दिल्ली में प्रदूषण संकट पर सुप्रीम कोर्ट की गंभीर टिप्पणी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर दिया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि “स्थिति बहुत गंभीर है।” कोर्ट ने सभी अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे शारीरिक रूप से अदालत में उपस्थित होने के बजाय वर्चुअल सुनवाई की सुविधा का उपयोग करें।
अदालत में कपिल सिब्बल और जस्टिस नरसिम्हा के बीच संवाद
सुनवाई के दौरान जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में उपस्थित हुए, तो जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने कहा, “स्थिति बहुत गंभीर है! आप सभी यहाँ क्यों उपस्थित हैं? हमारे पास वर्चुअल सुनवाई की सुविधा है, कृपया इसका लाभ उठाएँ। यह प्रदूषण स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है।” इस पर कपिल सिब्बल ने जवाब दिया, “हम मास्क का उपयोग कर रहे हैं।” इसके उत्तर में न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा, “मास्क भी पर्याप्त नहीं हैं। यह पर्याप्त सुरक्षा नहीं देगा।”
दिल्ली में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में, कई क्षेत्र हुए प्रभावित
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार “गंभीर श्रेणी” में बना हुआ है। गुरुवार को दिल्ली के कई क्षेत्रों में AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
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बुराड़ी – 433
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चांदनी चौक – 455
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आनंद विहार – 431
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मुंडका – 438
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पूसा – 302
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बवाना – 460
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वजीरपुर – 452
मंगलवार को दिल्ली का समग्र AQI 428 दर्ज किया गया था, जो दिसंबर 2024 के बाद पहली बार “गंभीर” स्तर पर पहुंचा था।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सख्त कार्रवाई
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बढ़ते प्रदूषण के मद्देनज़र पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में “GRAP चरण-III” के तहत 9-सूत्रीय कार्ययोजना को तत्काल प्रभाव से लागू किया है। इसमें निर्माण गतिविधियों पर रोक, स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने जैसे उपाय शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की अन्य पीठ भी प्रदूषण पर रख रही नज़र
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारणों पर लगातार सुनवाई कर रही है। इस दौरान पंजाब और हरियाणा सरकारों से पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है। पराली जलाना उत्तर भारत के प्रदूषण का एक प्रमुख कारण माना जाता है, जिससे दिल्ली और आसपास के राज्यों में हवा की गुणवत्ता तेजी से गिरती है।
राजधानी में सांस लेना हुआ कठिन
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि आम नागरिकों को अब सुबह-सुबह आंखों में जलन, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई अस्पतालों में सांस और फेफड़ों की बीमारियों के मामलों में इजाफा हुआ है।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
राजधानी के पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि केवल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग या अदालत के निर्देश पर्याप्त नहीं होंगे, जब तक कि राज्य सरकारें मिलकर स्थायी समाधान नहीं निकालतीं। पराली जलाना, डीजल वाहनों का अधिक उपयोग, और निर्माण धूल इस समस्या की मुख्य जड़ हैं।
अदालत की चेतावनी और आगे की दिशा
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि वायु प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ती है तो वह दिल्ली सरकार, केंद्र और पड़ोसी राज्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर विचार करेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रदूषण अब एक मौसमी नहीं बल्कि स्थायी आपदा बनता जा रहा है, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।