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Ghatshila By-Poll: घाटशिला उपचुनाव में झामुमो की प्रचंड जीत निश्चित, भट्टाचार्य

CPI ML Liberation confident of JMM victory
CPI ML Liberation confident of JMM victory – झामुमो की विजय को लेकर सीपीआई(एमएल) लिबरेशन का विश्वास, भाजपा को मिलेगी करारी शिकस्त (FIle Photo)
अक्टूबर 31, 2025

झारखंड में उपचुनाव की गूंज

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर है। झामुमो उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन के पक्ष में सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने खुलकर समर्थन जताया है। पार्टी के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट कहा है कि घाटशिला की जनता इस बार झामुमो को भारी बहुमत से विजयी बनाएगी और भाजपा को करारा जवाब देगी।

झामुमो के लिए एकजुट INDIA गठबंधन

सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने अपने बयान में कहा कि पूरा INDIA गठबंधन घाटशिला में झामुमो उम्मीदवार के समर्थन में एकजुट है। भट्टाचार्य ने कहा, “घाटशिला की जनता भाजपा के दोहरे इंजन की नीतियों से त्रस्त है। अब वे एक ऐसे प्रतिनिधि को चुनना चाहती है जो जल, जंगल, जमीन और रोजगार के सवालों पर उनके साथ खड़ा हो।”

उन्होंने बताया कि पार्टी की झारखंड इकाई के विधायक अरूप चट्टोपाध्याय और चंद्रदेव महतो जल्द ही झामुमो प्रत्याशी के समर्थन में जनसभाएं करेंगे।

भाजपा के खिलाफ जनाक्रोश

भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने झारखंड में जनता के विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार, कॉर्पोरेट लूट, भू-अधिग्रहण, भूख और बेरोजगारी की जो नीतियाँ भाजपा ने लागू कीं, उनसे झारखंड की जनता अब ऊब चुकी है। घाटशिला का उपचुनाव भाजपा के लिए जनमत संग्रह साबित होगा।”

उनके अनुसार, जब तक भाजपा को राजनीतिक रूप से अलग-थलग नहीं किया जाएगा, तब तक झारखंड की असली लड़ाई — जल, जंगल, जमीन और रोजगार की — अधूरी रहेगी।

दिवंगत रामदास सोरेन की विरासत

उपचुनाव की पृष्ठभूमि में यह सीट झामुमो के दिवंगत विधायक और मंत्री रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई थी। भट्टाचार्य ने कहा, “सोमेश चंद्र सोरेन अपने पिता की अधूरी इच्छाओं को पूरा करेंगे। घाटशिला के लोगों की आशाएं और सपने उनके साथ हैं।”

भट्टाचार्य ने विश्वास जताया कि सोमेश चंद्र सोरेन न केवल भारी मतों से विजयी होंगे बल्कि अपने पिता की तरह ही जनता के बीच जनसेवक के रूप में कार्य करेंगे।

भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण मुकाबला

घाटशिला में भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जो वर्तमान भाजपा विधायक और पूर्व झामुमो नेता चंपई सोरेन के पुत्र हैं। यह चुनाव केवल दो उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि दो राजनीतिक दृष्टिकोणों के बीच संघर्ष है — एक ओर झामुमो और उसके सहयोगी दल जो क्षेत्रीय अधिकारों और जनसरोकारों की राजनीति करते हैं, और दूसरी ओर भाजपा जो कॉर्पोरेट नीति और केंद्रीकृत शासन की प्रतीक है।

बिहार से झारखंड तक एक संदेश

भट्टाचार्य ने अपने बयान में यह भी कहा कि घाटशिला और बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव, दोनों राज्यों की जनता के लिए अवसर हैं कि वे भाजपा की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश दें। उन्होंने कहा, “यह उपचुनाव केवल एक सीट का सवाल नहीं है, बल्कि झारखंड और बिहार की जनता की आवाज है जो दिल्ली की सत्ता तक गूंजेगी।”

जनता के मन की बात

स्थानीय मतदाताओं के बीच भी इस बार भाजपा विरोधी माहौल देखा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की धीमी गति, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर आक्रोश है। झामुमो के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर मतदाताओं से संवाद कर रहे हैं। सीपीआई(एमएल) लिबरेशन के कार्यकर्ता भी प्रचार अभियान में सक्रिय हैं और भाजपा की नीतियों के खिलाफ व्यापक जनजागरण चला रहे हैं।

उपसंहार

घाटशिला उपचुनाव केवल एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा की लड़ाई बन गया है। यह संघर्ष उस जनभावना का प्रतीक है जो सत्ता की दमनकारी नीतियों के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। सीपीआई(एमएल) लिबरेशन का समर्थन झामुमो के लिए शक्ति-संवर्धन साबित हो रहा है। अब देखना यह है कि 11 नवंबर को जनता किसे अपना सच्चा प्रतिनिधि मानती है, लेकिन संकेत साफ हैं — घाटशिला में परिवर्तन की हवा बह रही है।


यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।


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