अमेरिका में ‘समोसा कॉकस’ की गूंज, भारतीय मूल के नेताओं ने रचा इतिहास
नई दिल्ली:
अमेरिका में भारतीय मूल के दो मुस्लिम नेताओं ने इस वर्ष इतिहास रच दिया है। गुजरात मूल के जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है, जबकि हैदराबाद मूल की गजाला हाशमी वर्जीनिया की लेफ्टिनेंट गवर्नर चुनी गई हैं। दोनों नेताओं की यह जीत न केवल भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि अमेरिकी राजनीति में उनकी बढ़ती भूमिका का भी प्रमाण है।
सबसे कम उम्र के बने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर
34 वर्षीय जोहरान ममदानी अब तक के सबसे कम उम्र के न्यूयॉर्क सिटी मेयर बन गए हैं। ममदानी की यह उपलब्धि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए नई राह खोलने वाली मानी जा रही है। पिछले एक दशक में भारतीय मूल के अमेरिकी नेताओं की राजनीतिक भागीदारी में पांच गुना वृद्धि हुई है, जो यह दिखाती है कि अमेरिका के लोकतांत्रिक परिदृश्य में भारतवंशियों की पकड़ कितनी मज़बूत हो चुकी है।
‘समोसा कॉकस’ क्या है?
‘समोसा कॉकस’ शब्द अमेरिकी राजनीति में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की बढ़ती संख्या और प्रभाव को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
दरअसल, यह नाम 2018 के आसपास इलिनोइस के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने मज़ाकिया लेकिन गर्वपूर्ण अंदाज़ में दिया था। उन्होंने इस शब्द के माध्यम से अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के सांसदों की संख्या और उनकी भूमिका को रेखांकित किया था।
‘कॉकस’ शब्द अमेरिकी राजनीति में किसी विशेष समुदाय या उद्देश्य से जुड़े नेताओं के समूह के लिए प्रयुक्त होता है, और “समोसा” भारत के प्रसिद्ध नाश्ते का प्रतीक है — जो इस समूह की भारतीय पहचान को मज़ेदार ढंग से प्रस्तुत करता है।
कौन हैं इस कॉकस के सदस्य?
‘समोसा कॉकस’ में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक — दोनों ही दलों के भारतीय मूल के नेता शामिल हैं। एक दशक पहले तक जहां इस सूची में केवल कुछ नाम ही थे, वहीं अब करीब 60 से अधिक भारतीय-अमेरिकी नेता किसी न किसी निर्वाचित पद पर कार्यरत हैं।
इनमें अमेरिकी कांग्रेस, सीनेट, राज्य विधानसभा और स्थानीय प्रशासन में सेवा दे रहे नेता शामिल हैं।
इस कॉकस से जुड़े प्रमुख नामों में —
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जोहरान ममदानी (न्यूयॉर्क सिटी मेयर)
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राजा कृष्णमूर्ति (कांग्रेस सदस्य, इलिनोइस)
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प्रमिला जयपाल (कांग्रेस सदस्य, वॉशिंगटन)
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रिची टोरेस, रूपा कुलकर्णी, गजाला हाशमी और
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पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन से जुड़े विवेक रामास्वामी तथा काश पटेल जैसे चेहरे भी शामिल हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है ‘समोसा कॉकस’
अमेरिका में भारतीय मूल की आबादी लगभग 45 लाख है, जो कई राज्यों में निर्णायक मतदाता वर्ग बन चुकी है।
‘समोसा कॉकस’ इसी समुदाय की आवाज़ को अमेरिकी संसद और नीतिगत मंचों तक पहुंचाने का काम करता है।
यह समूह न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को मज़बूत करने में भूमिका निभा रहा है, बल्कि प्रवासी भारतीयों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आप्रवासन नीतियों पर भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
ममदानी और हाशमी की जीत से बढ़ा समुदाय का मनोबल
जोहरान ममदानी और गजाला हाशमी की जीत ने अमेरिकी राजनीति में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के आत्मविश्वास को नई ऊंचाई दी है।
ममदानी ने कहा कि उनकी प्राथमिकता है — “समान अवसर, सस्ती आवास व्यवस्था और बहुसांस्कृतिक न्यूयॉर्क को और अधिक समावेशी बनाना।”
गजाला हाशमी ने अपने भाषण में कहा कि “भारतीय-अमेरिकियों की भागीदारी अब अमेरिकी लोकतंत्र की मज़बूती का हिस्सा बन चुकी है।”
समोसा कॉकस का भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले दशक में यह समूह अमेरिकी राजनीति में और भी प्रभावशाली होगा।
जहां पहले भारतीय मूल के नेता केवल तकनीक, व्यापार या शिक्षा क्षेत्रों तक सीमित थे, अब वे गवर्नर, मेयर और यहां तक कि राष्ट्रपति पद तक की दावेदारी में भी दिखाई दे रहे हैं।
‘समोसा कॉकस’ अब भारतीय मूल के नेताओं के लिए एक साझा मंच बन चुका है, जो भारतीय संस्कृति और अमेरिकी लोकतंत्र के संगम का प्रतीक है।
जोहरान ममदानी और गजाला हाशमी की ऐतिहासिक जीत ने अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की नई पहचान स्थापित की है।
‘समोसा कॉकस’ केवल एक राजनीतिक समूह नहीं, बल्कि भारतीय मूल की उस जीवंत भावना का प्रतीक है जो मेहनत, शिक्षा और लोकतांत्रिक आदर्शों के माध्यम से नई दुनिया गढ़ रही है।