Bunty Bhangdiya: चिमूर के विधायक बंटी भांगडिया को बड़ा झटका
महाराष्ट्र के चिमूर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक बंटी भांगडिया को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। उनके नजदीकी सहयोगी और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री जुनेद खान ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। सूत्रों के अनुसार, जुनेद खान अब कांग्रेस पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं।
जुनेद खान का इस्तीफा और राजनीतिक हलचल
जुनेद खान ने बुधवार को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ अपने सभी संगठनात्मक पदों से इस्तीफा दे दिया। उनका यह कदम पार्टी के अंदरूनी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि वे गुरुवार को मुंबई में कांग्रेस नेता नाना पटोले की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
भांगडिया गुट के लिए बड़ा नुकसान
जुनेद खान लंबे समय से बंटी भांगडिया के करीबी माने जाते थे। उन्होंने चिमूर और आसपास के क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय में भाजपा की पैठ मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके इस्तीफे को बंटी भांगडिया गुट के लिए सीधा झटका माना जा रहा है, क्योंकि खान स्थानीय स्तर पर भाजपा के सक्रिय और प्रभावशाली कार्यकर्ताओं में गिने जाते थे।
कांग्रेस में शामिल होने के पीछे क्या है रणनीति?
सूत्रों के मुताबिक, जुनेद खान लंबे समय से संगठन में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। उन्हें राज्य स्तर पर अपने योगदान के अनुरूप पद और जिम्मेदारी नहीं मिली। इसके अलावा, चिमूर क्षेत्र में भाजपा के भीतर गुटबाजी बढ़ने से भी वे असहज थे। कांग्रेस ने उन्हें स्थानीय स्तर पर सक्रिय भूमिका और आगामी विधानसभा चुनावों में टिकट की संभावना का संकेत दिया है।
कांग्रेस को मिलेगा अल्पसंख्यक समर्थन का फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जुनेद खान के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को चिमूर और आसपास के क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच मजबूती मिलेगी। कांग्रेस इस मौके का इस्तेमाल 2029 विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए करेगी।
भाजपा में मंथन और नुकसान की आशंका
Bunty Bhangdiya: भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों ने इस इस्तीफे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अंदरखाने में इसे संगठनात्मक असंतोष का संकेत माना जा रहा है। बंटी भांगडिया स्वयं संगठन के भीतर मजबूत नेता माने जाते हैं, फिर भी जुनेद खान जैसे सहयोगी का पार्टी छोड़ना उनके नेतृत्व की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
आने वाले दिनों में और बदलाव संभव
राजनीतिक हलकों का कहना है कि जुनेद खान का यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल पैदा करेगा। इस बात की संभावना है कि आने वाले दिनों में भाजपा के कुछ और स्थानीय कार्यकर्ता भी कांग्रेस या एनसीपी (शरद पवार गुट) का रुख कर सकते हैं। इससे भाजपा के लिए दक्षिण-पूर्वी महाराष्ट्र में नई रणनीति बनाना जरूरी हो जाएगा।
जुनेद खान का पार्टी छोड़ना केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि संगठनात्मक असंतोष की झलक है। यह कदम भाजपा के लिए चेतावनी है कि जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी भविष्य में नुकसानदायक साबित हो सकती है। वहीं, कांग्रेस इसे एक अवसर के रूप में देख रही है, जिससे वह अपने पुराने वोट बैंक को फिर से मजबूत कर सके।