लाल किला धमाका: दिवाली पर रचा गया था खून का खेल, 26 जनवरी पर बदल दी गई साजिश
नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के सामने हुए कार धमाके ने देश को हिला कर रख दिया है। इस विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो चुकी है और अब जांच एजेंसियों को एक चौंकाने वाला खुलासा हाथ लगा है। मुख्य संदिग्ध मुजम्मिल ने पूछताछ में कबूला है कि यह हमला सिर्फ एक शुरुआती कदम था, जबकि असली निशाना 26 जनवरी 2026 को दिल्ली में कई बड़े धमाके करने का था।
दीवाली पर था असली प्लान, मगर समय बदल दिया गया
जांच एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार, मुजम्मिल और उसके सहयोगी उमर ने पहले दीवाली 2025 के दौरान भीड़भाड़ वाले इलाकों में बम धमाका करने की योजना बनाई थी। लेकिन, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ती निगरानी और राजधानी में लागू विशेष सतर्कता के चलते आतंकियों ने योजना को टाल दिया। बाद में यह तय किया गया कि हमले की नई तारीख 26 जनवरी 2026 होगी, ताकि देश के गणतंत्र दिवस पर अधिकतम दहशत फैलाई जा सके।
मुजम्मिल और उमर की भूमिका
जांच में यह सामने आया है कि मुजम्मिल, जो फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में वरिष्ठ डॉक्टर था, इस पूरे आतंकी नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। वहीं, उमर, जो उसी विश्वविद्यालय में कार्यरत था, तकनीकी सहायता और विस्फोटक तैयार करने की जिम्मेदारी संभालता था।
दोनों के बीच गुप्त संचार चैनलों के जरिए लगातार बातचीत होती रही। उनके मोबाइल डेटा, ईमेल्स और डिजिटल उपकरणों की जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि वे पिछले कई महीनों से राजधानी में जासूसी कर रहे थे और भीड़भाड़ वाले स्थानों की निगरानी कर रहे थे।
लाल किले के पास किया गया पहला धमाका
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लाल किले के सामने कार धमाका दरअसल उनकी बड़ी योजना की एक ट्रायल एक्टिविटी थी। यह परीक्षण इस बात की पुष्टि के लिए किया गया कि दिल्ली में किस स्तर की सुरक्षा प्रतिक्रिया दी जाती है और कौन-से रास्ते अपेक्षाकृत कमजोर हैं।
धमाके के बाद जब जांच टीमें मौके पर पहुंचीं, तो कार के मलबे से कई महत्वपूर्ण सबूत मिले जिनसे आतंकियों की पहचान संभव हुई।
जांच में जुटी एजेंसियां
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और इंटेलिजेंस ब्यूरो मिलकर इस मामले की तह तक पहुंचने में जुटे हैं। मुजम्मिल से अब तक कई घंटे की पूछताछ की जा चुकी है, और उसके फोन से निकाले गए डेटा से पता चला है कि उसने कुछ पाकिस्तानी हैंडलर्स से भी संपर्क साधा था।
वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस नेटवर्क को “सफेदपोश आतंक पारिस्थितिकी तंत्र” (White Collar Terror Ecosystem) करार दिया है, क्योंकि इसमें शिक्षित और पेशेवर तबके के लोग शामिल हैं जो आतंक को नई पहचान दे रहे हैं।
आतंकियों की रणनीति और खतरे का अंदेशा
जांचकर्ताओं का मानना है कि यह नेटवर्क केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था। आतंकियों की योजना थी कि 26 जनवरी के दिन देश के प्रमुख शहरों—दिल्ली, मुंबई, जयपुर और लखनऊ—में एक साथ धमाके किए जाएं ताकि पूरे देश में भय और अस्थिरता फैलाई जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों ने अब राजधानी के सभी ऐतिहासिक और भीड़भाड़ वाले स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी है।
आगे की कार्रवाई और सुराग
एनआईए ने अब मुजम्मिल के विदेशी संपर्कों की जांच शुरू कर दी है। एजेंसियों को संदेह है कि यह मॉड्यूल विदेशी धन और तकनीकी सहायता से सक्रिय था।
फरीदाबाद, दिल्ली, श्रीनगर और चेन्नई में कई जगहों पर छापेमारी की जा रही है। उमर के परिजनों से भी पूछताछ की जा रही है, जबकि पुलिस को शक है कि वह कार धमाके में मारा गया।
देश के लिए चेतावनी
यह घटना केवल एक धमाका नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि शिक्षित वर्ग के भीतर भी आतंक की जड़ें फैल रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मॉड्यूल्स की पहचान समय रहते करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि वे समाज के भीतर छिपकर काम करते हैं।