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Vande Mataram: वंदे मातरम् के 150 वर्ष, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रगीत के गौरवोत्सव का शुभारंभ किया

Vande-Mataram
Vande Mataram 150 Years: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में वंदे मातरम् के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले राष्ट्रीय समारोह का शुभारंभ किया, जिसमें राष्ट्रगौरव, सांस्कृतिक एकता और स्वतंत्रता की भावना को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया गया। (Photo: PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में ‘वंदे मातरम्’ के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले राष्ट्रीय समारोह का उद्घाटन किया। इस आयोजन का उद्देश्य राष्ट्रगीत की ऐतिहासिक भावना को पुनर्जीवित कर भारत की सांस्कृतिक एकता, गौरव और स्वतंत्रता के आदर्शों को पुनः स्थापित करना है।
नवम्बर 7, 2025

Vande Mataram – राष्ट्रगीत के शताब्दि–अर्ध समारोह का आरंभ

नई दिल्ली, 7 नवम्बर (पीटीआई)। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले राष्ट्रीय उत्सव का शुभारंभ किया। राजधानी के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक रचना की अमर भावना को नमन करते हुए राष्ट्रगौरव और एकता के प्रतीक के रूप में इसकी प्रासंगिकता को पुनः स्थापित किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट तथा स्मृति सिक्के का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में देशभर से विद्यार्थी, साहित्यकार, कलाकार, तथा स्वतंत्रता संग्राम के शोधकर्ता उपस्थित थे।


वंदे मातरम्: भारतीय चेतना का अमर गीत

वंदे मातरम् का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा में गहराई से अंकित है। इसे महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवम्बर, 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर रचा था। यह गीत सर्वप्रथम ‘बंगदर्शन’ नामक साहित्यिक पत्रिका में उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ के अंश के रूप में प्रकाशित हुआ था।

इस गीत ने अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध राष्ट्र की चेतना को जाग्रत किया और लाखों भारतीयों के लिए यह स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया। “वंदे मातरम्” शब्द न केवल स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक भी बन गया।


प्रधानमंत्री का उद्बोधन: “वंदे मातरम् भारत की आत्मा की आवाज़ है”

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति श्रद्धा का अमर मंत्र है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति, हमारी भाषा और हमारी मातृभूमि हमारी सबसे बड़ी शक्ति हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि 150 वर्षों की इस यात्रा ने भारत को आत्मविश्वास, एकता और आत्मनिर्भरता की भावना से जोड़ा है। उन्होंने इस अवसर को युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि राष्ट्रगीत का यह उत्सव आने वाली पीढ़ियों में देशभक्ति और स्वाभिमान का संदेश फैलाएगा।


वर्षभर चलने वाले समारोह की रूपरेखा – Vande Mataram

सरकार द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, यह उत्सव 7 नवम्बर 2025 से 7 नवम्बर 2026 तक देशभर में आयोजित किया जाएगा। इस अवधि में विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सांस्कृतिक संस्थानों तथा ग्राम पंचायतों में वंदे मातरम् के विशेष आयोजन किए जाएंगे।

कला प्रदर्शनी, देशभक्ति संगीत प्रतियोगिताएँ, साहित्यिक गोष्ठियाँ तथा ऐतिहासिक प्रदर्शनों के माध्यम से राष्ट्रगीत की भावना को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया है। संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि हर राज्य में “वंदे मातरम् महोत्सव” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकारों को प्रमुख भूमिका दी जाएगी।


राष्ट्रगौरव और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

संपादकीय दृष्टि से यह पहल केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि एक गहरी राष्ट्रीय आत्मचेतना का पुनर्जागरण है। जिस गीत ने अंग्रेज़ी दासता के युग में स्वतंत्रता का दीप जलाया, वही आज भी भारत की आत्मा में ऊर्जा भर रहा है।

‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने का यह अवसर भारतीयता के उस अटूट सूत्र को रेखांकित करता है, जो भाषा, धर्म और प्रांत की सीमाओं से ऊपर उठकर भारत को एक सूत्र में बाँधता है।

वंदे मातरम् का 150वाँ वर्ष भारत के इतिहास में एक ऐसा क्षण है जो अतीत की गौरवगाथा और भविष्य की दिशा दोनों को जोड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित यह वर्षभर चलने वाला उत्सव राष्ट्र की एकता, संस्कृति और स्वाभिमान का जीवंत प्रतीक बनेगा — ठीक वैसे ही जैसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का यह गीत सदियों से भारत के हृदय में गूंजता आ रहा है।

 


यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।


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