सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को खिलाने पर लग सकती है रोक
देश की सर्वोच्च अदालत ने आवारा कुत्तों से जुड़ी बढ़ती घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए सोमवार को महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह सरकारी इमारतों में कुत्तों को खाना खिलाने की प्रथा पर रोक लगाने जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि कई बार सरकारी कर्मचारी खुद इन कुत्तों को बढ़ावा देते हैं, जिससे समस्या और गहराती जा रही है।
एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के पालन पर जोर
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि देश में एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) रूल्स का सख्ती से पालन जरूरी है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस दिशा में ढिलाई दिखाई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Chief Secretaries of States and Union Territories appear before the Supreme Court in compliance with its earlier order, and tender unconditional apology for not filing compliance affidavit on the issue of menace of stray dog bites.
Supreme Court says it will also hear victims of… pic.twitter.com/bykOI3ULBW
— ANI (@ANI) November 3, 2025
पीठ ने कहा, “हमारे पास रोज़ाना ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि आवारा कुत्ते लोगों पर हमला कर रहे हैं। इन घटनाओं में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अब समय आ गया है कि नियमों को ज़मीन पर उतारा जाए।”
सभी राज्यों के मुख्य सचिवों ने मांगी माफी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव पेश हुए। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी क्योंकि उन्होंने पहले की तारीख़ पर कोर्ट के आदेश के बावजूद हलफनामा दाखिल नहीं किया था।
जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “यह न्यायालय की अवमानना का विषय बन सकता था, लेकिन चूंकि सभी मुख्य सचिवों ने बिना शर्त माफी मांगी है, इसलिए हम फिलहाल इसे स्वीकार करते हैं। लेकिन भविष्य में अगर कोई लापरवाही हुई, तो सीधे मुख्य सचिवों को बुलाया जाएगा।”
पीड़ितों को मिली राहत, कुत्तों के समर्थकों के लिए जुर्माना यथावत
कोर्ट ने उन लोगों को राहत दी है जो कुत्तों के काटने से पीड़ित हैं। ऐसे पीड़ितों को कोर्ट में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी गई है और उन्हें रजिस्ट्री में कोई जमा राशि नहीं देनी होगी।
वहीं, कुत्तों के पक्ष में हस्तक्षेप करने वाले व्यक्तियों को 25,000 रुपये और एनजीओ को 2 लाख रुपये जमा कराने होंगे। यह शर्त पहले की तरह जारी रहेगी।
सरकारी संस्थानों में फीडिंग पर रोक की तैयारी
कोर्ट ने विशेष रूप से यह टिप्पणी की कि सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक संस्थानों में कुत्तों को खाना खिलाना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जस्टिस नाथ ने कहा, “कई सरकारी परिसरों में कर्मचारी खुद कुत्तों को भोजन कराते हैं, जिससे समस्या का समाधान नहीं बल्कि विस्तार होता है। हम इस पर एक स्पष्ट आदेश जारी करेंगे।”
वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने इस मुद्दे पर कोर्ट में हस्तक्षेप की कोशिश की और कहा कि फीडिंग एरिया की व्यवस्थाओं में कमियां हैं। लेकिन अदालत ने उनकी दलील सुनने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले में फिलहाल सरकारी संस्थानों के मुद्दे पर कोई बहस नहीं होगी।
कोर्ट का फोकस: नियंत्रण और जिम्मेदारी
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले का उद्देश्य जानवरों के खिलाफ नहीं बल्कि अनियंत्रित संख्या और आक्रामक व्यवहार की समस्या को सुलझाना है।
कोर्ट ने कहा कि राज्यों को कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और उचित देखभाल के लिए स्थानीय निकायों के साथ मिलकर ठोस योजना लागू करनी चाहिए।
अगली सुनवाई 7 नवंबर को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर 2025 के लिए तय की है। इस दौरान यह भी तय किया जाएगा कि सरकारी परिसरों में कुत्तों को खिलाने पर रोक लगाने का आदेश किस रूप में लागू किया जाएगा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाकर उसकी जवाबदेही तय की है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की नीति का उल्लंघन न हो।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय देश में बढ़ती कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर एक सख्त और संवेदनशील प्रतिक्रिया है। यह आदेश न केवल सरकारी तंत्र की जवाबदेही तय करेगा बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित हो सकता है।
संक्षिप्त सारांश:
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाने की तैयारी जताई और राज्यों को चेतावनी दी कि एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स का सख्त पालन किया जाए। अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी।