Vande Mataram 150 Years Celebration: वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर पुनपुन महाविद्यालय में हुआ भावपूर्ण आयोजन

Vande Mataram 150 Years Celebration
Vande Mataram 150 Years Celebration: वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर पुनपुन महाविद्यालय में हुआ भावपूर्ण आयोजन
पटना जिले के पुनपुन स्थित एस० एम० डी० महाविद्यालय में ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सामूहिक गायन हुआ। शिक्षकों, छात्रों और एन० सी० सी० कैडेट्स ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस आयोजन ने राष्ट्रप्रेम, एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को नई ऊँचाई दी।
नवम्बर 8, 2025

Vande Mataram 150 Years Celebration: राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर महाविद्यालय में हुआ सामूहिक गायन

पटना, मसौढ़ी (पुनपुन) से संवाददाता – देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना के उत्कर्ष के प्रतीक राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एस० एम० डी० महाविद्यालय, पुनपुन में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० (डॉ०) मधुरेन्द्र की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गीत का सामूहिक गायन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा एन० सी० सी० कैडेट्स ने पूरे उत्साह से भाग लिया।


राष्ट्रभावना के प्रतीक ‘वन्दे मातरम्’ का ऐतिहासिक महत्व

‘वन्दे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा रहा है। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत 1875 में पहली बार प्रकाशित हुआ और 1905 में बंग-भंग आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का नारा बना। इसकी पंक्तियाँ मातृभूमि के प्रति समर्पण, गर्व और आस्था की भावना को प्रकट करती हैं।


समारोह का शुभारंभ और आयोजन की रूपरेखा

समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं राष्ट्रगीत के आरंभिक स्वर के साथ हुआ। प्राचार्य प्रो० (डॉ०) मधुरेन्द्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि — “वन्दे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय चेतना की पहचान है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और देशप्रेम का भाव जागृत करता है।”

कार्यक्रम का संचालन डॉ० अबेन्द्र पासवान ने किया, जबकि समन्वयन में एन० सी० सी० पदाधिकारी ले० मुकेश कुमार का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर डॉ० विनोद कुमार, डॉ० श्रुति कुमारी, प्रो० शिला शरण सिंह, प्रो० सबिता ब्रह्मचार्य, रंजीत कुमार, मिथलेश किशोर तथा बिरेश कुमार सहित अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे।


छात्र-छात्राओं की सहभागिता और उत्साह

इस ऐतिहासिक अवसर पर 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में ‘वन्दे मातरम्’ का गायन किया। पूरे परिसर में देशभक्ति की गूंज फैल गई। विद्यार्थियों ने रंग-बिरंगे बैनरों और तिरंगे झंडों से परिसर को सजाया। एन० सी० सी० कैडेट्स ने अनुशासन और जोश के साथ आयोजन में भाग लेकर अपने देशप्रेम का परिचय दिया।


देशभक्ति और सांस्कृतिक चेतना का संगम

कार्यक्रम में शिक्षकों ने भी राष्ट्रीय गीत के इतिहास और महत्व पर अपने विचार साझा किए। प्रो० शिला शरण सिंह ने कहा कि — “यह गीत हमें यह स्मरण कराता है कि हमारी संस्कृति और मातृभूमि सर्वोपरि है। आज के युवा पीढ़ी को इसे केवल गाना नहीं, बल्कि समझना चाहिए।”

संगीत विभाग द्वारा तैयार किए गए विशेष गायन प्रस्तुति ने पूरे माहौल को भावनात्मक बना दिया। ‘सुखद हँसती मृदुल वसंतिनी मातरम्’ की धुन पर उपस्थित सभी लोगों की आंखें गर्व से नम हो उठीं।


राष्ट्रीय एकता और शिक्षण संस्थानों की भूमिका

महाविद्यालय प्रशासन ने इस अवसर पर यह भी संकल्प लिया कि प्रत्येक सत्र की शुरुआत ‘वन्दे मातरम्’ के गायन से की जाएगी। प्राचार्य ने कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं में देशप्रेम और अनुशासन की भावना को सुदृढ़ करते हैं। शिक्षण संस्थानों का यह दायित्व है कि वे न केवल शिक्षा दें, बल्कि राष्ट्रीय मूल्यों को भी विद्यार्थियों में रोपित करें।


समारोह का समापन और भविष्य का संकल्प

Vande Mataram 150 Years Celebration: कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। सभी उपस्थित जनों ने भारत माता के जयघोष के साथ अपने संकल्प को दोहराया कि वे राष्ट्रहित के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। महाविद्यालय परिवार ने घोषणा की कि आने वाले वर्षों में भी इस दिन को एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में मनाया जाएगा।


संक्षिप्त सारांश (50 शब्दों में):
पटना जिले के पुनपुन स्थित एस० एम० डी० महाविद्यालय में ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सामूहिक गायन हुआ। शिक्षकों, छात्रों और एन० सी० सी० कैडेट्स ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस आयोजन ने राष्ट्रप्रेम, एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को नई ऊँचाई दी।

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