Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025, चार सीटों पर एनडीए और महागठबंधन का नया प्रयोग
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी बढ़ चुकी है। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। विशेषकर एनडीए और महागठबंधन ने इस बार कुछ प्रमुख सीटों पर नए प्रयोग किए हैं। जहानाबाद, घोसी, कुर्था और अरवल की चारों सीटें इस बार चर्चाओं के केंद्र में हैं।
जहानाबाद में दोनों गठबंधनों ने बदले प्रत्याशी
जहानाबाद सीट पर 2020 के चुनाव में राजद के सुदय यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार राजद ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी ने नया चेहरा राहुल शर्मा को मैदान में उतारा है, जो पहले जदयू से विधायक रह चुके हैं और अब राजद में शामिल हो चुके हैं। वहीं, एनडीए ने भी इस सीट पर परिवर्तन किया है और चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को टिकट दिया है। चंद्रवंशी पहले भी जदयू से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में यह सीट इस बार दो पूर्व नेताओं के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।
कुर्था सीट पर महागठबंधन का दांव और एनडीए की नई रणनीति
कुर्था सीट पर भी इस बार नया समीकरण देखने को मिल रहा है। 2020 में राजद के बागी कुमार वर्मा ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया। उनकी जगह जहानाबाद के पूर्व विधायक सुदय यादव को प्रत्याशी बनाया गया है।
एनडीए की ओर से यह सीट जदयू के खाते में आयी है। पिछली बार जदयू के सत्यदेव कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा था, इसलिए इस बार जदयू ने पप्पू कुमार वर्मा को टिकट देकर नया प्रयोग किया है।
घोसी विधानसभा में नई पीढ़ी की एंट्री
Bihar Election 2025: घोसी विधानसभा सीट पर एनडीए ने युवा चेहरा उतारकर नया प्रयोग किया है। पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र ऋतुराज को जदयू ने टिकट दिया है। यह कदम स्पष्ट करता है कि एनडीए युवा चेहरों पर दांव लगा रही है।
दूसरी ओर महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा (माले) ने अपने वर्तमान विधायक रामबली सिंह यादव पर भरोसा जताया है। यहां मुकाबला पुराने अनुभव और नई ऊर्जा के बीच दिलचस्प होने वाला है।
अरवल में भाजपा का परिवर्तन, माले का भरोसा कायम
अरवल सीट एनडीए में भाजपा के खाते में आती है। 2020 में भाजपा के दीपक कुमार शर्मा को हार मिली थी। पार्टी ने इस बार मनोज शर्मा को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। वहीं, महागठबंधन की ओर से भाकपा (माले) ने अपने वर्तमान विधायक महानंद सिंह को फिर से टिकट देकर स्थिरता का संकेत दिया है। यह सीट भी सीधी टक्कर वाली मानी जा रही है।
नए प्रयोगों से क्या बदलेगा समीकरण?
इन चारों सीटों पर उम्मीदवारों के परिवर्तन से यह साफ झलकता है कि दोनों गठबंधन जीत की नई राह तलाश रहे हैं। एनडीए जहां युवाओं और अनुभव के मिश्रण पर भरोसा दिखा रहा है, वहीं महागठबंधन संगठनात्मक संतुलन बनाकर चलने की कोशिश कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन प्रयोगों का असर सिर्फ इन चार सीटों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आस-पास की सीटों पर भी इसके प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
जनता का मूड और भविष्य का संकेत
जनता अब नेताओं से अधिक उनके कामकाज और क्षेत्रीय जुड़ाव को प्राथमिकता देने लगी है। ऐसे में नए उम्मीदवारों की लोकप्रियता, जनता से जुड़ाव और स्थानीय मुद्दों पर पकड़ ही तय करेगी कि इन प्रयोगों का परिणाम क्या होगा।
जहानाबाद, घोसी, कुर्था और अरवल में जिस तरह के परिवर्तन हुए हैं, वह यह संकेत देता है कि 2025 का बिहार चुनाव परंपरागत नहीं बल्कि प्रयोगों का चुनाव होगा।