Sheikh Hasina Court Verdict: शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ीं, 17 नवंबर को अदालत सुनाएगी फैसला
नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए आने वाला सप्ताह निर्णायक साबित हो सकता है। देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने ऐलान किया है कि वह 17 नवंबर को उनके खिलाफ चल रहे मामले में फैसला सुनाएगा। इस मामले ने बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है और देश की सियासी स्थिति पहले से अधिक अस्थिर हो गई है।
छात्र आंदोलन और हिंसा का मामला
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में एक बड़े छात्र आंदोलन ने जन्म लिया था। यह आंदोलन उस समय हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं। इस हिंसा में सैकड़ों छात्रों की मौत हुई, जबकि हजारों घायल हुए। विरोधियों का आरोप है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आंदोलन को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों को कठोर कार्रवाई के आदेश दिए थे।
मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना पर मानवता के विरुद्ध अपराधों, हत्या, और दमनात्मक कार्रवाइयों के गंभीर आरोप लगाए हैं। अभियोजन पक्ष का कहना है कि उनकी सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ सुनियोजित हिंसा चलाई।
दूसरी ओर, हसीना समर्थक इस मामले को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह मुकदमा विपक्ष और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के दबाव का परिणाम है।
अवामी लीग का राष्ट्रव्यापी बंद
हसीना की पार्टी अवामी लीग ने फैसले से पहले ही विरोध की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने पूरे देश में राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है। इस बंद के कारण ढाका, चिटगांव, खुलना सहित कई शहरों में जनजीवन ठप पड़ गया है।
सड़कें खाली हैं, बाजार बंद हैं और सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति बेहद कम है। परिवहन सेवाएं भी लगभग ठप हो चुकी हैं।
सेना ने संभाली स्थिति
राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए सेना को तैनात किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना ने प्रशासनिक मोर्चा संभाल लिया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति को रोका जा सके।
ढाका विश्वविद्यालय परिसर और अन्य संवेदनशील इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से फ्लैग मार्च निकाला है।
अंतरिम सरकार की भूमिका और यूनुस का नेतृत्व
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था। यूनुस सरकार देश में स्थिरता बहाल करने की कोशिश में जुटी है, लेकिन अवामी लीग का विरोध बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अदालत का फैसला हसीना के खिलाफ जाता है, तो देश में व्यापक राजनीतिक अशांति फैल सकती है।
राजनीतिक परिदृश्य पर असर
Sheikh Hasina Court Verdict: बांग्लादेश की राजनीति इस समय अत्यंत नाजुक स्थिति में है। हसीना के समर्थक जहां इस फैसले को “राजनीतिक प्रतिशोध” बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे “न्याय की जीत” कह रहा है।
देश की अर्थव्यवस्था पर भी इस संकट का असर दिख रहा है। विदेशी निवेश घटा है, मुद्रा पर दबाव बढ़ा है और आम जनता महंगाई की मार झेल रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ ने बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने भी सभी पक्षों से संयम बरतने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करने की अपील की है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बांग्लादेश में हिंसा भड़कती है, तो इसका असर दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता पर पड़ सकता है।
जनता की उम्मीदें
देश की आम जनता अब अदालत के फैसले पर टिकी है। लोग चाहते हैं कि इस फैसले से न केवल न्याय मिले, बल्कि बांग्लादेश में शांति और लोकतंत्र की बहाली भी हो।