पहले चरण में जदयू की परीक्षा, नीतीश की साख दांव पर
पहले चरण के मतदान में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सामने बड़ी चुनौती है. बिहार चुनाव 2025 में कुल 57 सीटों पर पार्टी मैदान में है. इनमें 23 सीटें ऐसी हैं जहां 2020 में जदयू विजयी हुआ था. इन सीटों को दोबारा हासिल करना पार्टी के लिए अहम है. नीतीश कुमार की साख और पार्टी की स्थिति इन परिणामों पर निर्भर करेगी.
23 पुरानी सीटों को दोबारा जीतना लक्ष्य
इन 23 सीटों में कई जदयू की परंपरागत सीटें हैं. आलमनगर, बिहारीगंज, सोनबरसा, महिषी, कुशेश्वरस्थान और बहादुरपुर जैसी सीटों पर जदयू ने लंबे समय से अपनी पकड़ बनाए रखी है.
आलमनगर से नरेंद्र नारायण यादव लगातार जीतते आए हैं और इस बार भी वे मैदान में हैं. सोनबरसा से रत्नेश सदा कई बार विधायक बने और मंत्री भी रहे.
इसी तरह नालंदा, हरनौत और राजगीर जैसी सीटें भी जदयू के पुराने गढ़ हैं.
उम्मीदवारों में फेरबदल, नए चेहरों पर भरोसा
कुछ सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार बदले हैं. बेगूसराय की मटिहानी सीट से 2020 में लोजपा के टिकट पर जीते प्रत्याशी अब जदयू में शामिल हैं और पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है.
बरौली सीट पर पहली बार जदयू प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि रघुनाथपुर में भी नई रणनीति अपनाई गई है.
इन बदलावों से पार्टी संगठन में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रही है.
बड़े नेताओं की साख भी दांव पर
इस चरण में कई मंत्रियों की सीटें भी दांव पर हैं.
शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी और ग्रामीण विकास मंत्री सुनील कुमार की सीटें जदयू के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न हैं.
इन सीटों पर हार का असर पूरे चुनावी अभियान पर पड़ेगा.
29 सीटों पर पिछली बार दूसरे स्थान पर रही जदयू
पहले चरण की 29 सीटों पर 2020 के चुनाव में जदयू दूसरे नंबर पर रही थी.
इनमें सिंहेश्वर, मधेपुरा, दरभंगा ग्रामीण, गायघाट, कांटी, हथुआ, महाराजगंज, परसा, महनार, समस्तीपुर, हसनपुर, खगड़िया, जमालपुर और मोकामा जैसी सीटें शामिल हैं.
इन इलाकों में पार्टी ने मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं. कई उम्मीदवार नए हैं या दूसरे दल से आए हैं.
विपक्ष से कड़ी टक्कर, समीकरण बदलते दिख रहे हैं
पहले चरण में विपक्षी दलों ने भी पूरा दम लगाया है.
राजद और कांग्रेस गठबंधन इन सीटों पर मजबूत दावेदारी कर रहा है.
कुछ जगहों पर लोजपा (रामविलास) और भाजपा के उम्मीदवारों से भी जदयू को सीधी टक्कर मिल रही है.
त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना कई सीटों पर है.
नीतीश कुमार के नेतृत्व की अग्निपरीक्षा
बिहार चुनाव 2025 का पहला चरण नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक परीक्षा साबित हो सकता है.
जदयू को न केवल अपनी परंपरागत सीटें बचानी हैं, बल्कि नए क्षेत्रों में पैठ बनानी है.
पहले चरण के नतीजे आगे की रणनीति तय करेंगे.
अगर जदयू इन 57 सीटों में से अधिकतर पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो नीतीश की स्थिति मजबूत होगी.
विपरीत परिणाम पार्टी के लिए संकट संकेत देंगे.
मतदाताओं की प्राथमिकता विकास या नेतृत्व?
इस चुनाव में मतदाताओं के लिए मुद्दे भी बदल रहे हैं.
बेरोजगारी, शिक्षा, सड़क, और बिजली जैसे स्थानीय मुद्दे प्रमुख हैं.
नीतीश कुमार विकास के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं, जबकि विपक्ष जनता में बदलाव की लहर की बात कर रहा है.