्त करे।
कांग्रेस का पलटवार – “धर्म नहीं, राजनीति का मंच बना दिया गया”
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के इस बयान को “राजनीतिक आवरण में धार्मिक भावनाओं का उपयोग” बताया। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने “पाँच सितारा छठ स्नान” विवाद को छिपाने के लिए छठी मैया का नाम ले रहे हैं।
दिल्ली कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजधानी में प्रधानमंत्री के लिए स्वच्छ जल का कृत्रिम तालाब बनाया गया, जबकि आम श्रद्धालु प्रदूषित यमुना में स्नान करने को विवश रहे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “प्रधानमंत्री के लिए यह चुनावी रणनीति हो सकती है, लेकिन बिहार की जनता अपनी आस्था के साथ किसी भी प्रकार का नाटक बर्दाश्त नहीं करेगी।”
आरोप-प्रत्यारोप के बीच जनता की भावना
जहाँ भाजपा इस मुद्दे को आस्था के सम्मान के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी ‘धर्म राजनीति’ कह रहा है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में छठ पूजा का विशेष महत्व है, और यह पर्व समानता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयानों से धार्मिक भावनाएँ भले ही जागृत हों, परंतु यह समाज में विभाजन का कारण भी बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री की अपील और विपक्ष की चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से कहा कि “नरेंद्र-नीतीश गठबंधन” पर भरोसा रखें, क्योंकि यह विकास और संस्कृति दोनों के लिए समर्पित है। वहीं, कांग्रेस और राजद ने इसे “नाटकीय बयानबाज़ी” बताया और कहा कि जनता अब इन भावनात्मक खेलों में नहीं फँसेगी।
बिहार का सियासी मौसम गरम
दो चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होगी, जबकि मतगणना 14 नवंबर को निर्धारित है। दोनों प्रमुख गठबंधन इस बार छठ पर्व और आस्था के प्रतीकों को अपने-अपने पक्ष में मोड़ने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।