Bihar Election Phase 2: महिला शक्ति ने संभाली मोर्चा
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में इस बार महिला शक्ति पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रही है। 11 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए 94 सीटों पर 1,302 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें 136 महिला प्रत्याशी शामिल हैं। यह अब तक के चुनावी इतिहास में एक उल्लेखनीय संख्या है, जो बताती है कि बिहार की राजनीति में महिलाएं अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका में हैं।
महिला उम्मीदवारों की बढ़ती मौजूदगी
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 1,302 उम्मीदवारों में 1,165 पुरुष और 136 महिलाएं हैं, जबकि एक उम्मीदवार थर्ड जेंडर से हैं। यह संख्या न केवल चुनावी विविधता को दर्शाती है, बल्कि बिहार की बदलती राजनीतिक मानसिकता का भी प्रतीक है।
राजनीतिक दल अब महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपने प्रचार अभियानों में महिला नेताओं को आगे कर रहे हैं।
हाई प्रोफाइल महिला चेहरे जो बना सकती हैं चुनावी समीकरण
रेणु देवी: एनडीए का सशक्त चेहरा
बेतिया विधानसभा सीट से बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। महिला सशक्तिकरण की मुखर आवाज़ और संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाली रेणु देवी एनडीए की ओर से एक प्रमुख चेहरा हैं। उनके सामने महागठबंधन के उम्मीदवार ने भी दमखम से मैदान संभाला है।
लेसी सिंह: जेडीयू की रणनीतिक नेता
धमदाहा सीट से जेडीयू की वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री लेसी सिंह चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने पिछले कार्यकाल में ग्रामीण विकास और महिला योजनाओं पर उल्लेखनीय काम किया। उनकी उम्मीदवारी नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का माध्यम बन रही है।
दीपा मांझी: विरासत और संघर्ष की प्रतीक
Bihar Election Phase 2: इमामगंज (अनुसूचित जाति) सीट से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की दीपा मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बहू हैं। वह महादलित समुदाय की एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरी हैं। दीपा मांझी की उम्मीदवारी एनडीए की सामाजिक समावेश की रणनीति को मजबूती देती है।
श्रेयसी सिंह: खेल जगत से राजनीति तक
जमुई सीट से बीजेपी की युवा नेता और अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह मैदान में हैं। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी श्रेयसी ने 2020 में पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया था। उनका युवा, ग्लैमरस और दमदार व्यक्तित्व उन्हें बिहार की महिला राजनीति का नया चेहरा बनाता है।
रितू जायसवाल: जनता की ‘सच्ची प्रतिनिधि’
परिहार सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रितू जायसवाल ने अपने सामाजिक कार्यों और साफ-सुथरी छवि से जनता के बीच गहरी पैठ बनाई है। पूर्व में राजद से जुड़ीं रहीं रितू, प्रशासनिक पृष्ठभूमि और ग्राम पंचायत स्तर पर अपने कार्यों के कारण चर्चित हैं।
महिला मतदाताओं पर टिकी राजनीतिक नज़र
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत चुनाव परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है। बिहार में महिला मतदाता लंबे समय से स्थिरता और सुरक्षा के मुद्दों पर अधिक सक्रिय हैं।
नीतीश कुमार की योजनाओं जैसे ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ और ‘जीविका समूह’ ने ग्रामीण महिलाओं तक सरकार की पहुंच मजबूत की है। दूसरी ओर, महागठबंधन भी महिला सशक्तिकरण के वादों के साथ चुनावी मैदान में उतर चुका है।
आरक्षण की हकीकत और उम्मीदें
हालांकि 35 प्रतिशत आरक्षण की बात लंबे समय से चल रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाओं को अब भी सीमित टिकट मिलते हैं। बावजूद इसके, बिहार की महिला उम्मीदवारों ने यह साबित किया है कि वह किसी भी राजनीतिक समीकरण को बदलने की क्षमता रखती हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक बन गया है। रेणु देवी से लेकर रितू जायसवाल तक, हर उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में महिला मतदाताओं की आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
बिहार की धरती अब यह संदेश दे रही है — “राजनीति में आधी आबादी अब पीछे नहीं रहेगी।”