Special Intensive Revision (SIR) News:
छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है। इस बार की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुविधा को केंद्र में रखकर कई नई व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अनुसार, अब केवल 5 से 6 प्रतिशत मतदाताओं को ही दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी, जबकि बाकी सभी मतदाताओं का सत्यापन स्वतः ही पूरा हो जाएगा।
मतदाता सूची पुनरीक्षण का नया स्वरूप
वर्ष 2003 के आधार पर छत्तीसगढ़ की मतदाता सूची को पुनः सत्यापित किया जा रहा है। इस बार ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (BLOs) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं का डेटा सत्यापित किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, अब तक लगभग 71 प्रतिशत मतदाताओं का डेटा मिलान हो चुका है। यह प्रक्रिया दिसंबर तक जारी रहेगी, और अनुमान है कि अंतिम चरण में यह प्रतिशत 94 से 95 तक पहुंच जाएगा।
विवाहित महिला मतदाताओं का विशेष ध्यान
चुनाव आयोग के अनुसार, वर्ष 2003 के बाद विवाह और स्थान परिवर्तन के कारण बड़ी संख्या में महिला मतदाताओं के मतदान केंद्र बदल चुके हैं। इस बार BLO द्वारा घर-घर सर्वे के दौरान 15 से 20 प्रतिशत अतिरिक्त महिला मतदाताओं का डेटा भी अपडेट किया जाएगा। इससे मतदाता सूची अधिक सटीक और संतुलित बनेगी।

मतदाता सुविधा के लिए तकनीकी नवाचार
भारत निर्वाचन आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान कई तकनीकी नवाचार लागू किए हैं। मतदाता अब किसी भी असुविधा की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कॉल कर सहायता प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, BLO कॉल रिक्वेस्ट (BLO Call Request) सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके माध्यम से मतदाता अपने क्षेत्र के BLO से सीधे संपर्क कर सकते हैं। यह सेवा खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रही है।
बीएलओ की भूमिका और जिम्मेदारी
ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स अब मतदाताओं के घर जाकर न केवल डेटा सत्यापन कर रहे हैं, बल्कि लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं कि यदि उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं है तो वे इसे तुरंत दर्ज करवाएं। अधिकारी इस कार्य को मोबाइल ऐप और डिजिटल रिकॉर्डिंग प्रणाली के माध्यम से कर रहे हैं, जिससे गलतियों की संभावना न्यूनतम हो जाती है।
आयोग का उद्देश्य: 100 प्रतिशत सटीक सूची
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि इस बार का उद्देश्य केवल डेटा अपडेट नहीं बल्कि ‘सटीक मतदाता सूची’ तैयार करना है। आयोग का मानना है कि जब मतदाता सूची सटीक होगी, तो मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वास भी बढ़ेगा। साथ ही, दस्तावेजों की मांग को कम करके मतदाताओं को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सकेगा।
भविष्य की दिशा: डिजिटल एकीकरण
आयोग भविष्य में मतदाता सूची को पूरी तरह डिजिटल रूप देने की दिशा में भी काम कर रहा है। इससे भविष्य में किसी भी परिवर्तन, स्थानांतरण या नए पंजीकरण की प्रक्रिया और तेज व पारदर्शी हो जाएगी। साथ ही, यह प्रणाली अन्य सरकारी डाटाबेस से भी जुड़ सकेगी जिससे फर्जी नामों की पहचान स्वतः हो सकेगी।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में चल रही एसआईआर प्रक्रिया न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि लोकतांत्रिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह व्यवस्था आम नागरिक को मतदाता सूची से जुड़ी जटिलताओं से मुक्त करती है और उन्हें प्रक्रिया के केंद्र में रखती है। आयोग की यह पहल देशभर के लिए एक आदर्श उदाहरण बन सकती है कि कैसे पारदर्शिता, तकनीक और जनसहभागिता के माध्यम से चुनाव प्रणाली को और बेहतर बनाया जा सकता है।
 
            

 
                 Aryan Ambastha
Aryan Ambastha 
         
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                    