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Tamil Nadu News: तमिलनाडु में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया पर डीएमके की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

DMK Supreme Court Petition: तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर डीएमके की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
DMK Supreme Court Petition: तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर डीएमके की सुप्रीम कोर्ट में याचिका (File Photos)
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तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने राज्य में मतदाता सूची की ‘विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया’ (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पार्टी का कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत है और इसमें मतदाताओं के अधिकारों का हनन हो सकता है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बहुदलीय बैठक के एक दिन बाद यह याचिका दाखिल की गई।


तमिलनाडु में डीएमके की सुप्रीम कोर्ट में पहल

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की है, जिसमें राज्य में लागू की जा रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) को चुनौती दी गई है। पार्टी का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

डीएमके के संगठन सचिव और वरिष्ठ नेता आर.एस. भारती ने यह याचिका पार्टी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता एन.आर. इलंगो के माध्यम से दाखिल की।


राजनीतिक दलों की साझा चिंता

यह कदम उस बैठक के एक दिन बाद उठाया गया जिसमें मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में कई राजनीतिक दलों ने मिलकर मतदाता सूची पुनरीक्षण पर आपत्ति जताई थी। इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी विपक्षी दल मिलकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे ताकि निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

बैठक में कांग्रेस, वीसीके, सीपीआई, सीपीएम, एमडीएमके और अन्य सहयोगी दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया था। सभी ने यह राय रखी कि मतदाता सूची में संशोधन की यह विशेष प्रक्रिया राजनीतिक रूप से प्रेरित लगती है और इससे मतदाताओं की संख्या में मनमाने ढंग से फेरबदल संभव है।


डीएमके का तर्क और संवैधानिक आधार

डीएमके ने अपनी याचिका में कहा है कि ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ की प्रक्रिया भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के दिशा-निर्देशों से परे जाकर चलाई जा रही है। पार्टी का तर्क है कि यह राज्य के नागरिकों के मतदान अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

पार्टी ने अदालत से अपील की है कि वह इस प्रक्रिया को असंवैधानिक और गैर-लोकतांत्रिक घोषित करे और चुनाव आयोग को निर्देश दे कि किसी भी संशोधन या पुनरीक्षण को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

डीएमके नेताओं ने कहा कि इस तरह की प्रक्रियाएँ अक्सर राजनीतिक रूप से प्रेरित उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होती हैं, जिससे मतदाता सूचियों में असंतुलन और भेदभाव की संभावना बढ़ जाती है।


मुख्यमंत्री स्टालिन का बयान

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मीडिया से कहा कि उनकी सरकार पारदर्शिता और लोकतंत्र के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा,

“डीएमके किसी भी ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं करेगी जो जनता के अधिकारों को कम करे या मतदाता सूची में मनमाने ढंग से बदलाव लाए।”

स्टालिन ने कहा कि पार्टी का यह कदम केवल डीएमके के लिए नहीं बल्कि तमिलनाडु के हर नागरिक के अधिकार की रक्षा के लिए है।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने डीएमके के इस कदम का समर्थन किया है। उनका कहना है कि मतदाता सूची में संशोधन जैसे संवेदनशील मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष ने कहा कि,

“मतदाता सूची में गड़बड़ी लोकतंत्र की जड़ें हिला सकती है। अदालत से हमें निष्पक्ष निर्णय की उम्मीद है।”


कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी जानकारों का कहना है कि डीएमके की यह याचिका चुनावी पारदर्शिता पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से भविष्य में राज्यों में मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया के लिए एक स्पष्ट ढांचा तय किया जा सकता है।


आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर सुनवाई की तिथि जल्द तय की जा सकती है। फिलहाल डीएमके और उसके सहयोगी दल राज्य में जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि नागरिकों को अपने मतदान अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके।


डीएमके का यह कदम तमिलनाडु की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ता है। इस याचिका से न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी मतदाता सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर एक नई चर्चा शुरू हो गई है। अदालत के फैसले से यह तय होगा कि प्रशासनिक स्तर पर की जाने वाली ऐसी प्रक्रियाएँ लोकतंत्र को मजबूत करेंगी या कमजोर।

Aryan Ambastha

राष्ट्रभारत डॉट कॉम में लेखक एवं विचारक | वित्त और उभरती तकनीकों में गहरी रुचि | राजनीति एवं समसामयिक मुद्दों के विश्लेषक | कंटेंट क्रिएटर | नालंदा विश्वविद्यालय से स्नातक।

प्रौद्योगिकी, वित्त, राजनीति और समाज के आपसी संबंधों को समझने और व्याख्या करने का विशेष कौशल रखते हैं। जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित और संतुलित दृष्टिकोण के साथ पाठकों तक पहुँचाना इनकी पहचान है। संपर्क: aryan.ambastha@rashtrabharat.com