Amrit Durgotsav 2025 ने रचा इतिहास – शिवभक्तों की सहभागिता से बना विश्व रिकॉर्ड
जनसहभाग से शिवभक्तों ने रचा गौरवशाली अध्याय
नागपुर, 12 नवम्बर : महाराष्ट्र अनुसंधान, उन्नति और प्रशिक्षण प्रबोधिनी (अमृत) के तत्वावधान में आयोजित ‘अमृत दुर्गोत्सव 2025’ ने इतिहास रच दिया है। छत्रपति शिवाजी महाराज को विश्वस्तरीय श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से आयोजित इस अभियान में महाराष्ट्र सहित विदेशों से भी हजारों शिवभक्तों ने भाग लिया।
दीपावली के पावन अवसर पर बालकों, युवाओं और बुजुर्गों द्वारा घर-घर में बनाए गए दुर्गों की लघु प्रतिकृतियों ने इस आयोजन को जनआंदोलन का रूप दे दिया।
गिनीज बुक में दर्ज हुआ शिवभक्तों का समर्पण
अमृत संस्था ने विभिन्न दुर्गों की मानव हाथों से तैयार प्रतिकृतियों का सबसे विशाल डिजिटल फोटो एलबम तैयार किया। इस प्रयास को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा मान्यता प्रदान की गई और प्रमाणपत्र भी सौंपा गया।
यह न केवल महाराष्ट्र के लिए, बल्कि संपूर्ण भारत के लिए गर्व का क्षण बन गया। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और स्वराज्य की भावना को आधुनिक युग में पुनर्जीवित करने वाले इस प्रयास ने इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अपना नाम दर्ज करा दिया।
‘अमृत’ संस्था की प्रेरक भूमिका
अमृत संस्था के प्रबंध निदेशक विजय जोशी ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाणपत्र स्वीकार करते हुए कहा कि यह सफलता लोकसहभागातून आधारित उपक्रम की सशक्त मिसाल है।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में अमेरिका, इंग्लैंड और खाड़ी देशों से भी लोगों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई। डिजिटल माध्यमों के ज़रिये जुड़ी इस वैश्विक भागीदारी ने दुर्गोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया।
मुख्यमंत्री फडणवीस का संदेश और सम्मान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस अभियान की सराहना करते हुए प्रतिभागियों के लिए विशेष प्रमाणपत्र जारी किया।
अमृत संस्था द्वारा प्रत्येक प्रतिभागी को मुख्यमंत्री के हस्ताक्षरयुक्त सम्मानपत्र प्रदान किया जा रहा है, जिससे जनसहभाग और राज्य गौरव का भाव और भी प्रबल हुआ है।
संस्कृति और इतिहास के पुनर्जागरण की दिशा में कदम
‘अमृत दुर्गोत्सव 2025’ केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की ऐतिहासिक परंपरा का पुनर्जीवन है।
शिवाजी महाराज के किलों की प्रतिकृतियाँ न केवल कला और शिल्प का परिचय देती हैं, बल्कि वीरता, स्वराज्य और आत्मगौरव की भावना को भी जन-जन तक पहुँचाती हैं।
यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास से जोड़ने का सेतु सिद्ध हुआ है।
महाराष्ट्र से विश्व तक पहुँचा दुर्गोत्सव का संदेश
इस अभियान ने दिखाया कि जब जनसहभाग और संस्कृति का संगम होता है, तब इतिहास बनता है।
महाराष्ट्र की भूमि से उठी यह सांस्कृतिक लहर अब विश्व पटल पर छा चुकी है।
‘अमृत दुर्गोत्सव 2025’ ने यह साबित कर दिया कि शिवभक्तों की एकता और समर्पण से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
इतिहास का नया अध्याय
‘अमृत दुर्गोत्सव 2025’ ने न केवल विश्व रिकॉर्ड बनाया, बल्कि समाज में संघटन, श्रद्धा और सांस्कृतिक चेतना का नया दीप प्रज्वलित किया।
यह आयोजन भविष्य में भी शिवभक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा, जिससे महाराष्ट्र की गौरवशाली परंपरा सदा जीवित रहेगी।