Bihar Election Update: तेजस्वी यादव का वादा, “सिर्फ एक मौका दीजिए, 20 महीनों में बिहार का चेहरा बदल दूंगा”

Bihar Election Update: औरंगाबाद के नवीनगर में तेजस्वी यादव ने जनसभा को संबोधित करते हुए जनता से एक मौका देने की अपील की। उन्होंने कहा कि 20 महीनों में बिहार का स्वरूप बदल देंगे, हर परिवार को नौकरी और किसानों को मुफ्त बिजली देंगे। आरजेडी प्रत्याशी आमोद चंद्रवंशी के लिए वोट मांगा।
नवम्बर 9, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव की जनसभा से उठी नई उम्मीद

औरंगाबाद के नवीनगर में चुनावी हुंकार

बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे चरम पर पहुंच रहा है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शनिवार को औरंगाबाद जिले के नवीनगर विधानसभा क्षेत्र पहुंचे, जहां उन्होंने सिरीस हाई स्कूल मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। मंच से बोलते हुए तेजस्वी यादव ने जनता से अपील की कि उन्हें सिर्फ एक बार अवसर दिया जाए, वे 20 महीनों में बिहार की तस्वीर बदल देंगे।

तेजस्वी ने कहा कि जो काम वर्तमान सरकार 20 सालों में नहीं कर पाई, उसे वे रिकॉर्ड समय में पूरा करेंगे। उन्होंने वादा किया कि आरजेडी की सरकार बनते ही हर घर को रोजगार मिलेगा और युवाओं को स्थायी नौकरी की गारंटी दी जाएगी।

“हर परिवार को नौकरी, किसानों को फ्री बिजली”

तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में बेरोजगारी और किसानों की परेशानियों को चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार बनी, तो बिहार के हर परिवार के एक सदस्य को रोजगार मिलेगा। युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों के नए पद सृजित किए जाएंगे।

किसानों के लिए उन्होंने फ्री बिजली योजना की घोषणा की और कहा कि खेती को सशक्त करना ही उनका मुख्य लक्ष्य होगा। उन्होंने कहा कि किसान अगर समृद्ध होंगे, तो राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

“20 वर्षों की सरकार ने बिहार को पीछे छोड़ा”

तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में राज्य की वर्तमान व्यवस्था पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से एक ही राजनीतिक दल सत्ता में है, फिर भी न शिक्षा सुधरी, न स्वास्थ्य व्यवस्था। सड़कों और रोजगार की स्थिति अब भी चिंताजनक है।

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर बिहार के नवजवानों को रोजगार की तलाश में बाहर क्यों जाना पड़ता है? उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली, पंजाब और गुजरात में काम करने वाले बिहारी मजदूरों की मेहनत ने उन राज्यों को आगे बढ़ाया, पर बिहार आज भी विकास के मोर्चे पर पिछड़ा हुआ है।

“जनता बदलेगी तस्वीर”

तेजस्वी यादव ने लोगों से कहा कि बदलाव का वक्त आ गया है। अगर जनता उन्हें मौका देती है, तो वे भ्रष्टाचार-मुक्त और विकास-उन्मुख बिहार बनाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता युवाओं को अवसर देना और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी जात-पात की राजनीति नहीं, बल्कि विकास की राजनीति करेगी। बिहार के हर जिले में समान विकास होगा और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा उद्योग के क्षेत्र में नई योजनाएं लाई जाएंगी।

आरजेडी प्रत्याशी के लिए वोट की अपील

अपने भाषण के अंत में तेजस्वी यादव ने आरजेडी प्रत्याशी आमोद चंद्रवंशी के समर्थन में जनता से वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आमोद चंद्रवंशी एक ईमानदार और जनसेवी नेता हैं, जो क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा आगे रहते हैं।

सभा स्थल पर हजारों की भीड़ उमड़ी और “तेजस्वी जिंदाबाद” के नारे गूंजते रहे। माहौल पूरी तरह चुनावी जोश में डूबा रहा।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com



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Mohan Bhagwat RSS“हिंदू होना भारत के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है” – डॉ. मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को बेंगलुरु में दो दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया। इस व्याख्यान श्रृंखला का विषय था — “राष्ट्रीय जीवन में संघ की दृष्टि और भूमिका”। भागवत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “हिंदू होना केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि यह भारत के प्रति जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का प्रतीक है।” संघ को समझने के लिए तथ्य जरूरी, अफवाह नहीं अपने संबोधन की शुरुआत में डॉ. भागवत ने कहा कि पिछले एक दशक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आती रही हैं, परंतु इनमें से अधिकांश धारणाएँ अधूरी या अफवाहों पर आधारित हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा, “संघ को दूसरों की बातों से नहीं जाना जा सकता। जो लोग संघ को समझना चाहते हैं, उन्हें स्वयं अनुभव करना होगा। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक भ्रम फैलते रहेंगे।” भागवत जी ने यह भी याद दिलाया कि 2018 में दिल्ली में इसी उद्देश्य से व्याख्यानमाला आयोजित की गई थी ताकि संघ के बारे में प्रामाणिक और तथ्यात्मक जानकारी समाज तक पहुँचे। समर्थन या विरोध का आधार तथ्य होना चाहिए आरएसएस प्रमुख ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी संगठन के प्रति समर्थन या विरोध भावनाओं पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा, “संघ को समझे बिना उसकी आलोचना या समर्थन करना उचित नहीं। जो लोग संघ को जानते हैं, वे जानते हैं कि इसका उद्देश्य केवल राष्ट्र सेवा है।” भागवत जी के अनुसार, संघ किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, समाज और राष्ट्र की एकजुटता के लिए कार्यरत संस्था है। “हिंदू” शब्द का गहरा अर्थ डॉ. मोहन भागवत ने कहा, “जब हम स्वयं को हिंदू कहते हैं, तो यह केवल धर्म की परिभाषा नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली, हमारी संस्कृति और हमारे राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव है।” उन्होंने समझाया कि हिंदुत्व का अर्थ किसी विशेष पूजा-पद्धति से नहीं, बल्कि उस जीवनदृष्टि से है जो सबके कल्याण और समरसता की भावना रखती है। भागवत जी ने कहा, “हिंदू होना मतलब यह मानना कि हम सब एक ही मातृभूमि के संतान हैं। भारत की सेवा, समाज की रक्षा और संस्कृति का संरक्षण ही सच्चा राष्ट्रधर्म है।” समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह समाज में समरसता और सहयोग की भावना बनाए रखे। उन्होंने कहा, “संघ किसी व्यक्ति या संगठन के विरोध में नहीं, बल्कि सकारात्मक राष्ट्र निर्माण में विश्वास रखता है। हमें एक-दूसरे को समझने और जोड़ने की दिशा में कार्य करना चाहिए।” भागवत जी ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे परस्पर मतभेदों को छोड़कर देश के विकास के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में बसती है, और यही विविधता राष्ट्र की शक्ति है। राष्ट्र निर्माण में संघ की भूमिका डॉ. भागवत ने बताया कि संघ का उद्देश्य किसी राजनीतिक सत्ता का केंद्र बनना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग में राष्ट्रीय चेतना का विकास करना है। उन्होंने कहा, “संघ का काम व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण करना है। जब व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझेगा, तभी समाज और राष्ट्र सशक्त बनेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत विश्व में एक नई भूमिका निभाने जा रहा है, और इस परिवर्तन के केंद्र में भारतीय संस्कृति की वही प्राचीन दृष्टि है — “वसुधैव कुटुंबकम्।” Short Summary (50 Words): बेंगलुरु में आयोजित व्याख्यानमाला में आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू होना केवल पहचान नहीं, बल्कि भारत के प्रति जिम्मेदारी का भाव है। उन्होंने संघ को समझने के लिए अफवाहों से नहीं, बल्कि तथ्यों से जुड़ने की अपील की और राष्ट्र निर्माण में एकता पर बल दिया।: “हिंदू होना भारत के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है” – डॉ. मोहन भागवत