Bihar Chunav 2025 Voting: बगहा में VIP सुप्रीमो मुकेश साहनी की सभा रद्द, राजनीतिक हलचल बढ़ी
बगहा। महागठबंधन के समर्थन में बगहा विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित VIP सुप्रीमो मुकेश साहनी की सभा को प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित की जाने वाली यह सभा अंतिम समय में रद्द कर दी गई, जिससे कार्यकर्ता और जनता में निराशा फैल गई।
सभा रद्द होने का कारण और प्रशासन का निर्णय
सूत्रों के अनुसार, मुकेश साहनी की सभा की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। पार्टी कार्यकर्ता सुबह से ही सभा स्थल पर जुट गए थे। दोपहर तक यह जानकारी सामने आई कि प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
सभा रद्द होने के बाद मुकेश साहनी ने फ़ोन कॉल के माध्यम से अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि उन्हें बगहा आने की अनुमति नहीं मिली और यह निर्णय सरकार की तानाशाही की प्रवृत्ति को दर्शाता है। साहनी ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे आगामी चुनाव में ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कर महागठबंधन को विजयी बनाएं।
लोकतंत्र पर खतरा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुकेश साहनी ने आगे कहा कि जिस सरकार में विपक्षी नेताओं की आवाज़ दबाई जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने दावा किया कि जनता अब सब समझ चुकी है और आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका उत्तर वोट के माध्यम से देगी।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने सभा को अनुमति न देने के निर्णय को राजनीतिक बताया। महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि साहनी की बढ़ती लोकप्रियता से सत्ताधारी गठबंधन डर गया है। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थकों ने सभा रद्द होने के बावजूद स्थल पर “महागठबंधन ज़िंदाबाद” और “मुकेश साहनी आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं” जैसे नारे लगाए।
VIP पार्टी का रुख और युवाओं की प्रतिक्रिया
VIP पार्टी के स्थानीय पदाधिकारी भी इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि साहनी हमेशा बिहार के युवाओं, मछुआरों और पिछड़े वर्ग की आवाज़ उठाते रहे हैं। प्रशासन द्वारा सभा रद्द करना सत्ता पक्ष की जनता की आवाज़ दबाने की कोशिश है।
बगहा और आसपास के क्षेत्रों में माहौल – Bihar Chunav 2025 Voting
बगहा और वाल्मीकिनगर के कई इलाकों में साहनी समर्थकों ने पोस्टर और बैनर लगाकर तानाशाही सरकार हटाने और महागठबंधन लाने का संदेश दिया। राजनीतिक गलियारों में यह घटना चर्चा का मुख्य विषय बनी हुई है।
सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस तरह की घटनाएँ महागठबंधन के पक्ष में राजनीतिक संवेदनशीलता बढ़ा सकती हैं।