आदिवासियों की परंपरा से जागी वन संरक्षण की नई चेतना
Jharkhand News: झारखंड के वनों में एक नई जागरूकता की लहर देखी जा रही है। राज्य के आदिवासी समाज ने अपने पूर्वजों के ज्ञान और परंपराओं को पुनर्जीवित कर वन संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाया है। वन विभाग अब इन्हीं पारंपरिक अनुभवों को अपना साथी बनाकर हाथियों, बाघों और अन्य वन्य जीवों के संरक्षण का अभियान चला रहा है।
पूर्वजों की कहानियों से वन्यजीवों के प्रति सम्मान
Jharkhand News: झारखंड के कई आदिवासी गांवों में बुजुर्ग लोग बच्चों और युवाओं को उन कहानियों से परिचित करा रहे हैं, जिनमें बाघ और हाथी जैसे जीव ‘पूर्वजों के रक्षक’ के रूप में वर्णित हैं। इन कहानियों में यह संदेश निहित है कि मनुष्य और पशु दोनों प्रकृति के अभिन्न अंग हैं और उनका सह-अस्तित्व ही जीवन का आधार है। यही कारण है कि आदिवासी समाज हमेशा जंगलों और जीवों के साथ सामंजस्य बनाकर चलता रहा है।
वन विभाग का अभिनव प्रयास
Jharkhand News: रांची, पलामू टाइगर रिजर्व और दलमा क्षेत्र में वन विभाग ने स्थानीय धर्मगुरुओं, पाहनों और पुरोहितों का सम्मान कर इस सांस्कृतिक संवाद को और मजबूत किया है। सामाजिक वानिकी अधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि “आदिवासी समाज के पास सदियों पुराना अनुभव है। वे जानते हैं कि जंगलों की सुरक्षा और जीवों के साथ संबंध कैसे बनाए रखें। इसी ज्ञान को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।”
हाथियों के कारिडोर की रक्षा सबसे अहम
लातेहार जिले के वरिष्ठ आदिवासी बुजुर्ग सकांत बेदिया ने वन अधिकारियों से कहा कि हाथियों के पारंपरिक रास्तों में निर्माण कार्य और सड़कों का बढ़ना उनकी शांति भंग कर रहा है। इससे हाथी दूसरे इलाकों में चले जाते हैं और मनुष्यों के साथ संघर्ष बढ़ता है। उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग को इन कारिडोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि मानव-वन्यजीव टकराव कम हो सके।
Jharkhand News: ग्राम सभाओं ने उठाया जिम्मेदारी का भार
इटकी प्रखंड की कुंदी पंचायत के विंधानी गांव में ग्राम सभा ने वन संरक्षण के लिए 16-सूत्री नियमावली पारित की है। यह निर्णय अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित ‘वन महोत्सव’ में लिया गया। सैकड़ों ग्रामीणों ने ‘वन सुरक्षा की शपथ’ लेकर यह वादा किया कि वे अपने जंगल की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
सशक्त ग्राम सभा और सामूहिक प्रयास
वन महोत्सव के दौरान “न लोकसभा, न विधानसभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा” का नारा पूरे क्षेत्र में गूंजा। यह नारा स्थानीय शासन की मजबूती और समुदाय की भूमिका को रेखांकित करता है। आयोजन में पाहान मनबोध मुंडा, ग्राम प्रधान संजय उरांव, और वन सुरक्षा समिति की अध्यक्ष माया कुजूर ने जंगल राजा की पूजा कर अभियान की शुरुआत की।
Jharkhand News: वन सुरक्षा का नया जन आंदोलन
कार्यक्रम में अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के साकेत कुमार सिंह, राजस्थान के देव कुमार, और आशा संस्था के अजय कुमार जायसवाल ने कहा कि “यह पहल केवल एक राज्य नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है।” ग्रामीणों ने पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर ‘जंगल हमारा साथी है’ का संदेश दिया।
सामाजिक सहयोग और प्रेरक उदाहरण
वन महोत्सव में समाजसेवा भी प्रमुख आकर्षण रही। आशा संस्था ने 40 किसानों को सरसों का बीज और बुजुर्गों को कंबल वितरित किए। कुंदी पंचायत की मुखिया फ्रांसिस्का करकेट्टा ने भी अतिरिक्त 30 कंबलों का वितरण कर सामाजिक एकता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
निष्कर्ष: परंपरा और पर्यावरण का सुंदर संगम
Jharkhand News: झारखंड में चल रहा यह अभियान केवल वन संरक्षण का प्रयास नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता और परंपरागत ज्ञान का पुनर्जागरण भी है। जब लोग अपनी संस्कृति को समझते और सम्मान देते हैं, तो प्रकृति के साथ उनका रिश्ता और मजबूत होता है। झारखंड का यह सामूहिक प्रयास पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन रहा है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।